MP के राज्य मंत्री पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने का आरोप, हाईकोर्ट में याचिका दायर

मंत्री गौतम टेटवाल पर आरोप है कि वह जीनगर जाति से हैं, जो कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत सूची में 11 वे नंबर पर छीपा, भावसार, नीलगर आदि जाति के साथ दर्ज है।
राज्य मंत्री गौतम टेटवाल
राज्य मंत्री गौतम टेटवाल
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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री गौतम टेटवाल के अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चे के ही एक पदाधिकारी ने आरोप लगाया है कि टेटवाल का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है, वह अनुसूचित जाति के नहीं हैं।

दरअसल, सारंगपुर विधायक और कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगी है, जिसकी अगले हफ्ते सुनवाई होनी है।

बताया जा रहा है कि वह जीनगर जाति से हैं, जो कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत सूची में 11 वे नंबर पर छीपा, भावसार, नीलगर आदि जाति के साथ दर्ज है।

पूर्व में एक मामले में जिला अदालत ने 18 दिसंबर 2019 को दस्तावेजों के आधार पर फैसला सुनाया था कि टेटवाल के पुत्र अनुसूचित जाति के नहीं हैं। मारपीट के इस मामले में टेटवाल के पुत्र पृथ्वीराज ने खुद को मोची बताते हुए आरोपियों पर एट्रोसिटी एक्ट का केस दर्ज कराया था। हालांकि, अदालत ने फैसले में आरोपियों पर से एट्रोसिटी एक्ट का केस खत्म करने के आदेश दिए थे।

एक स्थानीय समाचार पत्र के मुताबिक, गौतम टेटवाल ने आदर्श ग्रुप माध्यमिक विद्यालय सारंगपुर में वर्ष 1969 में कक्षा एक में प्रवेश लिया था और 1978 तक पढ़ाई की। इस दौरान के स्कॉलर रजिस्टर में इनकी जाति जीनगर दर्ज है।

एक्सीलेंस स्कूल के प्रिंसीपल की तरफ से 12 जून 2007 को दिए गए प्रमाण के अनुसार गौतम टेटवाल की जाति जीनगर है। जन्मतिथि 5 सितंबर 1963 है। यही तारीख विधानसभा में दी गई जानकारी में भी है। मंत्री गौतम टेटवाल के पिता भेरूलाल टेटवाल पिता हजारीलाल टेटवाल शिक्षक के पद पर पदस्थ और उनकी सर्विस रिकार्ड में भी उनकी जाति जीनगर दर्ज है।

टेटवाल की जाति को लेकर एक याचिका विधानसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग में भी गई थी, लेकिन वहां से कार्रवाई नहीं हुई। पता यह चला कि राज्यमंत्री टेटवाल को राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति छानबीन समिति की तरफ से क्लीन चिट दी जा चुकी है।

इधर, मंत्री गौतम टेटवाल का कहना है कि उन पर लग रहे आरोप गलत हैं। इस मामले में पहले ही छानबीन समिति से क्लीनचिट मिल गई है। यह सिर्फ राजनीतिक षडयंत्र है।

जानिए क्या हैं नियम?

शासकीय सेवा एवं अन्य आरक्षण लाभ पाने के लिए फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का उपयोग एवं नौकरी हासिल करने वाले शासकीय सेवकों के लिए राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 27 अगस्त 2007 को नियम-निर्देशों के संबंध में प्रदेश के समस्त कलेक्टरों को पत्र भेजे गए थे।

सामान्य प्रशासन के नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र की शिकायतों पर राज्य छानबीन समिति द्वारा जांच की जाती है। जांच समिति या प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जांच में यह पाया जाता है कि जाति प्रमाण पत्र आवेदक द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर प्राप्त किया गया है तो आवेदक को जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर ली गई सुविधाओं से तो वंचित होना पड़ेगा। इसके साथ ही उसके द्वारा जो लाभ प्राप्त किया गया है उसकी भरपाई भी करना पड़ेगी।

यदि उसने शैक्षणिक संस्थाओं, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि में प्रवेश लिया है तो उसका प्रवेश रद्द किया जायेगा। शासन द्वारा उस पर किये गये खर्च की क्षतिपूर्ति भी उसे करनी होगी तथा संबंधित के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। जांचकर्ता अधिकारी द्वारा असावधानीपूर्वक गलत जाति प्रमाण-पत्र जारी किया गया है तो उस प्राधिकृत अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक एवं विभिन्न कानूनों के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की सकेगी।

राज्य स्तरीय समिति करती है जांच

सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश परिपत्र दिनांक 1 अगस्त, 1996 द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के जाति प्रमाण-पत्रों के मामलों की छानबीन करने के लिये राज्य स्तर पर एक उच्च स्तरीय छानबीन समिति गठित करने का प्रावधान किया गया था, साथ ही ये भी निर्देश प्रसारित किये गये थे कि छानबीन समिति द्वारा जाति प्रमाण-पत्र फर्जी एवं गलत पाये गये हैं तो ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध विभागाध्यक्ष, संभागीय आयुक्त, कलेक्टर द्वारा आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जायेगा तथा उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक एवं विभिन्न अधिनियमों के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।

विधानसभा सदस्यता हो सकती है शून्य

छानबीन समिति द्वारा यदि किसी विधायक का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया जाता है, तो इस स्थिति में निर्वाचन आयोग सदस्यता को शून्य करने की अनुशंसा विधानसभा को भेज सकता है। इसके अलावा वेतन और मिले सभी भत्तों की रिकवरी भी की जाती है।

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