उत्तर प्रदेश। यूपी के वाराणसी और कौशांबी में दो निर्दलीय प्रत्याशियों के लोकसभा चुनाव के पर्चे खारिज हुए। दोनों ही प्रत्याशी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए हैं। जानकारों का कहना है कई बार सत्ता में काबिज पार्टी के दबाव में अधिकारी जानबूझकर पर्चे खारिज कर देते हैं। वहीं कई बार प्रत्याशी ही गलती करते हैं। हलांकि त्रुटि में सुधार का अवसर भी दिया जाता है। लेकिन सत्ता के दबाव में प्रक्रिया को इतना शिथिल कर दिया जाता है कि प्रत्याशी समय पर त्रुटि पूरी नहीं कर पाता और पर्चा खारिज हो जाता है।
गौरतलब है पीएम मोदी की कॉमेडी से चर्चा में आये श्याम लाल रंगीला ने पीएम मोदी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया था। हालांकि उनका पर्चा खारिज कर दिया गया है। नामांकन पत्र खारिज होने के बाद श्याम रंगीला ने एक्स पर लंबा पोस्ट शेयर कर अपना दर्द साझा किया। रंगीला ने कहा कि उनका दिल जरूर टूट गया है,लेकिन हौसला नहीं टूटा है।
नामांकन खारिज होने के बाद श्याम रंगीला ने अपनी पोस्ट में लिखा कि वाराणसी से नहीं लड़ने देंगे ये तय था, अब साफ हो गया। दिल जरूर टूट गया है, हौसला नहीं टूटा है। आप सबके सहयोग के लिए शुक्रिया। मीडिया और शुभचिंतकों से निवेदन है, कृपया अभी कॉल ना करें, जो भी सूचना होगी यहां देता रहूंगा। शायद अब थोड़ी देर बातचीत करने की इच्छा नहीं है। कल 27 नामांकन जमा हुए और आज 32 रिजेक्ट हो गये, हंसी आ रही है चुनाव आयोग पर, हंस लूं क्या? या रो लूं?
इससे पूर्व श्याम रंगीला ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि 14 मई सुबह तक कुल 14 नामांकन जमा हुए थे और कुछ लोग मुझे उनका उदाहरण देकर कह रहे थे कि प्रक्रिया सही चल रही है, लेकिन शायद मेरे आवाज उठाने के बाद और आप सबके सहयोग को देखते हुए, कल प्रशासन ने एक दिन में ही 27 नामांकन लिए। जो देखना चाहेंगे उन्हें सब दिख जाएगा, अब बस जल्द ही पता लगेगा की इनमें से आगे कौन कौन जाएगा।
नामांकन खारिज होने के बाद श्याम रंगीला ने कहा कि वे चुनाव लड़कर बताना चाहते थे कि देश में लोकतंत्र कितना खतरे में। उन्होंने कहा कि चुनाव कार्यालय में उनसे कहा गया कि आपके दस्तावेज में कमी के कारण इसे खारिज किया गया है। जब रंगीला ने कमी के बारे में पूछा तो अधिकारी ने कथित रूप से कहा कि रंगीला ने शपथ पूरी नहीं की है। इसपर रंगीला ने अधिकारी से कहा कि आपने शपथ दिलाई ही नहीं।
श्याम रंगीला ने कहा कि उन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए 14 मई को वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया था। कड़ी मेहनत और मुश्किलों का सामना करने के बाद हमने 14 मई को वाराणसी की लोकसभा सीट नामांकन भरा था। सारे दस्तावेज को कई बार चेक कर हर विषय को ध्यान में रखकर पर्चा दाखिल किया था। अब मेरा पर्चा खारिज कर दिया गया। उन्होंने वाराणसी के डीएम पर बुरे व्यवहार का आरोप भी लगाया।
नामांकन खारिज होने के बाद श्याम रंगी अब वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। श्याम रंगीला ने कहा कि लोगों का प्यार देखते हुए उन्होंने वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया था। बता दें कि 14 मई को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी अपना नामांकन दाखिल किया। वहीं पीएम की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रत्याशी को नामांकन स्थल जाने से रोका जा रहा था। श्याम लाल रंगीला भी पर्चा दाखिल करने गए थे। जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने वीडियो बनाकर एक्स पर पोस्ट करना शुरू कर दिया जिसके बाद मामला तूल पकड़ लिया था।
