भोपाल। मध्य प्रदेश में 13 मई को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में सभी 29 सीटों पर मतदान पूर्ण हो चुका है, लेकिन इस बार 2019 के मुकाबले 4.35 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। प्रदेश में अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए आरक्षित 10 सीटों पर भी मतदान कम हुआ है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे है कि इस बार पिछले दो बार के चुनावों में जो उत्साह लोगों में था, वह इस बार दिखाई नहीं दिया है, वोटिंग परसेंटेज में दर्ज की गई गिरावट का कारण लगातार बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी सहित अन्य अहम मुद्दों को प्रमुख माना जा रहा है।
अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीटों पर वोटिंग परसेंटेज घटा है। देवास लोकसभा सीट पर 2019 में 79.46 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं 2024 में 74.86 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस सीट पर 4.6 प्रतिशत मतदान कम रहा। उज्जैन सीट पर साल 2019 के चुनाव में 75.40 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि इस बार 2.37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई, वहीं 2024 में मतदान 73.03 प्रतिशत रहा। टीकमगढ़ में 59.79 प्रतिशत मतदान हुआ। इधर, भिंड लोकसभा सीट पर पिछली बार की तरह मतदान लगभग बराबर रहा, यहां 54.93 प्रतिशत मतदान हुआ। 2019 में 54.42 प्रतिशत रहा था।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी इस बार गिरावट दर्ज की गई। धार लोकसभा सीट में साल 2019 में 75.25 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस बार 2024 में वोटिंग परसेंटेज 3.75 प्रतिशत घट गया, यहां 71.50 प्रतिशत मतदान हुआ। रतलाम लोकसभा सीट पर इस बार 72.86 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि साल 2019 के चुनाव में 75.66 प्रतिशत मतदान हुआ था। यहां 2.8 प्रतिशत वोटिंग कम दर्ज की गई।
खरगोन लोकसभा सीट पर 2.3 प्रतिशत मतदान में गिरावट दर्ज की गई है। यहां इस बार 75.79 प्रतिशत ही वोट हुए, जबकि 2019 के चुनाव में 77.82 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इसके साथ ही मण्डला, शहडोल और बैतुल में हल्की मतदान प्रतिशत में हल्की गिरावट दर्ज की गई।
निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों के जागरूकता अभियान के बावजूद भी वोटर्स में इस बार पूर्व के चुनाव जैसी उत्सुकता नहीं दिखी। अब सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है या लोगों का भरोसा इलेक्शन सिस्टम से उठ रहा है?
द मूकनायक प्रतिनिधि से वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल कहते हैं जिस तरह का भरोसा लोगों को सरकार पर था, वह भंग हुआ है। इस कारण से लोगों में मतदान के प्रति उत्सुकता नहीं दिख रही है। दूसरा बड़ा कारण निर्वाचन आयोग से मतदाताओं का भरोसा उठ जाना भी है। राजेश बादल ने कहा- "आज निर्वाचन आयोग की पोल खुलकर गाँव-गाँव तक पहुँच चुकी है जो निर्वाचन आयोग पूर्व में चुनाव सख्ती और निष्पक्षता से कराता था, आज वह भारत सरकार के एक डिपार्टमेंट की तरह काम कर रहा है।"
इस समय पूरे देश में गर्मी तेज है। दिन का तापमान 35 से 42 डिग्री तक पहुँच रहा है। दोपहर में भीषण गर्मी के कारण असर पड़ा है। कुछ लोगों ने बातचीत में बताया कि उन्हें चुनाव की प्रक्रिया पर भरोसा नहीं हैं।
प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से चारों चरण में मतदान बहिष्कार की घटनाएं भी सामने आई थी। मंडला सीट के एक गांव ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। मंडला जिले के बिछिया विधानसभा के इमलिया गांव के लोगों ने मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने पर चुनाव का बहिष्कार किया। उनका कहना था कि रोड नहीं तो वोट नहीं।
दरअसल, प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनावों से मतदान की दर लगभग 10 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही थी, लेकिन इस बार 2024 के चुनाव में 4.35 प्रतिशत मतदान कम हो गया है।
इंदौर लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें थी, क्योंकि कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नामांकन वापसी के अंतिम दिन ही अपना नाम वापस लेकर भाजपा का दामन थाम लिया था। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में इंदौर में 60% वोट ही डाले गए। इंदौर में भारतीय जनता पार्टी पर कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उनके प्रत्याशी को भाजपा ने किडनैप कर लिया है और इसके विरोध में कांग्रेस ने मतदाताओं से अपील की थी कि वे नोटा को वोट करें।
पिछले दिनों नोटा का बटन दबाने की अपील करते पोस्टर भी ऑटोरिक्शा और सार्वजनिक स्थानों पर लगाएं गए थे। इसका नतीजा यह हुआ, इंदौर सीट पर 8.78 प्रतिशत वोट घट गया। साल 2019 में 69.31 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि इस बार 2024 में 60.52 प्रतिशत ही मतदान हो पाया।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने कहा, "हमने इंदौर की जनता से अपील की है कि भाजपा के द्वारा लोकतंत्र की हत्या का जवाब नोटा पर वोट कर दें। जनता ने अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग भी लिया है।"
मध्य प्रदेश में कुल 29 लोकसभा सीटें हैं। 10 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। जिनमें भिंड, देवास, टीकमगढ़ और उज्जैन, ये चार सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। बैतूल, धार, खरगोन, मंडला, रतलाम और शहडोल, ये छह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
पहले चरण में 2024 में 67.75% वोटिंग हुई जो साल 2019 से 7.40% कम है। दूसरे चरण में 67.75% वोटिंग हुई जो 9% कम है। तीसरे चरण में 66.75% वोटिंग हुई जो 2019 की मुताबिक में 0.11% अधिक रही। चौथा चरण इस बार 71.72% वोटिंग हुई जो 2019 से 3.93% कम है।
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