भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए संचालित योजनाएं कागजों तक सिमट कर रह गई है। हाल यह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 समाप्ति की ओर है, और योजनाओं के लक्ष्य सिर्फ 50 प्रतिशत तक ही पूरे हो पाए हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को रोजगार और व्यापार से जोड़ने के लिए संचालित योजनाओं के तहत ऋण देने थे। लेकिन इन योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य, सिर्फ 50 प्रतिशत ही पूरे हो पाए हैं। जबकि 31 मार्च को यह वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा है।
वर्तमान में अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के द्वारा चार योजनाएं संचालित की जा रही हैं। जिसमें एक लाख से दो करोड़ तक व्यापार के लिए ऋण देने का प्रावधान है। लेकिन योजनाओं में आवेदन होने के बाद भी स्वीकृत नहीं हुए। इसके साथ कुछ योजनाओं में तो लक्ष्य के 10 प्रतिशत आवेदन ही विभाग को नहीं मिले। यदि 31 मार्च तक तय लक्ष्य के अनुसार आवेदन नहीं मिले तो स्वीकृत बजट की राशि लैप्स हो जाएगी।
संत रविदास स्वरोजगार योजना के तहत एक लाख रुपये से से पचास लाख रुपये तक के उद्योग परियोजनाएं शामिल है। जैसे एग्रो प्रोसेसिंग, फूड प्रोसेसिंग कोल्ड स्टोरेज, मिल्क प्रोसेसिंग इसी तरह की अन्य परियोजनाएं।
वहीं सेवा इकाई एवं खुदरा व्यवसाय प्रोजेक्ट में ब्यूटी पार्लर वाहन मरम्मत फुटवियर मरम्मत किराना व्यवसाय कपड़ा व्यवसाय हेतु परियोजना एक लाख रुपये से पच्चीस लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। इस योजना के लिए आवेदक की शिक्षा आठवीं पास एवं न्यूनतम आयु 18 से 45 वर्ष होना अनिवार्य है। साथ ही आवेदक के परिवार की वार्षिक आय 12 लाख से अधिक नही होना चाहिए। योजना में निगम वित्तीय सहायता के लिए 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान देता है।
इस योजना के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2 हजार का लक्ष्य तय किया गया था, जिसमें निगम को 6027 आवेदन प्राप्त हुए, इनमें से 1354 आवेदन स्वीकृत किये, और सिर्फ 1119 लोगों को राशि का वितरण हो पाया।
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना में दस हजार रुपए से एक लाख तक की स्वरोजगार परियोजनाएं शामिल है। इस योजना में संचालित व्यवसाय के विस्तार के लिए भी लोन दिया जाता है। योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक की आयु 18 से 55 वर्ष तक होना अनिवार्य है। इसके साथ ही आवेदक आयकर दाता न हो। निगम द्वारा स्वीकृत लोन पर वित्तीय सहायता के रूप में 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान दिया जाता है।
इस योजना में निगम ने 5 हजार को ऋण देने का लक्ष्य रखा था, जिसमें सिर्फ 3697 आवेदन ही आए, जिसमें से भी सिर्फ 1342 केस स्वीकृत हुए और 1155 लोगों को ही राशि वितरण हो पाई।
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के हित में विभिन्न विभागों के माध्यम से प्राप्त होने वाले विशेष परियोजना प्रस्तावों में सहायता दी जाती है। वित्तीय सहायता के लिए अधिकतम राशि रुपए दो करोड़ तक योजना की संपूर्ण लागत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है, इस योजना में लक्ष्य संख्या 10 रखा गया था, जिसमें 29 आवेदन विभाग को मिले, 21 लोगों के ऋण स्वीकृत हुए, वहीं वितरण संख्या वर्तमान में शून्य है।
सावित्रीबाई फुले स्वयं सहायता समूह योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह को इस योजना में शामिल किया गया है। जिनको दो करोड़ तक का लोन दिए जाने का प्रावधान है।
इस संबंध में द मूकनायक ने अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष सावन सोनकर से बातचीत की। हमने उनसे पूछा निगम ऋण लक्ष्य के पूरा नहीं होने के क्या कारण रहे? निगम के अध्यक्ष ने कहा- प्रगति रिपोर्ट के जानकारी नहीं हैं, जानकारी करके ही कुछ बता पाऊंगा।
इधर, हमारी पड़ताल में सामने आया कि वित्त विकास निगम में देरी से आरहे बजट और योजनाओं का प्रचार प्रसार ठीक तरह से नहीं होने के कारण लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी बजट आवंटन में देरी होने के कारण लक्ष्य पूरा नहीं हुआ था। इसके साथ ही योजनाओं का प्रचार-प्रसार ग्रामीण इलाकों तक नहीं हो पाया था। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान वित्तीय वर्ष में तो योजनाओं के प्रसार के लिए पम्पलेट (प्रचार के लिए पर्चे) तक नहीं प्रिंट हो पाए। इसके साथ राज्य स्तर पर जनसंपर्क विभाग द्वारा, होर्डिंग या किसी तरह का विज्ञापन भी जारी नहीं किया गया।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति युवा संघ (नाजी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर बिछोले ने कहा- "सरकार अनुसूचित जाति से संबंधित सभी योजनाओं में लापरवाही करती है, यह कोई पहली बार नहीं है। अन्य योजनाओं का भी यही हाल है। ये न ही वंचित वर्ग को नौकरी दे पारहे और न ही रोजगार की व्यवस्था कर पारहे। इनके दावे वादे मंचों और भाषणों तक सीमित हैं।"
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम मर्यादित संचालित होता है। निगम अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और व्यवसाय से जोड़ने के लिए योजनाएं बनाता है। और इन्हीं योजनाओं से एससी वर्ग के लोगों को विभिन्न प्रॉजेक्टो के तहत लोन देता है। लोन की प्रक्रिया में आवेदकों के निकटवर्ती बैंक से लोन दिलाया जाता है। जिसमें ब्याज पर छूट देने का प्रावधान निगम द्वारा दिया जाता है।
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