लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधान सभा सदस्यों के रूप में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा रविवार को जारी सूची में यूपी विधान सभा नेता प्रतिपक्ष के रूप में माता प्रसाद पाण्डेय को नामित किये जाने का जमकर विरोध शुरू हो गया है. अखिलेश यादव की ओर से जारी विधान सभा सदस्यों में माता प्रसाद पाण्डेय को नेता प्रतिपक्ष, महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल, कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक व राकेश कुमार उर्फ डॉ. आर.के वर्मा को उपसचेतक नामित किया गया है.
उत्तर प्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष के रूप में माता प्रसाद पाण्डेय का नाम देख पार्टी के तमाम समर्थकों और नेताओं द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया जा रहा है.
माता प्रसाद पाण्डेय को नेता प्रतिपक्ष नामित किये जाने की पुष्टि करते हुए सपा अध्यक्ष ने सोशल मीडिया एक्स पर भी पोस्ट किया कि, "अति वरिष्ठ समाजवादी नेता श्री माता प्रसाद पांडेय जी के उप्र विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ! श्री माता प्रसाद पांडेय जी का विधान सभा और उसकी स्वस्थ परंपराओं को जानने, समझने और मानने-मनवाने का जो दीर्घ अनुभव रहा है और जिस प्रकार वह विधि और विधि के निर्माण की प्रक्रिया के ज्ञाता हैं, उसका लाभ न केवल सपा के सभी विधायकों बल्कि सदन में अध्यक्ष महोदय से लेकर मुख्यमंत्री जी और उनके सभी मंत्रियों व विधायकों को भी मिलेगा। आशा है, वह एक प्रकाश स्तंभ के रूप में संविधान की सशक्त परंपरा का मार्ग सदैव प्रकाशित करके, सही दिशा दिखाते रहेंगे।"
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती सोशल मीडिया एक्स पर लिखती हैं कि, "सपा मुखिया ने लोकसभा आमचुनाव में खासकर संविधान बचाने की आड़ में यहाँ PDA को गुमराह करके उनका वोट तो जरूर ले लिया, लेकिन यूपी विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने में जो इनकी उपेक्षा की गई, यह भी सोचने की बात है। जबकि सपा में एक जाति विशेष को छोड़कर बाकी PDA के लिए कोई जगह नहीं। ब्राह्मण समाज की तो कतई नहीं क्योंकि सपा व भाजपा सरकार में जो इनका उत्पीड़न व उपेक्षा हुई है वह किसी से छिपा नहीं। वास्तव में इनका विकास एवं उत्थान केवल BSP सरकार में ही हुआ। अतः ये लोग ज़रूर सावधान रहें।"
लखनऊ यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रो. रविकांत ने कहा कि, माता प्रसाद पाण्डेय खांटी ब्राह्मण नेता हैं। वे समाजवाद के नहीं, अपने समाज के निष्ठावान नेता हैं। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की 84 सीटों में से 83 पर ब्राह्मण अभ्यर्थियों का चयन उनके इशारे पर हुआ था, और उनके बूथ पर सपा हार गई।
उन्होंने आगे लिखा कि, "अखिलेश यादव ने 2022 के चुनाव में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए फरसा तक उठाया लेकिन नतीजा क्या हुआ? क्या माताप्रसाद पाण्डेय ब्राह्मण वोट सपा को दिला पाएंगे? विधानसभा चुनाव में अपना बूथ भी नहीं जिता पाए थे। CSDS का सर्वे कहता है कि 90% सवर्ण वोट बीजेपी को जाता है।"
"मेरे हिसाब से रागिनी सोनकर को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता था। AIIMS जैसे संस्थान से डॉक्टर की पढ़ाई करने वाली, अंबेडकरवादी और दलित। बहुत धारदार वक्ता और आकर्षक व्यक्तित्व वाली महिला नेत्री। रागिनी सोनकर अखिलेश यादव के लिए ट्रंप कार्ड साबित होती", प्रो. रविकांत ने कहा.
प्रो. रविकांत ने सोशल मीडिया के जरिए आगाह किया कि, "लोकसभा चुनाव में दलितों और अति पिछड़ों ने समाजवादी पार्टी को झौआ भर वोट दिया। लेकिन अखिलेश यादव इनका दिल जीतने में नाकाम रहे हैं। ये पत्र कहीं भारी न पड़ जाए? क्या दलित समाज को इसलिए भुलाया जा रहा है कि संविधान के डर से ये तो वोट करेगा ही, जायेगा कहां?"
