महाराष्ट्र चुनाव: सीएम शिंदे की सीट कोपरी-पचपखड़ी पर दिलचस्प मुकाबला, क्या विपक्ष की रणनीति होगी सफल?

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर 2004 में ठाणे विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुआ। 2009 में जब कोपरी-पचपखड़ी अलग निर्वाचन क्षेत्र बना, तब से शिंदे ने यहां से लगातार तीन बार जीत हासिल की। यह सीट शिंदे की पहचान बन चुकी है, लेकिन अब उनके सामने नई चुनौती है।
सीएम एकनाथ शिंदे
सीएम एकनाथ शिंदे
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में ठाणे शहर का कोपरी-पचपखड़ी क्षेत्र खास चर्चा में है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस गढ़ में इस बार कड़ी टक्कर की संभावना है! यह सीट मुख्यमंत्री शिंदे के राजनीतिक सफर की पहचान मानी जाती है, जहां से वह लगातार चार बार चुनाव जीत चुके हैं। उनकी निगाह अब पांचवीं बार जीत हासिल करने पर है, पर इस बार की चुनौती पहले से कहीं अधिक कठिन लग रही है, क्योंकि विपक्ष ने एक ऐसा दांव खेला है, जो शिंदे की सियासी जमीन को हिला सकता है।

विपक्ष का मास्टरस्ट्रोक: शिवसेना (यूबीटी) ने उतारा शिंदे के गुरु का भतीजा

शिवसेना (यूबीटी) ने यहां से केदार दिघे को टिकट दिया है, जो दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे के भतीजे हैं। आनंद दिघे को ठाणे क्षेत्र में शिवसेना का मजबूत आधार बनाने का श्रेय दिया जाता है, और शिंदे उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते रहे हैं। इसी रिश्ते का फायदा उठाते हुए विपक्ष ने शिंदे के खिलाफ भावनात्मक जुड़ाव पैदा करने की रणनीति बनाई है। ठाणे में आनंद दिघे के प्रति लोगों की भावनाएं मजबूत रही हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका नाम इस चुनाव में क्या असर डालता है।

शिंदे का राजनीतिक सफर

एकनाथ शिंदे का इस क्षेत्र से राजनीतिक सफर 2004 में ठाणे विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुआ। 2009 में जब कोपरी-पचपखड़ी अलग निर्वाचन क्षेत्र बना, तब से शिंदे ने यहां से लगातार तीन बार जीत हासिल की। यह सीट शिंदे की पहचान बन चुकी है, लेकिन अब उनके सामने नई चुनौती है। बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत के बाद शिवसेना का विभाजन हुआ, और शिंदे ने अपनी अलग पहचान बनाई। अब, शिंदे को उस क्षेत्र के लोगों का समर्थन दोबारा हासिल करना है, जो कभी उनके गुरु आनंद दिघे का गढ़ था।

ठाणे में शिवसेना का ऐतिहासिक प्रभाव

ठाणे शिवसेना के शुरुआती गढ़ों में से एक है, जहां बाल ठाकरे की पार्टी ने पहली बार अपनी पकड़ बनाई। कोपरी-पचपखड़ी सीट का महत्व इसीलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) ने शिंदे को लगातार 'गद्दार' करार दिया है। ठाणे में शिंदे की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए शिवसेना (यूबीटी) ने इस बार हरसंभव प्रयास किए हैं। उद्धव ठाकरे का नेतृत्व इस सीट पर शिंदे के खिलाफ मजबूत प्रतिद्वंद्वी बन सकता है।

लोकसभा चुनाव में शिंदे के प्रभाव का साफ नजारा देखने को मिला। ठाणे संसदीय क्षेत्र में शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने शिवसेना (यूबीटी) के मौजूदा सांसद राजन विचारे को हराया था। विधानसभा क्षेत्र के कोपरी-पचपखड़ी इलाके में शिंदे समर्थित उम्मीदवार नरेश म्हस्के ने 44,875 वोटों की बढ़त हासिल की थी, जो कि शिंदे की मजबूत पकड़ को दिखाता है। यहां के कुल 3.38 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 1.58 लाख महिलाएं हैं, जिनकी भूमिका चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकती है।

क्षेत्र के मुख्य मुद्दे

1. पुरानी इमारतों का पुनर्विकास – क्षेत्र में कई पुरानी इमारतें हैं, जिन्हें नए सिरे से विकसित करने की जरूरत है। निवासियों का मानना है कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

2. ट्रैफिक और सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं – वाहनों की बढ़ती संख्या और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन ने लोगों की दैनिक जीवन में मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

3. रोजगार और बुनियादी सुविधाएं – युवाओं में रोजगार की कमी और क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति को भी मुख्य मुद्दों में गिना जा रहा है।

शिंदे ने इस क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी है, लेकिन बगावत के बाद यहां उनकी छवि को लेकर मतदाताओं की राय जानना दिलचस्प होगा। विपक्ष की ओर से लगातार उन्हें गद्दार बताने का प्रभाव चुनाव पर पड़ सकता है।

महा विकास अघाड़ी की रणनीति

महा विकास अघाड़ी में शिवसेना (यूबीटी) के साथ कांग्रेस और एनसीपी भी हैं, लेकिन ठाणे में कांग्रेस और एनसीपी का अब ज्यादा आधार नहीं बचा है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को मात्र 24,197 वोट मिले थे, जो इस बात का संकेत है कि कोपरी-पचपखड़ी सीट पर महा विकास अघाड़ी पूरी तरह शिवसेना (यूबीटी) पर निर्भर करेगी। केदार दिघे का चुनाव मैदान में होना विपक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बन सकता है, जिससे मतदाताओं के बीच भावनात्मक अपील का सहारा लिया जा रहा है।

कोपरी-पचपखड़ी सीट पर इस बार का चुनाव शिवसेना (यूबीटी) और एकनाथ शिंदे के बीच सीधी टक्कर का होगा! शिंदे के लिए यह चुनाव पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि विपक्ष ने उनके राजनीतिक गुरु के परिवार के सदस्य को मैदान में उतारकर सियासी चाल खेली है। इस सीट पर जनता का रूझान बदल सकता है।

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