लोकसभा चुनाव 2024: रतलाम-झाबुआ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, जानिए क्या है समीकरण?

भाजपा ने अनिता नागर सिंह चौहान व कांग्रेस ने पूर्व की तरह इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को प्रत्याशी बनाया है। भारत आदिवासी पार्टी और जयस का संयुक्त उम्मीदवार घोषित होने से मुकाबला रोचक हो गया है।
अनिता नागर चौहान, कांतिलाल भूरिया, बालू सिंह गामड़.
अनिता नागर चौहान, कांतिलाल भूरिया, बालू सिंह गामड़.
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भोपाल। मध्य प्रदेश की रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र पर आजादी के बाद के ज्यादातर वर्षों में कांग्रेस ने इस सीट पर राज किया, लेकिन अब भाजपा की जमीन भी यहां तैयार हो चुकी है। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अपने परंपरागत वोटबैंक पर भरोसा है, लेकिन भाजपा ने इस सीट से सांसद गुमान सिंह डामोर का टिकट काट कर 40 साल बाद भाजपा ने आलीराजपुर क्षेत्र से टिकट देकर क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है और महिला उम्मीदवार को टिकट देने का प्रयोग भी किया है। लेकिन भारत आदिवासी पार्टी और जयस का संयुक्त उम्मीदवार घोषित होने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो चला है। 

कांग्रेस ने पूर्व की तरह इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को प्रत्याशी बनाया है। भूरिया मध्य प्रदेश आदिवासी राजनीति में बड़े फेस है। विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने दावेदारी नहीं की और बेटे को चुनाव लड़ाया। तभी से माना जा रहा था कि लोकसभा सीट पर कांग्रेस कांतिलाल भूरिया को उतारेगी। भूरिया को झाबुआ व आस-पास के क्षेत्रों और भील समाज के वोटबैंक पर भरोसा है। यहां से कांग्रेस को हमेशा ज्यादा वोट मिले है। 

भाजपा ने आलीराजपुर क्षेत्र में रहने वाली अनिता नागर सिंह चौहान को टिकट दिया है। उनके पति नागर सिंह चौहान वर्तमान में डॉ. मोहन सरकार में वन मंत्री है। नागर सिंह की क्षेत्र में पकड़ को देखते हुए, अनिता को टिकट देकर आलीराजपुर क्षेत्र के वोटबैंक को भाजपा ने साधने की कोशिश की है। 

रतलाम शहर और ग्रामीण की विधानसभा सीट से भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराई है। वहां से लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को मदद की उम्मीद है। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती है। उनमें से चार सीटें भाजपा के कब्जे में है,जबकि तीन सीट कांग्रेस के पास है। सैलाना सीट से भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के कमलेश्वर डोडियार विधायक हैं। बीएपी ने बालुसिंह गामड़ को टिकट दिया है। 

रतलाम सीट जिसमें अलीराजपुर, झाबुआ और रतलाम जिले की आठ सीटें शामिल हैं। इस क्षेत्र से वर्तमान में भाजपा के गुमान सिंह डामोर सांसद हैं। राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी इस क्षेत्र की गरीबी नहीं मिट सकी। यहां के लोग सालभर में लगभग आठ महीने सीमावर्ती राज्य गुजरात में मजदूरी करने के लिए पलायन करते है। पलायन करने वालों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में हैं। लगातार हो रहे पलायन और बेरोजगारी के मुद्दे से भाजपा को नुकसान हो सकता है। 

त्रिकोणीय होगा मुकाबला

रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट प्रदेश की सबसे हॉट आदिवासी सीटों में से एक है। लेकिन इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। दरअसल, भारत आदिवासी पार्टी ने रतलाम झाबुआ लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है। इस सीट से पेटलावद विधानसभा चुनाव में जयस समर्थित भारत आदिवासी पार्टी से उम्मीदवार रहे इंजीनियर बालुसिंह गामड़ को टिकट दिया है। रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के खाते में है। ऐसे में इस क्षेत्र में वर्चस्व रखने वाले जयस और बीएपी के प्रत्याशी में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं, बीएपी के चुनाव लड़ने से खासकर भाजपा को नुकसान होने की ज्यादा संभावना दिख रही है। 

