नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चार साल बाद छात्रसंघ का चुनाव होने जा रहे हैं। बुधवार देर रात तक चली प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद कैंपस में चुनाव प्रचार थम गया। अब जेएनयू के स्टूडेंट्स 22 मार्च को अपने मुद्दों को लेकर मतदान करेंगे और इसके बाद 24 मार्च को इसके नतीजे जारी होंगे।
इस बार के चुनाव में कैम्पस में पानी की समस्या, लाइब्रेरी, जेएनयू इमारतों और हॉस्टल की खराब स्थिति, पेंडिंग स्कॉलरशिप, फंड, महंगी होती फीस, GSCASH, स्टूडेंट्स और ख़ासतौर पर महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।
बुधवार को झेलम छात्रावास के लॉन में रात 11 बजे से शुरू हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट गुरुवार सुबह के 6 बजे तक चली। इसमें JNUSU के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों ने यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की समस्याओं और उनके मुद्दों को उठाने के साथ फ़िलिस्तीन में हो रहे अमानवीय नरसंहार, किसान आंदोलन, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कैम, सीएए-एनआरसी, नई शिक्षा नीति, हसदेव आंदोलन, लद्दाख में छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन, जम्मू कश्मीर के लोगों के मानवाधिकार, पेपर लीक, अनुच्छेद 370, मॉब लिंचिंग, जातिगत भेदभाव और आरक्षण जैसे मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की और इस बारे में अपना विचार रखा।
जेएनयू में चार बाद हो रहे इस चुनाव को लेकर छात्रों में बहुत उत्साह है। देर रात तक चली प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान सभी संगठन के छात्रों ने खूब नारेबाजी की और अपने-अपने उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया।
क्या होती है प्रेसिडेंशियल डिबेट?
जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव में प्रेसिडेंशियल डिबेट का खास महत्व है। इस डिबेट के दौरान अध्यक्ष पद के उम्मीदवार यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के सामने अपनी-अपनी बातें रखते हैं और स्टूडेंट्स के मुद्दों को उठाने के लिए वादे करते हैं। इसके साथ ही प्रेसिडेंशियल डिबेट में JNUSU के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक हालात समेत सम-सामयिक महत्व के विषयों पर अपने विचार रखते हैं।
छात्रसंघ चुनाव को लेकर ‘द मूकनायक’ से बात करते हुए जेएनयू के एक छात्र ने कहा– “यहाँ के स्टूडेंट्स देश दुनिया के तमाम मुद्दों पर बात करते हैं, सवाल करते हैं। जेएनयू को लगातार बदनाम करने की कोशिश की जा रही है लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम सरकार की नज़रों में चुभते हैं क्योंकि यहाँ के छात्र सरकार से सवाल करते हैं, अलग-अलग मुद्दों पर प्रोटेस्ट करते हैं…हम आगे भी देश के तमाम मुद्दों पर अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे।”
वहीं हमसे बात करते हुए जेएनयू के छात्र विकास कहते हैं– “मैं चीज़ों को लेफ्ट-राइट के बाइनरी में नहीं देखता हूँ। यहाँ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार ढेर सारे वादे करते हैं लेकिन कैंपस की मूलभूत समस्याओं पर ढंग से कोई आवाज़ नहीं उठाता। सब देश-दुनिया की बातें करते हैं और अपने विचारों के आधार पर पॉलिटिक्स करते हैं।”
छात्र संगठनों ने निकाला मशाल जुलूस
इससे पहले, मंगलवार देर रात जेएनयू में विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा मशाल जुलूस निकाला गया। यूनाइटेड लेफ्ट पैनल (आइसा एसएफआइ, डीएसएफ व एआईएसएफ) के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार धनंजय के नेतृत्व में चंद्रभागा छात्रावास से गंगा ढाबा तक मशाल जुलूस निकाला गया जिसमें भारी संख्या में स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। वहीं एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार उमेश चंद्र अजमीरा के नेतृत्व में गंगा ढाबा से चंद्रभागा छात्रावास तक जुलूस निकाला गया। मशाल जुलूस के दौरान छात्र संगठन अपना पूरा जोर लगाते दिखाई दिए। इस दौरान छात्रों ने डफली और ढोल बजाते हुए अपने-अपने पैनल के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।
“महिलाओं के लिए अनसेफ हो रहा है कैंपस”
मशाल जुलूस के बाद यूनाइटेड लेफ्ट की जनरल सेक्रेटरी पद की उम्मीदवार स्वाति ने ‘द मूकनायक’ के साथ बातचीत में कहा, “यूनिवर्सिटी कैंपस महिलाओं और क्वीयर कम्युनिटीज के स्टूडेंट्स के लिए लगातार अनसेफ होता जा रहा है। कैंपस में स्टाकिंग बहुत नॉर्मल हो गया है। गर्ल्स स्टूडेंट्स के साथ हैरेसमेंट के केस लगातर बढ़ रहे हैं लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन इसे लेकर बिलकुल भी सीरियस नहीं है।”
