मध्य प्रदेश: इंडिया गठबंधन के सामने लोकसभा चुनाव में OBC मतदाता को साधने की चुनौती!

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे भी इंडिया गठबंधन के दलों को सीट बंटवारे पर बात करने को दे चुके है नसीहत।
मध्य प्रदेश: इंडिया गठबंधन के सामने लोकसभा चुनाव में OBC मतदाता को साधने की चुनौती!
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भोपाल। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और इंडिया (INDIA) गठबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती दिख रही है। इस चुनौती को हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा परिणाम से साफ देखा जा सकता है। सबसे बड़ी परेशानी सीट बंटवारे को लेकर है। हालांकि इस मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे भी इंडिया गठबंधन के दलों को सीट बंटवारे पर बात करने को कह चुके हैं। इधर, मध्य प्रदेश में 230 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में एक भी सीट समाजवादी पार्टी (सपा), आम आदमी पार्टी को नहीं मिली है। मध्यप्रदेश में इंडिया गठबंधन में किसको कितनी सीटें मिलेंगी यह तय नहीं हैं।

इस बार विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कुल 230 सीट में भाजपा को 163, कांग्रेस को 66 और एक सीट भारत आदिवासी पार्टी को मिली है। इस बार सपा को एक भी सीट नहीं मिल पाई जबकि पिछली बार एक सीट मिली थी। विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और सपा में टकराव दिखाई दिया था। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने चुनावी रैलियों में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। वर्तमान में 29 लोकसभा सीटों में से 28 बीजेपी के पास है। सिर्फ एक सीट कांग्रेस के पास है। यह सीट पूर्व सीएम कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ की है जो छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते थे।

5 सीटों पर 'सपा' की तैयारी 

मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों पर होने वाले आगामी चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन की स्थिति साफ नहीं हो रही है। इधर, सपा सीटों की शेयरिंग को लेकर आश्वस्त है। द मूकनायक से सपा के प्रदेशाध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी को आगामी लोकसभा में प्रदेश से पांच सीटें मिलनी चाहिए। इसको लेकर हमने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात की है। सपा लोकसभा चुनाव के लिए शिवपुरी, टीकमगढ़, सतना, सागर और ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से तैयारी में जुटी है और इन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। हालांकि अभी तक सीट बंटवारे को लेकर स्थिति कुछ भी साफ नहीं है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नितिन दुबे ने बताया कि मध्य प्रदेश की जनता ने कभी भी थर्डफ्रंट को स्वीकार नहीं किया है। दर्जनों राजनीतिक दलों ने चुनावों में किश्मत आजमाई, लेकिन सफल नहीं हुए। मुझे लगता है जिस तरह के परिणाम विधानसभा चुनाव में मिले हैं। यह साफ है कि भाजपा-कांग्रेस के अलावा कोई अन्य दल जनमत नहीं जुटा पायेगा। मध्य प्रदेश में गठबंधन में सीटें शेयर होना मुश्किल लग रहा है.

विधानसभा में सपा ने मांगी थीं 7 सीटें 

साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस से 7 सीटों की मांग की थी। सपा का तर्क था कि पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट जीती थी और 6 विधानसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। कांग्रेस इतनी संख्या में सीटें देने को तैयार नहीं हुईं। सपा ने सीटों के बंटवारे की मांग से पहले ही 6 सीटों पर उम्मीदवार घोषित भी कर दिए थे।  समाजवादी पार्टी ने निवाड़ी, राजनगर, मंडेरा, मेंहगांव, धौहानी और चितरंगी सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया था। इंडिया गठबंधन के तहत जब सपा-कांग्रेस के बीच चुनाव लड़ने की बात नहीं बनी तब सपा ने अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार शुरू कर दिया था और फिर चुनाव लड़ा था। 

अखिलेश ने कमलनाथ पर बोला था हमला

मध्य प्रदेश में चुनावी सभा के दौरान सपा प्रमुख और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि जिनके नाम में कमल हो, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हो। वो बीजेपी की भाषा ही बोलेंगे, दूसरी भाषा नहीं बोलेंगे। अखिलेश ने कहा कि वैसे तो अखबारों में आपने बहुत कुछ पढ़ लिया होगा। एक समय तो ऐसा था, लग रहा था हम लोग गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हम लोगों में बातचीत हुई और पता नहीं क्या, किस कारण वो बात खत्म हो गई।

गठबंधन में चुनाव लड़ने का मौका मिला था। मैं तो कहूंगा कि ये अच्छा किया कांग्रेस पार्टी ने अभी धोखा दे दिया, अगर बाद में धोखा दिया होता तो हम कहीं के नहीं बचते। इसके अलावा भी अखिलेश ने चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस और कमलनाथ पर जमकर हमले किए थे। इधर, अखिलेश यादव की टिप्पणी के बारे में जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मीडिया ने सवाल किए थे तो कमलनाथ ने कहा- "अरे भाई छोड़ो अखिलेश, वखिलेश." कांग्रेस और सपा के बीच विधानसभा चुनाव में हुए टकराव से यह साफ नजर आ रहा है की प्रदेश में इंडिया गठबंधन की राह इतनी आसान नहीं होगी। वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में सपा का वोट प्रतिशत एक प्रतिशत से भी कम रहा है। ऐसे में पांच संसदीय सीट सपा को मिलना मुश्किल है। 

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