नई दिल्ली। उत्तराखंड पुलिस ने बीते मंगलवार को स्वतंत्र पत्रकार और जागो उत्तराखंड के संपादक आशुतोष नेगी को गिरफ्तार कर लिया। नेगी अंकिता भंडारी को ‘न्याय’ दिलाने के लिए उसके माता-पिता के साथ लगातार आवाज उठा रहे थे। पिछले कई दिनों से वह अपने साप्ताहिक अखबार जागो उत्तराखंड में इस समाचार को कवर स्टोरी के रूप में प्रकाशित कर रहे थे और पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में अंकिता के माता-पिता द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन में भी शामिल थे। वह सोशल मीडिया के जरिए भी लगातार अंकिता के लिए न्याय की मांग कर रहे थे।
उत्तराखंड पुलिस ने पौढ़ी गढ़वाल के एक निवासी की शिकायत के आधार पर नेगी को गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ एफआईआर में एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मामला मई 2022 का बताया जा रहा है जिसमें शिकायतकर्ता ने आशुतोष समेत चार लोगों पर मारपीट, गाली गलौज, जान से मारने की धमकी और सोशल मीडिया में जाति सूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगाया था।
गिरफ्तारी के एक दिन पहले 4 मार्च को नेगी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा था, “पुख्ता सूत्रों के हवाले से खबर, DGP अभिनव कुमार के SSP पौड़ी श्वेता चौबे को निर्देश, किसी भी तरह आशुतोष नेगी को नई धाराएं जोड़ जेल में धरो, मेरे जेल में जाने के बाद भी अंकिता को न्याय दिलाने के लिये लड़ाई जारी रहे।”
उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने बुधवार को एक बयान में कहा, “आशुतोष नेगी जैसे तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की मंशा पर हमें संदेह है। उनका एजेंडा हमारी बेटी के लिए न्याय मांगने से मेल नहीं खाता, बल्कि उनका उद्देश्य समाज में अराजकता और कलह पैदा करना है। हम नेगी की गतिविधियों की भी जांच कर रहे हैं, जो एक साजिश का हिस्सा प्रतीत होती हैं, और अगर हमें कोई सबूत मिलता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, ''सरकार और पुलिस के दम पर बीजेपी अपने पार्टी नेताओं के अपराधों पर पर्दा डालने का काम कर रही है। उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी की हत्या में बीजेपी नेता के बेटे की संलिप्तता जगजाहिर है। लेकिन अपराधियों को सजा मिलने की बजाय पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आवाज़ उठाने वालों को सज़ा मिल रही है।”
माहरा ने कहा, “जब पत्रकार आशुतोष नेगी ने उन्हें लगातार मिल रही धमकियों के बारे में शिकायत की, तो पुलिस ने उन्हें सुरक्षा देने की बजाय उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया। यह भाजपा के असले चेहरे को दिखाता है।”
बता दें कि 18 सितंबर, 2022 को 19 वर्षीय अंकिता भंडारी को कथित तौर पर एक विवाद के बाद पूर्व भाजपा नेता और राज्य मंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य ने कथित तौर पर अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर अंकिता की हत्या कर दी थी और उसके शव को नहर में फेंक दिया था। अंकिता पुलकित के रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी और उसे संचालक द्वारा रिजॉर्ट में आए किसी वीआईपी को ‘स्पेशल सर्विस’ देने के लिए कहा गया था। अंकिता ने जब इसके लिए मना किया तो इस पर विवाद हो गया जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई।
इस मामले में पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उसके दो साथियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर रेप और हत्या के आरोप लगे थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की जांच के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ़ 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई थी। जिसमें करीब 100 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। जांच में सामने आया था कि अंकिता द्वारा स्पेशल सर्विस देने से मना करने पर पुलकित आर्य ने उसका यौन शोषण करना शुरू कर दिया था। वहीं रिजॉर्ट के मैनेजर सौरभ भास्कर ने कई बार उसके साथ रेप करने की कोशिश की थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हत्याकांड में कड़ी कार्रवाई की बात कही थी। साथ ही उन्होंने अंकिता भंडारी के नाम पर डोभ (श्रीकोट) स्थित राजकीय नर्सिंग कॉलेज का नाम रखने की घोषणा भी की थी। लेकिन उसके आरोपियों को अभी तक सजा नहीं हो सकी है।
अंकिता को न्याय दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि तत्कालीन SDM और यमकेश्वर विधानसभा के MLA पर इस मामले को लेकर कार्रवाई की जाए। साथ ही उस VIP का नाम भी सार्वजनिक किया जाए जिसे स्पेशल सर्विस देने से मना करने पर अंकिता की हत्या की गई। लोगों ने सरकार पर यह आरोप भी लगाया है कि सरकार और पुलिस प्रशासन के दबाव में बड़े आरोपियों को बचाया जा रहा है।
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