सोशल मीडिया यूजर क्रांति कुमार ने लिखा कि, "लोकसभा चुनाव के समय संविधान खतरे में था. आरक्षण खतरे में था. सामाजिक न्याय खतरे में था. आदरणीय अखिलेश यादव जी अपने साथ हुए छुआछूत को मीडिया से साझा कर रहे थे, की हम मंदिर गए उसके बाद मंदिर को दूध से धोया गया. मुख्यमंत्री आवास खाली करने के बाद शुद्धिकरण किया गया. लोकसभा चुनाव में डॉ बाबा साहेब अंबेडकर का फोटो और संविधान की प्रति दिखाकर वोट मांगा गया. बात जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी हो रही थी. समाजवादी पार्टी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा में माता प्रसाद पांडेय जी को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया है. एक तरफ SP और कांग्रेस OBC SC ST के अधिकारों और हिस्सेदारी की बात करते हैं और खुद अपनी पार्टी में ब्राह्मणों को शीर्ष पद प्रदान कर रहे हैं. चुनाव के समय सामाजिक न्याय और चुनाव के सवर्ण न्याय. यह तो धोखा है."
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि, "PDA बना B-PDA.... सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 84 पदों में 83 ब्राह्मणों की नियुक्ति माता प्रसाद पांडेय के इशारे पर ही हुई थी। इतना करने के बाद भी वे अपना बूथ हार गए थे। इनके बूथ से समाजवादी पार्टी न सिर्फ हारी थी बल्कि शर्मसार भी हुई थी। ऐसी स्थिति में इन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना समाजवादी पार्टी के लिए कितना न्यायसंगत होगा?"
पूर्व ट्विटर (एक्स) पर सपा अध्यक्ष के फोटो के कैप्शन के साथ सोशल मीडिया यूजर चन्दन ने लिखा कि, "पूछना था 2022 में खूब फरसा लहराया था, कितने वोट मिल गये थे ब्राह्मणो के."
एक अन्य ट्वीट में चन्दन ने सवाल किया कि, "माता प्रसाद पाण्डेय ने कितनी बार मुस्लिमो पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ बोला. पाण्डेय ने कितने बार आरक्षण के समर्थन मे बोला. पाण्डेय ने दलितों पर हो रहे अत्याचार पर कितनी बार बोला. पाण्डेय ने 69000 भर्ती मे हुये घोटाले पर कितनी बार बोला. पाण्डेय ने nfs पर कितनी बार बोला."
जहां सोशल मीडिया पर सपा समर्थक अखिलेश यादव के इस फैसले की निंदा कर रहे हैं वहीं सपा नेता आई.पी. सिंह ने माता प्रसाद पाण्डेय को अखिलेश यादव द्वारा विधानसभा नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने को बेहतरीन सोशल इंजीनियरिंग बताया. उन्होंने कहा कि, "समाजवादी पार्टी के मुखिया श्री अखिलेश यादव जी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पण्डित श्री माता प्रसाद पांडेय जी को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इससे बेहतरीन सोशल इंजीनियरिंग देश में कोई दल नहीं कर सकता। पार्टी के सभी नेताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।"
माता प्रसाद पाण्डेय को विधानसभा नेता प्रतिपक्ष नामित किये जाने पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने माता प्रसाद पांडेय को बधाई दी लेकिन इस फैसले को उन्होंने पिछड़ों और दलितों के साथ धोखा बताया। उन्होंने कहा कि, "यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने पर श्री माता प्रसाद पांडेय जी को बधाई है। उम्मीद है रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभायेंगे। परंतु सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव जी ने पिछड़ों दलितों को धोखा दिया है। सपा के PDA का मतलब बहुत बड़ा धोखा है। भाजपा 2027 में 2017 की विजय दोहरायेगी।"
उपमुख्यमंत्री की बातों का जवाब देते हुए माता प्रसाद पाण्डेय सोशल मीडिया लिखते हैं कि, "उपमुख्यमंत्री जी आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद. आप घबराइए नहीं हम पीडीए की लड़ाई लड़ते रहेंगे। सबको हक मिलेगा. आप अपना स्टूल संभालिये क्योंकि वो भी कोई छीनना चाहता है। बाकी मानसून ऑफर अभी भी है.
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