भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता पर विवाद गहराता जा रहा है। भाजपा की बैठकों में उनकी नियमित उपस्थिति से यह साफ है कि वह कांग्रेस में नहीं है! कांग्रेस विधायक दल जल्द ही विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग करेगा।
वर्ष 2023 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनीं निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का समर्थन किया, जिससे कांग्रेस खेमे में नाराजगी फैली। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ मंच साझा किया और भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में क्षेत्रीय विकास का हवाला देते हुए प्रचार किया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने निर्मला सप्रे और रामनिवास रावत के विरुद्ध दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई का आवेदन दिया था। इसमें दोनों पर कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के पक्ष में गतिविधियों में शामिल होने के प्रमाण पेश किए गए। इसके आधार पर उन्होंने दोनों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी। जहां रावत ने खुद इस्तीफा दे दिया, वहीं सप्रे ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया कि उन्होंने कोई दल-बदल नहीं किया है।
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, ने सप्रे से उनकी दलीय स्थिति स्पष्ट करने के लिए नोटिस जारी किया था। सप्रे ने पहले तो जवाब देने का समय मांगा और बाद में आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी। अब यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के पटल पर लंबित है और कांग्रेस विधायक दल अध्यक्ष से शीघ्र निर्णय लेने की मांग कर रहा है।
निर्मला सप्रे हाल ही में प्रदेश भाजपा कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुईं। मीडिया ने जब उनसे स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया तो उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया और सवालों को टाल गईं। उनके इस रवैये से कांग्रेस पार्टी और अधिक सख्त हो गई है और सदस्यता समाप्ति की मांग को लेकर तैयारी शुरू कर दी।
मध्य प्रदेश विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे का कहना है कि अब इस मामले में कोई संदेह नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, "विधानसभा की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए अध्यक्ष को शीघ्र निर्णय लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।" उनका मानना है कि निर्मला सप्रे के भाजपा में लगातार सक्रिय रहने के प्रमाणों के बावजूद उन्हें कांग्रेस विधायक के रूप में देखना अनुचित है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता अब इस मामले में शीघ्र निर्णय की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि विधानसभा की गरिमा बनाए रखने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल सदस्यों के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अध्यक्ष को शीघ्र फैसला लेना चाहिए।
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