भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में भीतर ही भीतर विरोध की लहर उभरने लगी है, और इसका निशाना बने हैं टीकमगढ़ से दलित सांसद और भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, वीरेंद्र कुमार खटीक। बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा के अंदरुनी मतभेद अब खुलकर सामने आ रहे हैं। खासतौर पर, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं और विधायकों ने वीरेंद्र खटीक पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
छतरपुर जिले से भाजपा विधायक ललिता यादव ने वीरेंद्र कुमार पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने छतरपुर में कांग्रेस के एजेंटों और अपराधियों को सांसद प्रतिनिधि बनाया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री विधायकों के कार्यक्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष पैदा हो रहा है। ललिता यादव ने वीरेंद्र कुमार द्वारा ली जा रही पार्टी के सदस्यता अभियान की बैठक का बहिष्कार करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।
यह विवाद तब और बढ़ गया जब पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह ने भी केंद्रीय मंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। सिंह ने कहा कि वीरेंद्र ने जिन व्यक्तियों को सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया है, वे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं और उन पर हत्या और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप हैं। उन्होंने दावा किया कि इन लोगों ने महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से उनके बेटे और भाजपा विधायक कामाख्या प्रसाद सिंह के खिलाफ गुटबाजी की।
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा, "आरोप लगाने के लिए किसी को रोका नहीं जा सकता। मैं चुनौती देता हूँ कि अगर एक भी आरोप सिद्ध हो जाए, तो मैं कोई भी सजा भुगतने को तैयार हूँ।"
बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा के भीतर आयातित नेताओं और पुराने भाजपाई नेताओं के बीच संघर्ष की स्थिति बनती दिख रही है। खासकर कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के प्रति अस्वीकार्यता का भाव पुरानी पार्टी इकाई के सदस्यों में देखा जा रहा है। इसी संदर्भ में, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार का कहना है कि कुछ आयातित नेता, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं, अब मूल भाजपा कार्यकर्ताओं को निर्देश देने लगे हैं, जो पार्टी की आंतरिक संरचना के लिए नुकसानदेह है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा, "वे नेता, जिन्होंने भाजपा में आए हुए अभी कुछ ही समय हुआ है, अब हमें सिखा रहे हैं कि पार्टी में क्या करना है।" उनका यह बयान उन नेताओं पर तंज था, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं और अब पार्टी के आंतरिक मामलों में दखल दे रहे हैं।
यहां के राजनीतिक समीकरणों पर नजर डालें तो, बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा के भीतर गुटबाजी के आरोपों के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। मूल भाजपाई और आयातित नेताओं के बीच की यह खींचतान आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
भाजपा में इस तरह के खुले विरोध की घटनाएं कम ही देखी जाती हैं, खासकर जब केंद्रीय नेतृत्व किसी दलित नेता को सशक्त बनाने की कोशिश कर रहा हो। वीरेंद्र कुमार खटीक लंबे समय से दलित समाज के महत्वपूर्ण नेता रहे हैं और उनके खिलाफ उठे यह आरोप पार्टी के भीतर उथल-पुथल को दर्शाते हैं।
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