राजस्थान: बहुजन समाज पार्टी प्रदेश में डेढ़ सौ से अधिक सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में चुनाव प्रचार का जिम्मा भी पार्टी की स्टार प्रचारक बसपा अध्यक्ष मायावती पर है। बसपा अध्यक्ष ने गत दिनों धौलपुर से जनसभाएं शुरू कीं। इस दौरान धौलपुर, नंदबई, बानसूर, बांदीकुई, करौली व गंगापुर सिटी में सभाएं करने के बाद सोमवार को खेतड़ी व लाडनूं में जनसभाओं को संबोधित किया।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी राजस्थान में अधिकांश सीटों पर बिना गठबंधन अपने बलबूते दमदारी के साथ चुनाव लड़ रही है। हमने किसी पार्टी के साथ कोई चुनावी समझौता नहीं किया है। यहां पार्टी ने राजनैतिक परिवार बढ़ाने के लिए सर्वसमाज के लोगों को भी उनकी संख्या के अनुपात में टिकट दिया है।
करौली व गंगापुर सिटी में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि देश को आजाद हुए और भारतीय संविधान को लागू हुए वर्षों बीत चुके हैं। इस लम्बी अवधि में केंद्र व प्रदेश में विभिन्न विरोधी पार्टी सत्ता में रहीं। सत्ता में रही विरोधी पार्टियों ने देश व राज्यों में सर्वसमाज से विशेषकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ा वर्गों, मुस्लिमों व अन्य धार्मिक अलपसंख्यकों के साथ साथ गरीबों, किसानों, मजदूरों व व्यापारियों तथा अन्य मेहनतकश लोगों का पूर्ण रूप से विकास एवं उत्थान नहीं किया है।
मायावती ने कहा कि दलित आदिवासी वर्गों के लोगों को प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था किए बिना ही केंद्र व राज्यों में भी ज्यादातर सरकारी कार्य बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों को ही दिए जा रहे हैं। जिसके कारण इन वर्गों के लोगों को आर्थिक हानि हो रही है। दलितों व आदिवासियों के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को भी काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। विरोधी पार्टियों की सरकारें इन्हें पूरा लाभ नहीं दे पा रही हैं।
मायावती ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओ को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की जो व्यवस्था की गई है, उसमें एससी-एसटी व ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अलग से कुछ भी आरक्षण नहीं दिया है। इतना ही नहीं इन वर्गों के लोगों को जुर्म ज्यादती से निजात दिलाने के लिए जो नियम व कानून बने हैं। उन पर भी केंद्र व अधिकतर राज्य सरकारें सही से अमल नहीं कर पा रही हैं।
मायावती ने कहा कि विरोधी पार्टियां चुनावों में प्रलोभन भरे घोषणा पत्र जारी कर वोट हथियाने का काम करती हैं। सत्ता में आने के बाद इन वादों को भुला दिया जाता है, जबकि बसपा बिना चुनावी घोषणा पत्र के चुनाव लड़कर सरकार में आने के बाद जनहित के कार्य करती है।
बहुजन समाज पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनावों में तीसरे सबसे बड़े दल के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है, लेकिन कुछ जगहों को छोड़कर विस्तार करने में नाकाम रही है। खासकर बसपा के टिकट पर जीतने वाले विधायकों की बगावत ने भी बसपा के विस्तार को थामा है। ऐसे में इस बार बसपा ने बागी विधायकों से किनारा कर नए चेहरों को मौका दिया है। खास बात यह है कि बसपा गत विधानसभा चुनावों में पूर्वी राजस्थान में मजबूती के साथ उभरी थी। यही वजह है कि इस चुनाव में भी बसपा का फोकस पूर्वी राजस्थान पर ही है। भरतपुर, करौली, दौसा व गंगापुर में बसपा का परंपरागत वोट बैंक बड़ी तादाद में है। ऐसे में यहां से बसपा इस बार भी उम्मीद बांधे हुए है।
बहुजन समाज पार्टी ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भरतपुर जिले के नगर व नदबईए अलवर जिले की तिजारा व किशनगढ़ बास, करौली और झुंझुनूं जिले की उदयपुर वाटी सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस लिए बसपा इस बार भी इसी क्षेत्र में अधिक सक्रिय नजर आ रही है। आपकों को बता दें कि पूर्व में पार्टी से बगावत कर कांग्रेस में चले जाने के बाद पार्टी ने इस बार पहले ही घोषणा कर दी थी कि चुनाव जीतने के बाद बागी होने वाले विधायकों को टिकट नहीं दिया जाएगा। यही वजह है कि इस बार पार्टी ने सबसे पहले उन्हीं सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए थे।
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