कौशांबी जिले के तैबापुर शमशाबाद गांव के रहने वाले छेद्दू चमार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी पर्चा दाखिल करने नामांकन स्थल पहुंचे थे। इस दौरान मीडिया कर्मियों के कहने पर छेद्दू चमार ने नामांकन स्थल पर ही डुगडुगी बजा दी थी। जिसके बाद मौके पर सुरक्षा में तैनात डिप्टी एसपी ने छेद्दू चमार को धक्के मारते हुए नामांकन स्थल से बाहर निकाल दिया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। जिसके बाद छेद्दू चमार सोशल मीडिया ही नहीं मीडिया की सुर्ख़ियों में आ गए थे। इस वीडियो के कारण अधिकारियों की जमकर फजीहत हुई थी। इस वीडियो के वायरल होने के अगले दिन छेद्दू चमार को नामांकन खारिज किये जाने की जानकारी मिली थी।
लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी कैसे अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के लिए नामांकन दाखिल करते हैं। चुनाव आयोग इन प्रत्याशियों से कौन-कौन सी जानकारी मांगता है।
डीएम होते हैं मुख्य निर्वाचन अधिकारी
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद हर जिले में चुनाव की घोषणा होती है। नामांकन प्रक्रिया के दौरान कलेक्टर प्रेस नोट जारी करके सभी को सूचित करते हैं। इसके बाद उम्मीदवार जिलाधिकारी कार्यालय में डीएम के समक्ष नामांकन दाखिल कर सकते हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि चुनाव के दौरान जिले के कलेक्टर को ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी माना जाता है।
निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करते हैं। किसी भी चुनाव के दौरान जिले का कलेक्टर ही चुनाव की कमान संभालता है। नामांकन दाखिल करके उम्मीदवार चुनाव आयोग के समक्ष अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करते हैं।
चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद चुनाव आयोग उम्मीदवार के सभी दस्तावेजों की जांच करता है। अगर आयोग को किसी भी दस्तावेज में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी की उम्मीदवारी भी निरस्त कर सकता है। प्रत्याशी चुनाव मैदान में तभी वोट मांगने के लिए प्रचार-प्रसार कर सकते हैं, जब उनकी उम्मीदवारी चुनाव आयोग रजिस्टर्ड घोषित कर दे। इसके बाद जनता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला अपना अमूल्य मत देकर करती है।
लोकसभा चुनाव की तारीखों के घोषणा के साथ ही नामांकन पत्र भरने के प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। इसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरकर चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी कर सकता है। इसके लिए शर्त होती है कि उसका नाम वोटर लिस्ट में हो। देश की राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करती हैं। अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारती हैं। इसे ही पार्टी का टिकट मिलना भी कहते हैं। नामांकन के दौरान प्रत्याशी पार्टी (दल) के सिंबल के साथ नामांकन पत्र जमा करते हैं। इसके बाद इलेक्शन कमीशन उनको उसी संबंधित पार्टी का चुनाव चिह्न देता है।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद इलेक्शन कमीशन ने देश के हर भाग में अलग-अलग लोकसभा सीटों के लिए निर्वाचन पदाधिकारी और ऑर्ब्जवर्स नियुक्त किए हैं। कोई भी प्रत्याशी जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है। नामांकन के साथ ही उम्मीदवारों को एक निर्धारित जमानत राशि भी चुनाव आयोग के समक्ष जमा करनी होती है।
चुनाव अधिकारी के अनुसार, कोई भी प्रत्याशी नामांकन पत्र जमा करने की प्रक्रिया के दौरान सीमित वाहनों का इस्तेमाल कर सकता है। इसके साथ ही साथ इन वाहनों को निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से 100 मीटर पहले ही खड़ा करने का आदेश रहता है। निर्वाचन अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी उम्मीदवार ढोल-नगाड़े का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
