भोपाल। इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में मतदाताओं में उत्सुकता नहीं दिख रही. पहले चरण के मतदान में वोट प्रतिशत पिछले चुनाव से कम हुआ हैं। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग हुई. सीटों के हिसाब से यह सबसे बड़ा फेज था जिसमें कुल 60.03 प्रतिशत औसत मतदान हुआ। मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, नागालैंड सहित जिन-जिन राज्यों में मतदान था, वहां पर सीटवार पिछले चुनाव की तुलना में मतदान कम हुआ है।
मध्य प्रदेश में भी पहले चरण में प्रदेश की छह लोकसभा सीटों पर पिछले चुनाव की तुलना में 8.62 फीसदी मतदान कम होने से भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ गई हैं। आगामी तीन चरणों में 23 अन्य सीटों पर भी मतदान होगा, यदि स्थिति पहले चरण जैसे रही तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों के जागरूकता अभियान के बावजूद भी वोटर्स में इस बार पूर्व के चुनाव जैसी उत्सुकता नहीं दिख रही है। अब सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है, या लोगों का भरोसा इलेक्शन सिस्टम से उठ रहा है?
द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल कहते हैं कि, जिस तरह का भरोसा लोगों को सरकार पर था, वह भंग हुआ है इस कारण से लोगों में मतदान के प्रति उत्सुकता नहीं दिख रही है। दूसरा बड़ा कारण निर्वाचन आयोग से मतदाताओं का भरोसा उठ जाना भी है। राजेश बादल ने कहा, "आज निर्वाचन आयोग की पोल खुलकर गाँव-गाँव तक पहुँच चुकी है, जो निर्वाचन आयोग पूर्व के चुनाव सख्ती और निष्पक्षता से कराता था आज वह भारत सरकार के एक डिपार्टमेंट की तरह काम कर रहा है।"
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पहले चरण में मत प्रतिशत घटने को लेकर दावा किया है कि भाजपा का देवतुल्य कार्यकर्ता मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए संकल्प के साथ जुटा है। पहले चरण में जो मतदान का प्रतिशत घटा है, उसकी प्रमुख वजह विपक्षी दलों की नीयत में खोट और उनकी गलत नीतियों से उनका मूल मतदाता नाराज है। यही वजह है कि वोट डालने के लिए वो मतदाता मतदान केंद्र तक नहीं पहुंचा है। हमारा वोट प्रतिशत अपेक्षा के अनुरूप ही बढ़ा है।
इधर, कांग्रेस का कहना कि शहरी क्षेत्र में वोट प्रतिशत घटा है, और यह वोट पिछली दो बार से भाजपा की ओर जा रहा था। द मूकनायक से बातचीत करते हुए कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा, "भाजपा ने हर पोल पर 370 वोट बढ़ाने का संकल्प दिलाया था, लेकिन उनके संकल्प का कोई असर नहीं है, मतदान कम हुआ है इसका मतलब भाजपा से लोग परेशान हो चुके हैं।"
इस वक्त पूरे देश में गर्मी तेज हो रही है। दिन का तापमान 30 से 42 डिग्री तक पहुँच रहा है। दोपहर में भीषण गर्मी के कारण असर पड़ा है। सीधी संसदीय क्षेत्र के एक परिवार ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि वह सिर्फ तेज गर्मी के कारण मतदान करने नहीं गए। वहीं कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें चुनाव की प्रक्रिया पर भरोसा नहीं हैं। इधर, मंडला सीट के एक गांव ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। यहां मंडला जिले के बिछिया विधानसभा के इमलिया गांव के लोगों ने मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने पर चुनाव का बहिष्कार किया हैं। उनका कहना था कि 'रोड नहीं तो वोट नहीं'।
दरअसल, प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनावों से मतदान की दर लगभग 10 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही थी, लेकिन इस बार मतदान करीब साढ़े सात प्रतिशत कम रहा। छिंदवाड़ा और बालाघाट लोकसभा सीट पर स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही। बता दें कि, प्रदेश की इन छह सीटों पर 67.76 प्रतिशत औसत मतदान हुआ है।
सीट के हिसाब से समझे तो सीधी संसदीय क्षेत्र में 2024 में 56.50 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि साल 2019 में 69.50 फीसदी हुआ था, इस हिसाब से 13 फीसदी वोट घट गए। इसी तरह शहडोल में इस बार 64.68 प्रतिशत मतदान हुआ साल 2019 में यहां 74.33 प्रतिशत यानि 9.65 फीसदी मतदान घट गया। जबलपुर सीट में इस बार 61.0 प्रतिशत जबकि 2019 में 69.43 फीसदी मतदान रहा था, यहाँ 8.43 प्रतिशत वोट कम हो गए।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट मंडला में इस बार 72.84 प्रतिशत मतदान हुआ पिछली बार चुनाव में यहां 77.76 फीसदी मतदान हुआ था, इस बार 4.92 प्रतिशत कम वोटिंग हुई। बालाघाट में 73.50 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि पिछली बार 77.61 प्रतिशत को वोटिंग हुई थी, यानि यहाँ 4.11 फीसदी वोटिंग घटी। प्रदेश की हॉट सीट छिंदवाड़ा 79.83 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि साल 2019 में यहां 82.39 फीसदी मतदान हुआ था। और सीटों से कम लेकिन फिर भी यह 2.56 प्रतिशत मतदान घट गया।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.