राजस्थान: आदिवासियों को लठ से पीटने और घर जलाने वाले वायरल ऑडियो पर जानिये उदयपुर सांसद ने क्या कहा?

सांसद रावत बोले- बौखलाहट में बकवास कर रहे हैं 'राजकुमार', भीलों का हित नहीं चाहते बल्कि रांची के कैथोलिक चर्च का एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं.
राजस्थान: आदिवासियों को लठ से पीटने और घर जलाने वाले वायरल ऑडियो पर जानिये उदयपुर सांसद ने क्या कहा?
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उदयपुर- दक्षिणी राजस्थान में दो आदिवासी सांसदों में ठनी हुई है. भारत आदिवासी पार्टी के बासवाडा से सांसद राजकुमार रोत और उदयपुर से भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत के बीच तल्खियां बढती जा रही हैं. इस बार रार की वजह एक वायरल ऑडियो क्लिप है जिसमे एक भाजपा नेता अपने किसी समर्थक से बाप का समर्थन करने वाले आदिवासी लोगों के घर जलाने और उन्हें लठ से पीटने की बात करते सुनाई दे रहा है.

बाप सांसद राजकुमार रोत का आरोप है कि ऑडियो में सुनाई देने वाली एक आवाज उदयपुर के सांसद मन्नालाल रावत की है जो स्वयं एक आदिवासी होते हुए अपने ही समुदाय के लोगों का घर उजाड़ने की बात कर रहे हैं और यह सोच किसी आतकंवादी से भी घातक है. सांसद राजकुमार रोत ने उदयपुर में सोमवार को एक सांकेतिक धरने के बाद पुलिस अधिकारियों से मिलकर इस ऑडियो क्लिप के जांच की मांग की और चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 10 दिन में कारवाई नहीं होती तो बासवाड़ा और उदयपुर की सडकों पर आदिवासी उतरेंगे.

मंगलवार को इस मुद्दे को लेकर सांसद डॉ मन्नालाल रावत मीडिया से रूबरू हुए जहाँ उन्होंने सीधे तौर पर तो ऑडियो में अपनी आवाज होना स्वीकार नहीं किया लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया. रावत ने राजकुमार रोत के आरोपों के जवाब में कहा कि भारत आदिवासी पार्टी बाहर के लोगों को बुलाकर प्रतापगढ़ के धरियावद इलाके में 1000 बीघा जगलों को साफ करवाकर अवेध कब्जे करवा रही है. इसकी शिकायत करने पर कलेक्टर ने फारेस्ट और पुलिस टीम के साथ मौके पर रेड करके कारवाई की और इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी. रावत ने कहा - यह असलियत और पोल पट्टी खुलने के बाद राजकुमार रोत बौखलाहट में बकवास कर रहे हैं.

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए रावत ने बाप और सांसद रोत पर आदिवासी क्षेत्र में समाज को बरगलाने, अलगाववाद फैलाने, बाहरी लोगो की सहायता से स्थानियों को डराने धमकाने और आतंकित करने के गंभीर आरोप जड़े. जब सांसद रावत से पूछा गया कि वायरल ऑडियो में आवाज आपकी बताई जा रही है तो सांसद ने सीधे तौर पर इससे इंकार करने की बजाय कहा कि सीतामाता अभ्यारण्य के आसपास सैकड़ों बीघा जंगल साफ़ कर दिए तो गाँव के लोगों में आक्रोश स्वाभाविक है - मेरे घर के पास जगल साफ़ कर दिए, जनजाति की पहचान पर्यावरण और पेड़ों को बचाने के लिए है, ऐसे में बाहरी लोग उनके घर और जंगल उजाड़ देंगे , दादागिरी करेंगे और गौफण से मारकर भगायेंगे तो क्या वो आक्रोश जाहिर नहीं करेंगे? प्रतिकार नहीं करेंगे?

10 सितम्बर को उदयपुर कलेक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे बाप समर्थक
10 सितम्बर को उदयपुर कलेक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे बाप समर्थक

सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त के फैसले पर गलत बोले रोत- रावत

सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भीलों के आरक्षण को लेकर जो 1 अगस्त को निर्णय सुनाया उसको लेकर राजकुमार रोत ने गलत ढंग से प्रतिक्रिया दी जिससे भी समाज उन के बारे में समझ गया. रावत ने कहा, " रोत भीलों का सवैधानिक अधिकार नहीं चाहते हैं. केथोलिक चर्च ऑफ़ रांची आदिवासियों के लिये अलग धर्म कोड की डिमांड कर रहा है, ये चर्च का एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं". रावत ने आगे कहा कि रोत कहते हैं आदिवासियों पर IPC लागू नहीं होती लेकिन वहीँ दूसरी और पुलिस थाने के बाहर मुकदमा दर्ज करवाने के लिए धरना देने जाते हैं. वे कहते हैं आदिवासी हिन्दू नहीं हैं और सिन्दूर मंगलसूत्र पहनने वाले माताओं और बहनों का अपमान करते हैं. रावत ने सीधे शब्दों में कहा कि बाप ने बातों का भ्रम जाल फैला रखा था लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद ये बौखलाहट में झूठ बोल रहे हैं. भारत आदिवासी पार्टी पर सवाल खड़े करते हुए रावत ने कहा - पहले ये BTP थी , फिर BAP बनी और आगे जाने BTC बनेगी. कभी ये राष्ट्रपति के चुनाव का बहिष्कार करते हैं कभी राज्य सभा के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं. ये विकास की बात नहीं करते बल्कि अलगाव फैलाने का काम करते हैं.

रावत ने बाप और राजकुमार रोत पर आदिवासी इलाकों में बेरोजगारी बढाने और युवाओं को हिंसक गतिविधियों से जोड़ने का सीधा सीधा आरोप लगाया. रावत ने कहा- ये IPC नहीं मानते लेकिन काकरी डूंगरी में उपद्रव फैलाकर समाज के 7.5 हजार युवाओं पर मुकदमे करवा दिए. ये पांचवी और आठवी पास युवाओं को रोजगार देने की बात करते हैं लेकिन क्या वो पत्थरबाजी में रोजगार देंगे? रावत ने कहा की रोत और उनकी पार्टी के कारण डूंगरपुर में wealth creators जो थे सब पलायन करके चले गए, करीब 350 यूनिट्स जो स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाते थे, सभी चले गए और इलाके में बेरोजगारी बढ़ गई.

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