राजस्थान: स्कूल में सरस्वती पूजा के लिए दबाव, मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पर टिप्पणी ने छेड़ी राजनीतिक बहस!

कैबिनेट मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाला मीणा ने सरकारी स्कूलों में हिजाब पाबंदी की मांग कर दी है।
राजस्थान: स्कूल में सरस्वती पूजा के लिए दबाव, मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पर टिप्पणी ने छेड़ी राजनीतिक बहस!
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जयपुर। राजस्थान के बारां जिले में पहले गणतंत्र दिवस पर सरकारी स्कूल में सरस्वती वंदना के लिए महिला शिक्षक को बाध्य करना, फिर जयपुर शहर के सरकारी स्कूल में विधायक द्वारा धार्मिक नारा लगाकर मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पर टिप्पणी ने कथित रूप से भाजपा की तुष्टीकरण की नीति को बल दिया है।

आगामी लोकसभा चुनावों की दस्तक के साथ भाजपा अपने एजेंडे को तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। हिजाब विवाद को हवा देने के लिए सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाला मीणा भी मैदान में कूद गए हैं। मंत्री मीणा ने सरकारी स्कूलों में हिजाब पाबंदी की मांग कर दी। खास बात यह है कि भाजपा ने यहाँ हिजाब और सरस्वती पर सियासत के लिए एससी व एसटी वर्ग के नेताओं को आगे कर दिया है। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीना एसटी वर्ग से हैं, जबकि शिक्षा मंत्री दिलावर एससी वर्ग से आते हैं।

मामला यहीं नहीं रुका शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी हिजाब बैन के समर्थन के साथ सरकारी स्कूलों में सरस्वती की मूर्ति लगाकर पूजा करने का फरमान जारी कर दिया। इतना ही नहीं शिक्षा मंत्री ने यहां तक कहा कि सरकारी स्कूलों में सरस्वती की मूर्ति नहीं लगाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। सरकारी स्कूलों में सरस्वती की पूजा करने की वकालत करने वाले शिक्षा मंत्री के फरमान का अब विरोध भी होने लगा है।

राजस्थान में क्यों हो रहा शिक्षा मंत्री के बयानों का विरोध!

मूल निवासी विद्यार्थी संघ ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के सरकारी स्कूलों में सरस्वती पूजा को अनिवार्य करने वाले बयान को संविधान विरोधी बताते हुए विरोध किया है। मूल निवासी विद्यार्थी संघ कार्यकर्ताओं ने बुधवार रात संघ के बारां जिलाध्यक्ष मनीष मेघ की अगुवाई में बजरंग गढ़ गाँव में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पुतला जलाकर विरोध किया।

पुतला दहन के दौरान मूल निवासी विद्यार्थी संघ बारां जिलाध्यक्ष मनीष मेघ ने कहा कि, हाल ही में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सभी स्कूलों में सरस्वती की पूजा को अनिवार्य रूप से लागू करने का बयान मीडिया में दिया है। यह बयान संविधान के अनुच्छेद 28 (1), 13 और राजस्थान पूजा अधिनियम 1954 के विपरीत है। संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि स्कूलों में फिर किसी धर्म की पूजा की जाएगी। इसलिए हम इसका विरोध करते हैं, और सेकुलर देश की सरकारी शिक्षण संस्थानों में इसकी कड़ी निंदा करते हैं। इसके विरोध में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पुतला फूंका गया।

मनीष मेघ ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि, "मूल निवासी विद्यार्थी संघ बामसेफ संगठन की ही इकाई है। हमारे शिक्षा मंत्री भाजपा के राजनीतिक एजेंडे के तहत शिक्षा के विकास से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं। हम चाहते हैं कि यह देश कानून से चल रहा है, संविधान से ही चलता रहे। बीजेपी आमजन व युवाओं को धार्मिक बहस में उलझा कर रखना चाहती है। ताकि युवा रोजगार व शिक्षा पर सवाल नहीं करें। हम सरकारी स्कूलों में शिक्षा चाहते हैं। शिक्षा से ही देश की तरक्की होगी।"

क्या हेमलता बैरवा ने छेड़ दी देश में नई बहस?

राजस्थान के बारां जिले में गणतन्त्र दिवस पर सरकारी स्कूल में आयोजित समारोह में सरस्वती की पूजा को लेकर उपजे विवाद ने देश में नई बहस छेड़ दी है। दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा ने सरस्वती देवी की पूजा के इनकार के साथ ही सवाल खड़ा कर दिया कि शिक्षा की देवी कौन है! सावित्री बाई फुले या सरस्वती देवी! इसे लेकर लोगों की अपनी आस्था के हिसाब से अलग-अलग तर्क हो सकते हैं। भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष पीयूष रेगर ने कहा कि यह सेकुलर देश है। धर्म में लोगों की अपनी आस्था है। किसी पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन सरकारी स्कूलों में किसी भी धर्म की शिक्षा या पूजा की संविधान में इजाजत नहीं है।

उन्होंने कहा कि, "गणतन्त्र दिवस पर शिक्षक हेमलता बैरवा ने संविधान के अनुरूप ही सरस्वती कि पूजा से माना किया था। इसके बावजूद शिक्षक पर FIR दर्ज की गई। हम इसका विरोध करते हैं तथा स्कूल में सरस्वती कि पूजा के लिए शिक्षक पर दबाव बनाने वाले ग्रामीणों व आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं।"

लकड़ाई स्कूल में विवाद के बाद परस्पर दर्ज प्रकरण में महिला शिक्षिका ने कहा कि, अभी तक कोई करवाई नहीं हुई है। शिक्षिका ने इससे आगे कुछ भी बोलने से मना कर दिया। घटना के बाद विभागीय कार्रवाई को लेकर द मूकनायक ने जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष शर्मा से बात करना चाहा, लेकिन बात नहीं हो सकी।

ड्रेस कोड फॉलो करना होगा

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "हम किसी को भी हिजाब पहनने से मन नहीं कर रहे हैं। ना किसी को अपना धार्मिक पहनावा पहनने से मना कर रहे हैं। लेकिन विद्यालय का एक ड्रेस कोड होता हे, जो विद्यार्थी होगा उसे ड्रेस कोड मानना पड़ेगा। जो ड्रेस सरकार ने तय किया है उसे पहनना होगा, नहीं तो विद्यालय से वंचित किया जा सकता है। जो भी सरकारी स्कूल सरकार के आदेशों की अवहेलना करेगा उस पर कार्रवाई होगी।"

यह बोले जांच अधिकारी

बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई में आयोजित गणतन्त्र दिवस समारोह में, बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर सहित सावित्री बाई फुले के चित्र के साथ सरस्वती का चित्र लगाकर दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा के साथ गांव के मनबढ़ों द्वारा अभद्रता कर जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर पूजा के लिए बाध्य करने के आरोप में दर्ज मामले में जांच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक हेमंत गौतम ने द मूकनायक को बताया कि अभी जांच चल रही है। जैसे ही जांच पूरी होगी उचित कार्रवाई कि जाएगी।

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