MP उपचुनाव: विजयपुर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर, जानिए क्या हैं जातीय समीकरण?

भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने चुनावी प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। रामनिवास रावत जहां अपने अनुभव को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मुकेश मल्होत्रा आदिवासी समुदाय के समर्थन को मजबूत बनाने में जुटे हैं।
MP उपचुनाव: विजयपुर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर, जानिए क्या हैं जातीय समीकरण?
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भोपाल। मध्य प्रदेश की विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव से राजनीतिक माहौल गरम है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है, जहां जातीय समीकरण प्रमुख भूमिका निभाते हुए नजर आ रहे हैं। विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न जातियों के मतदाता हैं, जिनमें आदिवासी, जाटव, और कुशवाह समाज का वर्चस्व है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जो भी प्रत्याशी इन समुदायों का समर्थन पाने में सफल रहेगा, विजय का परचम उसी के हाथों में होगा।

विजयपुर विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 40 हजार मतदाता हैं और यहां 323 मतदान केंद्रों पर वोटिंग होगी। विजयपुर क्षेत्र में आदिवासी समाज का बहुमत है, जबकि जाटव और कुशवाह समुदाय भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त रावत, ब्राह्मण, यादव, किरार, गुर्जर, बघेल, ठाकुर, केवट, नामदेव, सेन, रजक, बढ़ई, गुसाईं, त्यागी, वाल्मीकि, खटीक, वंशकार, बंजारा, और कुचबंधिया समाज के लोग भी हैं। ऐसे में इस सीट पर जातिगत समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं, और सभी दल इन्हीं समीकरणों के अनुरूप प्रचार-प्रसार में जुटे हैं।

1957 में पहली बार हुए चुनाव के बाद से विजयपुर सीट पर 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 9 बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा ने विजय हासिल की है। पिछले चुनावों की बात करें तो 2013 में भाजपा ने आदिवासी प्रत्याशी खड़ा किया था, लेकिन वह चुनाव हार गई। इसके विपरीत, 2018 में भाजपा के आदिवासी प्रत्याशी को जीत मिली। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जनजातीय समुदाय ने भाजपा को समर्थन दिया था।

इस बार भाजपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में रामनिवास रावत को चुना है, जो पहले कांग्रेस में थे और वन मंत्री हैं। रावत का अनुभव इस चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है। वहीं कांग्रेस ने आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे मुकेश मल्होत्रा को मैदान में उतारा है। आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मल्होत्रा कांग्रेस के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कुशवाह और रावत समुदाय के मतदाता एक-दूसरे के खिलाफ रहते हैं, जबकि ब्राह्मण और वैश्य मतदाता दोनों ही दलों के पक्ष में वोट करते हैं। ओबीसी की अन्य जातियां भी परिस्थितियों के अनुसार अपना समर्थन बदलती हैं। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जातिगत समीकरणों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

दोनों ही दलों का चुनाव प्रचार पर जोर

भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने चुनावी प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। रामनिवास रावत जहां अपने अनुभव को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मुकेश मल्होत्रा आदिवासी समुदाय के समर्थन को मजबूत बनाने में जुटे हैं। मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए जनसभाएं और घर-घर जाकर मुलाकातें की जा रही हैं। भाजपा विकास और राज्य सरकार की योजनाओं पर फोकस कर रही है, जबकि कांग्रेस भ्रष्टाचार, महंगाई, और आदिवासी समुदाय के हकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

13 नवंबर को मतदान, 23 नवंबर को नतीजे

इस उपचुनाव में मतदान 13 नवंबर को होना है, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी। दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन विजयपुर की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनेगी, यह जातीय समीकरण और प्रचार की रणनीति पर निर्भर करेगा।

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