उन्होंने जेएनयू प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा, “जब इस तरह की शिकायत लेकर स्टूडेंट्स प्रशासन के पास जाते हैं तो प्रशासन में बैठे लोग आरोपियों के खिलाफ़ कार्रवाई करने की बजाय उल्टा विक्टिम ब्लेमिंग करने लग जाते हैं। और जब हम स्टूडेंट्स के हकों के लिए लड़ाई लड़ते हैं, इसके लिए प्रोटेस्ट करते हैं तो हमें झूठे मामलों में फंसाया जाता है।”
“प्रोटेस्ट करने का अधिकार देश के हर नागरिक को है”
यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के प्रोटेस्ट करने पर रोक लगाने और प्रोटेस्ट करने वाले स्टूडेंट्स के खिलाफ़ जुर्माना लगाने जैसे नियमों पर स्वाति ने कहा, “अपने हक़ के लिए लड़ने और प्रोटेस्ट करने का अधिकार सिर्फ़ स्टूडेंट्स ही नहीं देश के हर नागरिक का है। लेकिन जेएनयू प्रशासन स्टूडेंट्स के प्रोटेस्ट करने के अधिकार को छीनने की लगातार कोशिश कर रहा है। जिसके खिलाफ़ हम हमेशा से लड़ते रहे हैं। हम इन्हीं मुद्दों के साथ चुनाव में उतरे हैं और इलेक्ट होने के बाद इसी के लिए काम करेंगे।”
JNUSU चुनाव में ये प्रत्याशी कर रहे हैं दावेदारी
इस बार के चुनाव में अध्यक्ष पद पर आठ उम्मीदवार हैं। चुनाव के मैदान में चार अपेक्स पदों- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जनरल सेक्रेटरी और सेक्रेटरी के लिए कुल 19 उम्मीदवार हैं। इनमें से अध्यक्ष पद पर आठ उम्मीदवार, उपाध्यक्ष और जनरल सेक्रेटरी के लिए चार-चार और जॉइंट सेक्रेटरी के लिए तीन उम्मीदवार दावेदारी कर रहे हैं।
यूनाइटेड लेफ्ट की ओर से आइसा के धनंजय को अध्यक्ष, एसएफआई के अभिजीत घोष को उपाध्यक्ष, डीएसएफ की स्वाति सिंह को जनरल सेक्रेटरी और एआइएसएफ के साजिद को जॉइंट सेकेरेट्री का प्रत्याशी बनाया गया है। एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद के लिए उमेश चंद्र अजमीरा, उपाध्यक्ष पद के लिए दीपिका शर्मा, जनरल सेक्रेटरी पद के लिए अर्जुन आनंद और जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए गोविंद डांगी को उम्मीदवार बनाया गया है।
वहीं बापसा की ओर से अध्यक्ष पद के लिए बिश्वजीत मिंजी, उपाध्यक्ष पद के लिए मोहम्मद अनस, जनरल सेक्रेटरी पद के लिए प्रियांशी आर्या, और जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए रूपक कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इस बार सी-आरजेडी की ओर से भी अध्यक्ष पद के लिए अफरोज आलम को और एनएसयूआई से जुनेद रजा को उम्मीदवार घोषित किया गया है। इसके अलावा शेष प्रत्याशी निर्दलीय और अन्य दलों के हैं। इसी तरह काउंसलर के 42 पदों के लिए 111 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
जेएनयू में छात्रसंघ के विभिन्न पदों के लिए 22 मार्च को बैलेट पेपर के जरिए मतदान होगा और 24 मार्च को इसके नतीजे घोषित होंगे। इस बार के चुनाव में जेएनयू के 7751 स्टूडेंट्स मतदान करेंगे।
पिछले छात्रसंघ चुनाव में ये रहा था परिणाम
बता दें कि जेएनयू में आखिरी बार छात्रसंघ चुनाव 2019 में हुए थे। इसके बाद कोविड-19 महामारी के और कई दूसरे कारणों का हवाला देते हुए जेएनयू प्रशासन ने चुनाव स्थगित कर दिए थे। साढ़े चार साल पहले 2019 के सितंबर महीने में हुए चुनाव में कुल 67.9 फीसदी वोट पड़े थे। यह 2012 के बाद सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत था जिसमें कुल 5 हजार 762 के करीब छात्रों ने वोट डाला था। इस चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट के बैनर तले चुनाव लड़ने वाले पैनल ने चारों अपेक्स पदों पर जीत दर्ज की थी।
पिछले छात्रसंघ चुनाव में ये रहा था परिणाम
बता दें कि जेएनयू में आखिरी बार छात्रसंघ चुनाव 2019 में हुए थे। इसके बाद कोविड-19 महामारी के और कई दूसरे कारणों का हवाला देते हुए जेएनयू प्रशासन ने चुनाव स्थगित कर दिए थे। साढ़े चार साल पहले 2019 के सितंबर महीने में हुए चुनाव में कुल 67.9 फीसदी वोट पड़े थे। यह 2012 के बाद सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत था जिसमें कुल 5 हजार 762 के करीब छात्रों ने वोट डाला था। इस चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट के बैनर तले चुनाव लड़ने वाले पैनल ने चारों अपेक्स पदों पर जीत दर्ज की थी।
इस चुनाव के दौरान स्टूडेंट्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की आइशी घोष अध्यक्ष पद पर चुनीं गई थीं। इसमें आइशी को 2 हजार 313 वोट मिले थे और उन्होंने एबीवीपी के मनीष जांगिड़ को 1 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। वहीं जनरल सेक्रेटरी के पद पर आइशा के सतीश चंद्र यादव, उपाध्यक्ष के पद पर डीएसएफ के साकेत मून और जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर एआईएसएफ के मोहम्मद दानिश चुने गए थे।
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