द मूकनायक से झाबुआ के स्थानीय पत्रकार भूपेंद्र मंडोलियर बताते हैं कि इस बार लोकसभा क्षेत्र के मतदाता पूरी तरह से मौन हैं। पिछली बार यह माहौल भाजपा के पक्ष में खुलकर दिख रहा था। आदिवासियों के पलायन में कोई कमी नहीं आई, जबकि इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इस चुनाव में पलायन का मुद्दा मुख्य है। 

जनता की राय

अलीराजपुर के श्याम आदिवासी ने बताया कि यहां चुनाव माहौल अभी नहीं दिखाई दे रहा है। हम किसको चुनेंगे यह अभी नहीं कह सकते है। क्षेत्र का विकास ही हमारा मुद्दा है। भाजपा-कांग्रेस दोनों को ही मौका इस सीट से मिल चुका है। अब सोचेंगे किसने क्या काम किया। इधर, रतलाम के विनोद पटेल का कहना है कि किसी की कोई लहर नहीं है, जनता सब समझती है। गरीबी और रोजगार पर कितना काम हुआ है, इस क्षेत्र की जनता ने देखा है। पटेल ने आगे कहा- "पलायन को रोक पाने में कोई सफल नहीं हुआ।" 

पिछले चुनाव में डामोर थे प्रत्याशी

पिछले लोकसभा चुनाव 2019 बीजेपी ने यहां से गुमान सिंह डामोर को टिकट दिया था। जबकि कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर को प्रत्याशी बनाया था। गुमान सिंह डामोर को 696,103 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 6,05,467 वोट मिले थे। बीजेपी के डामोर ने भूरिया को 90,636 वोटों के भारी अंतर से हराया था। 

अब क्यों कटा टिकट? 

रतलाम सीट से वर्तमान सांसद गुमान सिंह डामोर का टिकट कटने का बड़ा कारण पार्टी का सीट पर कराया गया आंतरिक सर्वे बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सर्वे में गुमान सिंह डामोर रतलाम ग्रामीण सीट के अलावा कहीं पर भी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार के तौर पर पहली पसंद नहीं बन पाए थे, वहीं अनिता नागर चौहान पांच विधानसभा सीटों पर पहली पसंद बनकर सामने आई थीं। जिसके बाद भाजपा ने सांसद डामोर का टिकट काट कर अनिता को प्रत्याशी बनाया। 

कौन हैं अनीता चौहान ?

रतलाम सीट से भाजपा की लोकसभा उम्मीदवार बनाई गईं अनिता नागर सिंह चौहान मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी हैं जो कि दो बार से अलीराजपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। यहां ये भी बता दें कि इस बार हुए जिला पंचायत चुनाव में अनिता नागर को 13 में से 12 वोट मिले थे। मंत्री नागर सिंह चौहान इस क्षेत्र में पकड़ रखते हैं। 

सीट का इतिहास 

17 लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव में चार बार ही रतलाम झाबुआ सीट से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार जीते है। जनसंघ और भाजपा के लिए यह सीट हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। दिलीप सिंह भूरिया सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस के सांसद रहे। फिर वर्ष 2014 में दिलीप सिंह भूरिया भाजपा में आए और चुनाव जीते, लेकिन उनके निधन के कारण उपचुनाव हुआ और कांग्रेस ने उपचुनाव में जीत दर्ज कराई। 2019 में भाजपा के डामोर ने इस सीट से जीत हासिल की। 

इस सीट पर अभी तक तीन बार महिला उम्मीदवार को राजनीतिक दलों ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने 1962 में पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। तब जमुनादेवी चुनाव जीती थी। तब यह सीट चर्चा में आई थी। इस सीट पर 1962 में टिकट बदलते हुए अमर सिंह के स्थान पर जमुना देवी को उम्मीदवार बनाया था। 2004 में दिलीप सिंह भूरिया के बजाए रेलम सिंह चौहान को टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाई। अब भाजपा ने फिर महिला को टिकट दिया है।

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