राजस्थान चुनाव 2023: इस निर्दलीय दलित प्रत्याशी ने कर रखा है भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों की नाक में दम!

बारीकी से किया नामांकन पत्रों का अध्ययन- विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से लेकर मेवाड़ राजघराने के वारिस विश्वराज सिंह, सांसद पुत्री तक सभी उम्मीदवारों के नामांकन फॉर्म्स में त्रुटियां पकड़ी, कहा ये चुनाव जीते तो कोर्ट की शरण लेंगे.
राजस्थान चुनाव 2023: इस निर्दलीय दलित प्रत्याशी ने कर रखा है भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों की नाक में दम!
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राजसमंद, राजस्थान: संविधान से देश चलता है और भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों को सुनिश्चित करने के लिए ही हर पांच सालों में चुनाव होते हैं। फ्री एंड फेयर इलेक्शन के लिए स्पष्ट कानून और दिशा निर्देश बनाये गए हैं, लेकिन क्या इन कानूनों की अक्षरशः पालना सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार विधायिका और ब्यूरोक्रेसी अपना काम करती है?

जवाब है नहीं और शायद इसीलिए कानून का उल्लघंन करने वालों के विरुद्ध कानून के ही दम पर एक लड़ाई लड़ रहे हैं निर्दलीय प्रत्याशी एडवोकेट जितेंद्र खटीक जो दलित समाज से आते हैं। जितेंद्र नाथद्वारा और राजसमंद विधानसभा सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में है और इनका दावा है कि दोनों ही जगहों पर कांग्रेस-भाजपा सहित सभी प्रत्याशियों के नामांकन फॉर्म त्रुटिपूर्ण होकर खारिज करने योग्य हैं। एडवोकेट जितेंद्र ने इन सीटों से चुनावी समर में डटे प्रत्याशियों के नामांकन फॉर्म्स की त्रुटियों को रेखांकित करते हुए सम्बंधित रिटर्निंग अफसरों को आपत्ति प्रस्तुत करने की निश्चित अवधि के अंदर ही शिकायत भी की। लेकिन चुनाव अधिकारी द्वारा आपत्ति पर विचार कर नामांकन निरस्त नहीं किये जाने की स्थिति में अब एडवोकेट खटीक चुनाव परिणाम के पश्चात विधायक चुने गए प्रत्याशी की योग्यता को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।

 जितेंद्र खटीक नाथद्वारा और राजसमंद विधानसभा सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में है और इनका दावा है कि दोनों ही जगहों पर कांग्रेस-भाजपा सहित सभी प्रत्याशियों के नामांकन फॉर्म त्रुटिपूर्ण होकर खारिज करने योग्य हैं।
जितेंद्र खटीक नाथद्वारा और राजसमंद विधानसभा सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में है और इनका दावा है कि दोनों ही जगहों पर कांग्रेस-भाजपा सहित सभी प्रत्याशियों के नामांकन फॉर्म त्रुटिपूर्ण होकर खारिज करने योग्य हैं।

द मूकनायक से बातचीत में एडवोकेट जितेंद्र बताते हैं कि नामांकन फॉर्म में किसी प्रकार की कोई भी जानकारी छिपाना या झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करना ना केवल नामांकन निरस्तीकरण का आधार होता है बल्कि उम्मीदवार के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा भी बन सकता है। राजसमंद से भाजपा प्रत्याशी दीप्ति माहेश्वरी के नामांकन फॉर्म की कमियों को इंगित करते हुए एडवोकेट खटीक कहते हैं कि दीप्ति का नाम वर्तमान में दो जगह यानी राजसमन्द और उदयपुर शहर के वोटर्स लिस्ट में है, जबकि जनप्रतिनिधि कानून में यह सम्मत नहीं है। कानूनी तौर से किसी मतदाता का नाम भारत मे एक ही जगह पर हो सकता है।

अगर कोई स्थान परिवर्तन करता है तो पहले वाली सूची से अपना नाम कटवाने के बाद ही वह कहीं अन्यत्र नाम जुड़वा सकता है, लेकिन दीप्ति का नाम उदयपुर में अपने पिता के निवास की मतदाता लिस्ट में अभी भी मौजूद है। खटीक द्वारा की गई इस आपत्ति पर दीप्ति के पिता सत्यनारायण माहेश्वरी ने चुनाव अधिकारी को बताया कि वे दीप्ति का नाम उदयपुर शहर की मतदाता सूची से कटवाने का आवेदन कर चुके हैं। हालांकि खटीक इस जवाब को खारिज करते हुए कहते हैं कि नामांकन फॉर्म भरने की तारीख पर एक से अधिक जगह मतदाता के रूप में पंजीकृत होना ही इन्हें आपात्र मानने को पर्याप्त है।

जन संपर्क करती हुई विधायक दीप्ति माहेश्वरी
जन संपर्क करती हुई विधायक दीप्ति माहेश्वरी

गौरतलब है कि दीप्ति राजसमंद की पूर्व विधायक किरण माहेश्वरी की पुत्री हैं , कोविड-19 संक्रमण से किरण का देहांत नवंबर 2020 में हुआ जिसके बाद उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर उनकी पुत्री दीप्ति 2021 में विधायक बनीं।

सांसद-विधायक किरण माहेश्वरी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट तक लड़े

गौरतलब है कि किरण माहेश्वरी ने 2013 में राजसमंद सीट से चुनाव लड़ा था और 30 हजार से अधिक मतों से जीत कर शिक्षा मंत्री के पद पर रहीं।

