लोकसभा चुनाव 2024: MP की शहडोल सीट के विश्लेषण से समझिए क्या हैं चुनावी समीकरण?

19 अप्रैल को पहले चरण में शहडोल सीट पर मतदान होगा, भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी एकदूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
MP Himadri Singh, BJP candidate and MLA Phundelal Marco, Congress candidate.
सांसद हिमाद्री सिंह, भाजपा प्रत्याशी और विधायक फुन्देलाल मार्को, कांग्रेस प्रत्याशी।
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भोपाल। मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, यहाँ से वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह पर भाजपा ने फिर भरोसा जताते हुए प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने इस सीट से तीन बार के विधायक फुन्देलाल मार्को को चुनाव मैदान में उतार दिया है। पुष्पराजगढ़ सीट से विधायक फुन्देलाल मार्को की आदिवासियों में सीधी पकड़ कांग्रेस को मजबूत कर रही है। द मूकनायक के विश्लेषण से समझिए शहडोल लोकसभा क्षेत्र के चुनावी समीकरण क्या हैं?

19 अप्रैल को पहले चरण में शहडोल सीट पर मतदान होगा, भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी जनता के बीच जा रहे हैं। भाजपा की हिमाद्री सिंह का कहना है कि उन्हें पुनः जनता का आशीर्वाद मिलेगा वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार फुन्देलाल सिंह मार्को ने कहा कि भाजपा सांसद ने जनता की समस्याओं को देखा तक नहीं। 

इस क्षेत्र में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है, यहाँ के लोग तेलंगाना और महाराष्ट्र काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। द मूकनायक से बातचीत करते हुए स्थानीय पत्रकार हिमांशु पासी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों की हालात ज्यादा खराब है, लोग काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। पिछले सालों को अगर देखा जाए तो प्रतिवर्ष पलायन की संख्या में इजाफा हुआ है। खासकर आदिवासियों का पलायन अधिक है, इसके साथ आदिवासियों पर अत्याचार के मामले भी बढ़ रहे है।

हिमांशु ने बताया कि, "अनूपपुर जिले में कुछ आदिवासी गाँव ऐसे भी हैं जहाँ आजतक बिजली नहीं पहुँच पाई, कई गांवों में पानी की समस्या है। सांसद हिमाद्री सिंह के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी दिख रही है, फ़िलहाल मतदाता मौन है!"

जनता की राय

शहडोल लोकसभा क्षेत्र की वर्तमान समस्याओं की बात करते हुए अनूपपुर निवासी लोकेंद्र आदिवासी ने बताया कि, "इस क्षेत्र में रोजगार का सबसे बड़ा संकट है। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह क्षेत्र पीछे है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, मगर सरकार में आने के बाद कोई काम नहीं होता है। अनूपपुर के गांवों में पानी का संकट है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया, जनता वोट देते बक्त सब ध्यान रखती है।"

उमरिया जिले के बंटी बघेल कहते हैं कि, भाजपा की सरकार में यहां काम हुए है। जनता सब जानती है, जनता विकासकार्यों को देखकर ही वोट देगी। 10 वर्षों में यहां, पुल सड़के और सभी तरह के विकास हुए हैं।

चार जिलों की आठ विधानसभा का क्षेत्र

शहडोल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत चार जिलों की आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें शहडोल की जैतपुर व जयसिंहनगर सीट, अनूपपुर जिले की अनूपपुर, कोतमा व पुष्पराजगढ़ तथा उमरिया जिले के मानपुर और बांधवगढ़ विधानसभा सीटें शामिल हैं। कटनी जिले की बड़वारा विधानसभा का क्षेत्र भी शहडोल संसदीय क्षेत्र में आता है।

शहडोल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चार जिलों के इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में मात्र अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ ही कांग्रेस के खाते में है, शेष सभी सीटें दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के खाते में गई थी। पुष्पराजगढ़ के कांग्रेस विधायक फुन्देलाल मार्को को ही पार्टी ने  सांसद हिमाद्री सिंह के खिलाफ उतारा है।

17.12 लाख मतदाता

शहडोल संसदीय क्षेत्र में इस समय 17.12 लाख मतदाता है। इनमें 8,72,872 पुरुष वोटर, 8,39,738 महिला वोटर और 30 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। 2019 में भाजपा की हिमाद्री सिंह को कांग्रेस की प्रमिला सिंह ने चुनौती दी थी। हिमाद्री ने करीब 4.03 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी।

कांग्रेस से छोड़ भाजपा में शामिल हुईं थी हिमाद्री

हिमाद्री सिंह लोकसभा चुनाव 2019 के पहले ही भाजपा में शामिल हुई थीं। इससे पहले वो कांग्रेस की सांसद थीं। भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी के बाद वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं थी। सांसद बनने के बाद हिमाद्री सिंह ने एक बेटी को जन्म दिया है था, जिसके बाद उनकी चर्चाएं और तेज हो गई थीं। लोकसभा चुनावों के दौरान हिमाद्री सिंह गर्भवती थीं। फिर भी वह लोगों के बीच सक्रिय रहीं। मार्च 2019 में हिमाद्री ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर भाजपा में शामिल हुईं थी। पिछले लोकसभा चुनाव में हिमाद्री सिंह को टिकट दे दिया, वो चुनाव लड़ी और कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला सिंह को चार लाख वोटों से चुनाव हराया।

भाजपा सांसद हिमाद्रि सिंह भले ही इस समय भाजपा में है, लेकिन उनके परिवार की पृष्ठभूमि कांग्रेस से जुड़ी रही है। उनके पिता स्व. दलबीर सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं। वह कांग्रेस शासनकाल में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे  हैं। भाजपा सांसद हिमाद्री सिंह की माँ राजेश नंदिनी सिंह भी शहडोल संसदीय सीट से सांसद रह चुकी हैं। उनके निधन के बाद ही यह सीट भाजपा की झोली मे चली गई थी।

आदिवासी मतदाता हैं निर्णायक

प्रदेश की शहडोल संसदीय क्षेत्र मुख्य रूप से आदिवासी बहुल है। आदिवासी मतदाता किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अभी कुछ माह पहले ही विधानसभा चुनाव हुए हैं और आदिवासी वोटरों ने जिस तरह भाजपा पर भरोसा जताया है, उससे भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। शहडोल जिले की तीनो विधानसभा सीटों पर भाजपा को आसान जीत मिली थी। इस सीट पर आदिवासी वोटर ही निर्णायक भूमिका में हैं।

शहडोल संसदीय क्षेत्र के अनूपपुर जिले की सबसे बड़ी विधानसभा पुष्पराजगढ़ है। यह पूरी तरह से आदिवासी बहुल क्षेत्र है। भाजपा की प्रचंड लहर में भी यहां से तीसरी बार विधानसभा चुनाव में फुंदेलाल ने बाजी मारी है। फुंदेलाल का पुष्पराजगढ़ के आदिवासियों में प्रभाव है, लेकिन पूरे संसदीय क्षेत्र में उनका प्रभाव चलेगा कि नहीं यह चुनाव परिणाम आने के बाद स्पष्ट होगा।

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