उम्मीदवार को नामांकन पत्र जमा करते समय एक नोटरी स्तर पर बना शपथ पत्र भी जमा करना होता है। इस शपथ पत्र में अपने आय-व्यय के ब्यौरा से लेकर हर एक जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है। साथ ही सुनिश्चित करना होता है कि उसकी दी हुई हर जानकारी सही है। इस दौरान प्रत्याशी को पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी जैसे दस्तावेज चुनाव आयोग को देने होते हैं।
सांसद बनने से पहले प्रत्याशी को नामांकन पत्र में अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा, पत्नी और अगर आश्रित बच्चें हैं तो उनकी भी आय-व्यय और लोन की सारी जानकारी देनी पड़ती है।
उम्मीदवार के पास कितने हथियार हैं, कितने जेवरात हैं, शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी देनी होती है। कमाई के साधनों को भी नामांकन पत्र में बताना होता है। इसके अलावा उम्मीदवार पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं? कितने मामले में कोर्ट केस चल रहा है? कितने केस में सजा हुई है, ऐसी जानकारी भी बतानी होती है। इन सभी मामलों की जानकारी शपथ पत्र के जरिए देनी होती है।
जब प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल कर देते हैं, इसके बाद चुनाव आयोग प्रत्याशियों द्वारा दी गई हर जानकारी की बारीकी से जांच करता है। इस पूरे प्रोसेस को स्क्रूटनी कहा जाता है। नामांकन के बाद नाम वापसी के लिए भी आयोग कुछ दिन निर्धारित करता है। इस समय तक उम्मीदवार अगर चाहे तो चुनाव से अपना नाम वापस भी ले सकता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, नामांकन पत्र को सही भरा जाना चाहिए, अगर नॉमिनेशन पेपर्स में कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे नामांकन पत्र को अवैध मानकर उम्मीदवारी भी निरस्त कर दी जाती है।
नामांकन खारिज करने की प्रक्रिया को लेकर द मूकनायक ने रिटायर्ड आईपीएस अफसर और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर से बातचीत की। इस मामले में अमिताभ बताते हैं-'चुनाव के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया का समय नियमानुसार सुबह 11 से 3 बजे तक का होता है। इसमें तीन बजे से पूर्व ही प्रेक्षक त्रुटियां लिखकर प्रत्याशी को बता देता है। जिसके बाद उसमें सुधार कर नामांकन पत्र प्रत्याशी सही कर सकता है।'
अमिताभ आगे बताते हैं-'चूंकि नामांकन का समय तीन बजे तक का होता है ऐसे में नामांकन की लाइन में लगे प्रत्याशी यदि तीन बजे तक कमरे के अंदर दाखिल हो गए हैं तो उनके नामांकन को ले लिया जाता है। कई बार प्रत्याशी के नामांकन पर्चे में त्रुटियां निकालते-निकालते शाम 7 से 8 भी बज जाता है,लेकिन नमांकन पर्चे पर इसका समय तीन बजे से पहले का ही डाला जाता है। ऐसे में अल्प अवधि में किसी प्रत्याशी का इन त्रुटियों को सही कर पाना मुश्किल होता है। यह प्रक्रिया और भी जटिल तब हो जाती है जब प्रत्याशी ने आखिरी दिन नामांकन दाखिल किया हो।'
अमिताभ आगे कहते हैं -'कई बार चुनाव प्रक्रिया में कोई प्रत्याशी यदि पहले दिन ही नामांकन दाखिल कर दिया है और उसे त्रुटियां लिख दी हो उसे अगले दिन नामांकन स्थल में दाखिल होने की अनुमति ही नहीं मिलती है। नए प्रत्याशियों के नामांकन का हवाला देकर पुराने पर्चों को टालने का प्रयास किया जाता है। बाद में उसे खारिज कर दिया जाता है। यह छोटी पार्टियों और निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ अक्सर होता है। यदि कोई मजबूत व्यक्ति व पार्टी का आदमी नामांकन के लिए जाता है तो प्रेक्षक और निर्वाचन अधिकारी को त्रुटियां भी दिखना बंद हो जाती हैं।'
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