माहेश्वरी की ओर से चुनाव के दौरान दाखिल नाम- निर्देशन पत्र पार्टी का चिह्न नहीं होने व रिटर्निंग अधिकारी के बगैर हस्ताक्षर स्वीकार करने को लेकर जितेंद्र कुमार खटीक ने राजनगर थाने में प्रकरण दर्ज कराया था। विधायक व रिटर्निंग अधिकारी ब्रजमोहन बैरवा ने जिला एवं सेशन कोर्ट में निगरानी याचिका दायर की, जो खारिज हो गई। उसके बाद विधायक ने हाइकोर्ट से स्थगनादेश प्राप्त कर लिया, तो जितेंद्र कुमार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

मंत्री के विरुद्ध खटीक ने एक और मामला प्रतापनगर (उदयपुर) थाने में दर्ज करवाया। इसमें आरोप है कि सुखाडिया विवि की एलएलएम परीक्षा में जिम्मेदारों पर दबाव डालकर उसे पास होते हुए भी फेल कराया। खटीक ने यह भी आरोप लगाया कि उसने माहेश्वरी के विरुद्ध पहले से दो अपराधिक प्रकरण दर्ज करवा रखे हैं, जिन्हें खारिज कराने का दबाव बनाया जा रहा है। मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है।

जोशी नाथद्वारा से 1980, 1985, 1998, 2003 व 2018 में कुल 5 बार एमएलए रहे और 2009 में भीलवाड़ा से सांसद रह चुके हैं.
जोशी नाथद्वारा से 1980, 1985, 1998, 2003 व 2018 में कुल 5 बार एमएलए रहे और 2009 में भीलवाड़ा से सांसद रह चुके हैं.

नाथद्वारा में विधानसभा अध्यक्ष ने छिपाई पेंशन की जानकारी, भाजपा प्रत्याशी ने संपत्ति की दी गलत जानकारी

जितेंद्र कुमार खटीक ने बताया कि नाथद्वारा में कॉंग्रेस प्रत्याशी और विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने अपनी सोर्स ऑफ इनकम में पेंशन बताई लेकिन केवल सुखाडिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पद की जानकारी दी। जोशी नाथद्वारा से 1980, 1985, 1998, 2003 व 2018 में कुल 5 बार एमएलए रहे और 2009 में भीलवाड़ा से सांसद चुने गए थे। जितेंद्र कुमार खटीक कहते हैं कि राजस्थान में विधायकों को जितनी बार चुनाव जीते उतनी बार अलग पेंशन देय होती है और इस नाते जोशी को बतौर विधायक 4 पेंशन तथा सासंद के रूप में 1 पेंशन मिल रही है जिसकी जानकारी उन्होंने नॉमिनेशन फॉर्म में नही दी। इसी प्रकार भाजपा प्रत्याशी विश्वराज सिंह मेवाड़ के फॉर्म में उनकी संपत्ति की जानकारी गलत उल्लेखित है। खटीक बताते हैं, " मुझे राजपरिवार के इस सदस्य की प्रॉपर्टी की जानकारी कभी नहीं मिल सकती थी लेकिन विश्वराज सिंह द्वारा डमी केंडिडेट के तौर पर अपनी पत्नी का नामांकन फॉर्म भी भरा गया था ताकि यदि किसी कारणवश उनका फॉर्म खारिज हो तो उनकी पत्नी का नामांकन प्रभावी रहे। दोनो पति-पत्नी द्वारा एक ही दिन एक समय मे बनवाये गए नोटेरीशुदा दस्तावेजों में विश्वराज सिंह की प्रोपर्टी की कीमत/मूल्यांकन समान नहीं है जो हैसियत की गलत जानकारी देने में शुमार है।

पिता को निर्विरोध बनवाया था सरपंच

जितेंद्र कुमार बताते हैं कि चुनाव के नामांकन पत्र भरने की प्रकिया और नियम वार्डपंच से लेकर पार्षद, विधायक या सांसद तक समान है और किसी भी तरह की चूक उम्मीदवार को अपात्र व अयोग्य साबित करवा सकता है। वे बताते हैं 2016 में राजसमन्द के खमनोर में नमाना पंचायत में 1800 वोटों से जीती सरपंच जीना देवी रेगर का नामांकन पत्र त्रुटिपूर्ण था जिसे निरस्त करवाकर जितेंद्र के पिता नानूराम निर्विरोध निर्वाचित हुए और 4.5 वर्ष तक सरपंच रहे। खटीक कहते हैं नामांकन पत्र में त्रुटियां साबित होने पर चुनाव अधिकारी का दायित्व होता है कि वो उसे निरस्त घोषित करें लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी एससी या एसटी निर्दलीय उम्मीदवार के फॉर्म पर आपत्तियां फटाफट स्वीकृत हो जाती है लेकिन कांग्रेस और भाजपा के कद्दावर और प्रभावी परिवारों से आने वाले प्रत्याशियों के फॉर्म में गलतियों को अनदेखा किया जाता है। राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए खटीक कहते हैं कि यदि चुनाव अधिकारी सामान्य वर्ग से आते हैं तो वे जनरल केटेगरी के पार्टी उम्मीदवारों के विरुद्ध कोई भी एक्शन लेने से बचते हैं जो संविधान में समानता की मूल भावना का हनन है। जितेंद्र उदाहरण स्वरूप बताते हैं कि 2021 में नगर परिषद चुनाव में वार्ड का नाम नहीं लिखने के कारण राकेश नामक एससी उम्मीदवार का फॉर्म खारिज हो गया जबकि इस चुनाव में प्रत्याशियों ने आय और प्रोपर्टी की जानकारी छुपाने, गलत सूचना देने, प्रॉपर फॉर्मेट में एफिडेविट नहीं भरने, फोटो नही लगाने या प्रमाणित करने जैसी कई चूक की है लेकिन चुनाव अधिकारी इन्हें नजरन्दाज किये जाते हैं जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के आयोजन की दिशा में एक गलत परंपरा है।

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