मायावती का भाजपा व कांग्रेस पर निशाना, कहा-चुनाव में मिथ्या प्रचार और वादों की भरमार 

मायावती ने कहा कि जन समस्याओं पर ध्यान केंद्र‍ित करने के बजाय भाजपा व कांग्रेस ज्यादातर आरोप-प्रत्यारोप की नकारात्‍मक राजनीति में ही व्यस्त हैं तथा चुनाव में मिथ्या प्रचारों व वादों की भरमार लगा रखी है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर निशाना साधा और कहा कि चुनाव में मिथ्या प्रचारों व वादों की भरमार लगा रखी है।

बसपा मुखिया मायावती ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि देश में व्यापक स्तर पर गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई तथा कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, साफ पानी एवं कानून व्यवस्था जैसी बुनियादी जरूरतों के अभाव से करोड़ों लोगों का जीवन त्रस्त है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस एवं इनकी सरकारें आरोप-प्रत्यारोप तथा महाराष्ट्र एवं झारखंंड विधानसभा के चुनाव के मद्देनजर फिर से रेवड़ी व वादों की घोषणाओं में व्यस्त हैं।

उन्होंने कहा कि जन समस्याओं पर ध्यान केंद्र‍ित करने के बजाय भाजपा व कांग्रेस ज्यादातर आरोप-प्रत्यारोप की नकारात्‍मक राजनीति में ही व्यस्त हैं तथा चुनाव में मिथ्या प्रचारों व वादों की भरमार लगा रखी है। जबकि जनता देख रही है कि इनके द्वारा किए गए पिछले वादों का क‍ितना बुरा हाल हो रहा है।

मायावती ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, इन दोनों पार्टियों द्वारा जनता से किए गए वादे निभाए नहीं जा रहे हैं, क्योंकि इनके वादे होते ही हैं लोगों को गुमराह करने व सरकार बन जाने पर उन्हें भुला देने के लिए। यही कारण है कि खासकर हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक की कांग्रेसी सरकारें वादाखिलाफी का आरोप झेल रही हैं तथा यूपी सहित भाजपा की सरकारें जनहित व जनकल्याण के वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जुगाड़ की राजनीति करती नजर आती हैं।

बसपा मुखिया ने कहा कि ये पार्ट‍ियां कर्म को धर्म नहीं मानकर धर्म के ही कार्यक्रमों में ज्यादा व्यस्त नजर आती हैं, ये जनहित व जनकल्याण से वादाखिलाफी नहीं, तो और क्या है? यही वह कारण है क‍ि बसपा चुनाव में जनता को गुमराह करने वाला कोई घोषणा पत्र जारी नहीं करती है, बल्कि करोड़ों गरीबों, मजलूमों व बेरोजगारों के प्रति ईमानदार कर्म को ही अपना संवैधानिक दायित्व व राजनीतिक धर्म मानकर कार्य करती है और सरकार बनने पर जनहित व जनकल्याण तथा पिछड़ेपन को दूर करने के ऐतिहासिक कार्य करके भी दिखती है। यूपी में अब तक चार बार रही बसपा की सरकार एक मिसाल है।

उन्होंने कहा कि बसपा सरकार ने सरकारी व गैर-सरकारी स्तर पर जितने रोजगार मुहैया कराए हैंं, उतने रोजगार उसके बाद की सपा और भाजपा सरकार मिलकर भी अब तक दे पाई है। इसी प्रकार, कांग्रेस व भाजपा के पिछले अनुभवों के मद्देनजर देश की करोड़ों जनता द्वारा दोनों ही पार्टियों से यह पूछना स्वाभाविक है कि वे अपने वादों को क्यों नहीं निभाते ?" इसके साथ ही खासकर महाराष्ट्र व झारखंंड विधानसभा आम चुनाव दौरान लोगों की यह मांग भी शत प्रतिशत जायज है कि उन्हें रेवड़ी नहीं रोजगार चाहिए।

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