राजस्थान चुनाव 2023: क्या दलित घोषणा पत्र से कांग्रेस-बीजेपी कर रही हैं भेदभाव?

दलित संगठनों ने अनुसूचित जाति के हक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए गत सितम्बर माह में जारी किया था दलित घोषणा पत्र।
बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र
बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र
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जयपुर। राजस्थान में 25 नवम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। कांग्रेस ने मंगलवार को जारी अपने जन घोषणा पत्र में तमाम वादे किए है। वहीं बीजेपी ने मतदान से ठीक दस दिन पहले जारी संकल्प पत्र में जनता को वोट के बदले कई गारंटी देने का वादा किया है। इन सब के इतर दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने ‘‘राजस्थान के अनुसूचित जाति वर्ग का जयपुर घोषणा पत्र-2023” की मांगों की काफी हद तक अनदेखा किया है। इससे दलित एक्टिविस्ट खासा नाराज है। वहीं समाज में आक्रोश है।

क्या है दलित घोषणा पत्र?

अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के संयोजक पूर्व पुलिस महानिरीक्षक सत्यवीर सिंह ने बताया कि राजस्थान के 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी के मुद्दों को लेकर दलित घोषणा पत्र बनाया गया है। उस मसौदे को लेकर राज्य भर में एक माह तक सामाजिक न्याय यात्रा निकाली गई थी, जिसमें पचास जिलों के 100 स्थानों पर जन-संवादों के जरिए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह घोषणा पत्र तैयार किया गया है।

यह है दलित समाज की प्रमुख मांगें

दलित एक्टिविस्ट भंवर मेघवंशी ने बताया कि राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग के संगठनों द्वारा गत सितम्बर माह में जारी घोषणा पत्र में निम्नलिखित मांगों को शामिल किया गया है। इनमें 2 अप्रैल, 2018 को भारत बंद के मौके पर राजस्थान में दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने, राज्य में अनुसूचित जाति आयोग और राज्य सफाई कर्मचारी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कारगर तरीके से लागू करने के लिए राज्य, जिला और उपखंड स्तरीय समितियों का गठन हो और ये समितियां हर तीन महीने के अंतराल पर मामलों की समीक्षा करें, पीड़ितों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराया जाए व राज्य के 32 जिलों में स्थापित अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकरण विशेष न्यायालयों में पीड़ितों की प्रभावी पैरवी करने के लिए नियमित कैडर के विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए जाने सहित अन्य मांगें शामिल की गई थीं।

कांग्रेस का घोषणा पत्र
कांग्रेस का घोषणा पत्र

क्या कांग्रेस ने वादे शामिल किए?

कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में समान अवसर आयोग स्थापना, रिजर्व सीटों का बैकलॉग भरने, डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय पाठयक्रम में शामिल करने, आरक्षण समायोजन, शैक्षिक सहायता, अधिकारों की सुरक्षा, डॉ. अम्बेडकर की विरासत का प्रचार, रोजगार व व्यापार के लिए आर्थिक सहायता, जातिगत जनगणना व उसके अनुपात में आरक्षण आदि की व्यवस्था करने का वादा किया है।

बीजेपी का घोषणा पत्र
बीजेपी का घोषणा पत्र

बीजेपी ने दलित मतदाताओं से किए वादे

भारतीय जनता पार्टी ने जारी संकल्प पत्र में आरक्षित पदों का बैकलॉग भरने, अनुसूचित जाति प्रमाणपत्रों का वितरण व कक्षा आठ के छात्र-छात्राओं का जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की व्यवस्था, उच्च शैक्षिक संस्थानों में चयनित बच्चों के लिए आर्थिक सहायता, अनुसूचित जाति के अलग-अलग कल्याण बोर्ड गठित करने का वादा किया है। इसके साथ ही अम्बेडकर तीर्थस्थल यात्रा शुरू करने का प्रावधान व मैला ढोने वाले दलित समाज के लोगों को रोजगार से जोड़ने के वादे प्रमुखता से किए है।

क्यों हैं दलित एक्टिविस्ट नाराज?

दलित सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने बताया कि दलित घोषणा पत्र के कुछ अहम मांगों को दोनों ही पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में शामिल नहीं किया है। इनमें प्रमुख मांग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कारगर तरीके से लागू करने के लिए राज्य, जिला और उपखंड स्तरीय समितियों का गठन, समितियां हर तीन महीने के अंतराल पर मामलों की समीक्षा व न्यायालयों में पीड़ितों की प्रभावी पैरवी करने के लिए नियमित कैडर के विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए जाने सहित अन्य मांगें शामिल हैं। दलित अधिकार केन्द्र के निदेशक व अधिवक्ता सतीश कुमार भी भंवन मेघवंशी की बात को दोहराते हुए कहते है कि दलित अधिकार पत्र में की गई कई मांगों को दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों ने शामिल नहीं किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि दलित समाज के मुददे उनकी प्राथमिकता में नहीं है। चुनाव में सजग दलित मतदाता अपने वोट से इस अनदेखी का जवाब देंगे।

पहले किया वादा अब मुकरे

दलित संगठनों की ओर से जब घोषणा पत्र जारी किया गया था। उस समय एक सम्मेलन कर सभी प्रमुख दल के अनुसूचित समाज के नेताओं को आमंत्रित किया था। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने इस दलित घोषणा पत्र में शामिल सभी मुद्दों को अपने-अपने दल के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया था। इस संबंध में दोनों ही पार्टियों के प्रवक्ताओं से सम्पर्क किया गया, लेकिन उन्होंने इसपर टिप्पणी करने से मना कर दिया।

कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र की तुलना में अनुसूचित जाति के मुद्दों को ज्यादा जगह दी: भंवर मेघवंशी

राजस्थान विधान सभा के चुनाव हेतु विभिन्न राजनैतिक दलों ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर कई चुनावी वादे किए हैं। आज राज प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी अपना चुनावी घोषणा जारी किया है, जिसका राजस्थान के दलित संगठनों ने खुले दिल से स्वागत किया है। लेखक भंवर मेघवंशी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में दलितों की सुरक्षा, न्याय, शिक्षा, के लिए कई महत्वपूर्ण वादे किए हैं, जिनमें बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन दर्शन को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल करने का जो वादा किया है वो सामाजिक न्याय में मिल का पत्थर साबित होगा। इसके अलावा भंवर मेघवंशी ने यह भी कहा है कि कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र की तुलना में अनुसूचित जाति के मुद्दों को ज्यादा जगह दी है.

दलित महिला कार्यकर्ता सुमन देवठिया ने घोषणा पत्र के सम्बंध में कहा कि, इतिहास में पहली बार दलित महिलाओं को विशेष पहचान देकर शामिल किया गया है। अनुसूचित जाति सब प्लान का 25 प्रतिशत राशि सिर्फ दलित महिलाओं के लिए खर्च करने का वादा बहुत ही हितकारी महिलाओं के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, वहीं अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के संयोजक सत्यवीर सिंह ने कहा कि, कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में उत्पीड़न के मामलों में सुरक्षा न्याय के लिए निष्पक्ष अधिकारियों की नियुक्ति व फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना का वादा किया है, सरकारी नौकरियो में कोटे को पूरा करने का वादा किया है.

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