केसरिया रंग में रंगे 'कोल्हान टाइगर', पूर्व CM अर्जुन मुंडा ने लिखा- स्वागत है!

चंपाई सोरेन ने कहा, "हम झारखंड के लिए पहले की तरह ही संघर्ष करेंगे। मैं झारखंड के विकास के लिए काम करूंगा, आदिवासियों की सुरक्षा के लिए काम करूंगा।
केसरिया रंग में रंगे 'कोल्हान टाइगर', पूर्व CM अर्जुन मुंडा ने लिखा- स्वागत है!
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नई दिल्ली- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण करने से पहले कहा कि वह "आदिवासियों की सुरक्षा" के लिए BJP में शामिल हो रहे हैं।

शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के भीतर उनके साथ हुए अपमानजनक व्यवहार और मुश्किलों पर बात की. सोरेन ने कहा, "18 अगस्त को मैंने अपने पार्टी के साथ हुए राजनीति के बारे में पोस्ट किया था, जिसे मैंने अपने खून और पसीने से बनाया था। मैंने सोचा कि मैं एक नई संगठन बनाऊंगा या अगर मुझे कोई साझेदार मिलता है, तो मैं उनके साथ झारखंड की बेहतरी के लिए शामिल हो जाऊंगा। हमें BJP के रूप में एक अच्छा साझेदार मिला है। आज मैं BJP में शामिल हो रहा हूं।"

सोरेन ने राज्य के विकास और आदिवासी समुदाय की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "हम झारखंड के लिए पहले की तरह ही संघर्ष करेंगे। मैं झारखंड के विकास के लिए काम करूंगा, आदिवासियों की सुरक्षा के लिए काम करूंगा। हम झारखंड का विकास करेंगे।"

झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लगभग दो महीने बाद चंपाई सोरेन ने BJP में शामिल होने का निर्णय लिया। उन्हें Hemant Soren के भूमि घोटाले से जुड़े मामले में जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था।

चंपाई सोरेन ने 28 अगस्त को JMM की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया और पार्टी में अपनी सभी अन्य पदों से भी त्यागपत्र दे दिया।

सोरेन के BJP में शामिल होने की खबर सबसे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 26 अगस्त को दी थी।

झारखण्ड के पूर्व CM अर्जुन मुंडा ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा- जोहार झारखंड! "कोल्हान टाइगर" श्री चंपाई सोरेन जी का भाजपा परिवार में हार्दिक अभिनंदन है।

झारखण्ड के नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बौरी ने लिखा - "माटी, बेटी, रोटी" की सुरक्षा, परिवारवादी ताकतों से झारखंड को मुक्ति दिलाने का संकल्प लेकर भाजपा परिवार में शामिल हो रहे कोल्हान टाइगर, आदरणीय शिबू सोरेन के हनुमान चंपाई सोरेन का हार्दिक स्वागत है."

झारखंड को पृथक राज्य बनाने की मुहिम में चम्पई का था सक्रिय रोल

CM बनने से पहले दसवी पास चंपई सोरेन मौजूदा सरकार में यातायात और आदिवासी पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री थे । हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद फरवरी में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता के रूप में 68 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिज्ञ चंपई सोरेन का चुनाव अप्रत्याशित था। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि हेमंत की जगह उनकी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री का दावेदार बनाया जाएगा लेकिन पारिवारिक अंतर्विरोध और शिबू सोरेन की अन्य पुत्रवधू सीता सहित पार्टी समर्थकों का विरोध देखते हुए चंपई सोरेन को विधानसभा का नेता चुना गया.

चंपई झीलिंग गोड़ा गांव के किसान सीमल सोरेन के बेटे हैं और झारखंड को पृथक राज्य बनाने की मुहिम में आक्रमक भूमिका के लिए जाने जाते हैं। इसी आंदोलन के कारण चंपई कोल्हान और झारखंड टाइगर के नाम से भी मशहूर हुए। 

एक निर्दलीय विधायक के रूप में चंपई ने अपना राजनीतिक सफर 1991 में शुरू किया और तब से अब तक कुल 6 बार विधायक रहे। ये केवल वर्ष 2000 में भाजपा के अनंतराम टुडू से चुनाव हारे। भाजपा शासन काल में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व की सरकार में चंपई सोरेन 2010 से 2013 तक तीन वर्ष कैबिनेट मंत्री रहे। हेमंत सरकार के शासन में इन्हें फूड एंड सिविल सप्लाई विभाग दिया गया। कम उम्र में ब्याह होने के बाद चंपई के 7 बच्चे हैं जिनमें 3 बेटियां हैं।

झारखंड का कोल्हान इलाका जहां से चंपई ताल्लुक रखते हैं  वहां से अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा , रघुबर दास मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कोल्हान खनिज संपदा में बहुत समृद्ध क्षेत्र होने से राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। चंपई सोरेन सरायकेला ST आरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व 1991 से कर रहे हैं और सिर्फ वर्ष 2000 में चुनाव हारे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने क्षेत्र में खासकर वंचित आदिवासी वर्ग के बीच कितने लोकप्रिय हैं। 

अस्सी के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के साथ चंपई ने झारखंड को पृथक राज्य बनाने की मुहिम में सक्रिय रोल अदा किया। किसी योद्धा के समान जुझारू व्यक्तित्व और ओजस्वी वक्ता होने के गुणों ने उन्हें जनप्रिय नेता बनाया और लोगों के दिलों में इन्होंने जगह पाई। आम जन के साथ राजनीतिज्ञ और उद्योग जगत के लोग भी इनका सम्मान करते हैं। दसवीं तक पढ़ाई के बावजूद वे आदिवासी अधिकारों के पैरवीकार रहे हैं और एक ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर पहचान बनाई, सोरेन जमशेदपुर और आदित्यपुर इलाकों में कई सफल अभियान लीड कर चुके हैं। 

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