JNUSU: यूनाइटेड लेफ्ट उम्मीदवार स्वाति सिंह ने कहा- “एक खास संगठन को फ़ायदा पहुँचाने के लिए अवैध तरीक़े से रद्द किया गया नामांकन”

स्वाति सिंह जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) से जुड़ी हैं और स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर लगातार आवाज़ उठाती रही है। वह कहती हैं, “मेरा नामांकन अवैध तरीक़े से रद्द किया गया है। मैं कैंपस में पिछले 8 सालों से ऐक्टिव रही हूँ और हर मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाती रही हूँ। मेरे ऊपर कई बार जुर्माना लगाया गया और एक्शन लिए गए हैं लेकिन हर बार कोर्ट ने मुझे रिलीफ दिया है…मेरे ऊपर क़ानूनी तौर पर कोई दोष साबित नहीं हुआ है।"
मतगणना स्थल के बाहर हंगर स्ट्राइक पर बैठी स्वाति सिंह।
मतगणना स्थल के बाहर हंगर स्ट्राइक पर बैठी स्वाति सिंह।सौम्या राज, द मूकनायक.
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नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 22 मार्च को छात्रसंघ चुनाव शुरू होने से महज 7 घंटे पहले जनरल सेक्रेटरी पद के लिए यूनाइटेड लेफ्ट पैनल की उम्मीदवार स्वाति सिंह का नामांकन चुनाव समिति द्वारा रद्द कर दिया गया। स्वाति ने चुनाव समिति के अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस कदम को अनुचित बताया और जनरल सेक्रेटरी के पद का चुनाव रद्द करके इस पर फिर से चुनाव कराने की मांग करते हुए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गईं। 36 घंटे की हंगर स्ट्राइक के बाद सभी छात्र संगठनों और यूनिवर्सिटी के करीब 1500 छात्रों से समर्थन का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने शनिवार रात को अनशन समाप्त किया।

'एक संगठन विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए यह किया गया'

द मूकनायक से बात करते हुए स्वाति सिंह बताती हैं, “मुझे वोटिंग के 7 घंटे पहले रात के 2 बजे एक वॉट्सऐप मैसेज के जरिए यह जानकारी मिली कि मेरा नॉमिनेशन कैंसिल कर दिया गया है। फिर मैं सुबह एक लेटर लेकर इलेक्शन कमिटी के पास गई और जवाब माँगा कि मेरा नॉमिनेशन क्यों कैंसिल किया गया है? मैंने अपने लेटर में जनरल सेक्रेटरी के पोस्ट के लिए चुनाव को रद्द करने और इसके लिए दोबारा से इलेक्शन कराने की मांग की। लेकिन मुझे इलेक्शन कमिटी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। फिर मैं अपनी माँगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीक़े से हंगर स्ट्राइक पर बैठ गई।”

हंगर स्ट्राइक को लेकर लगा एक पोस्टर.
हंगर स्ट्राइक को लेकर लगा एक पोस्टर. सौम्या राज, द मूकनायक.

आगे वह कहती हैं, “मेरा नॉमिनेशन रद्द होने की वजह से वोटिंग करने वाले स्टूडेंट्स के बीच बहुत कन्फ़्यूशन हुआ। क्योंकि किसी बैलेट पेपर में मेरा नाम था और कहीं पर नहीं था। ऐसे में जानबूझकर किसी एक संगठन को फ़ायदा पहुँचाने के लिए मेरा नॉमिनेशन अवैध तरीक़े से रद्द किया गया। अगर इलेक्शन कमिटी को मेरा नॉमिनेशन रद्द करना ही था तो चुनाव के कुछ दिनों पहले करती ताकि मेरे पास टाइम होता कि मैं इस पर एक्शन ले सकूँ और ख़ुद को सही साबित कर सकूँ। लेकिन चुनाव के दिन ही यह सब हुआ तो मेरे पास कोर्ट जाने का भी टाइम नहीं था। यह सब जानबूझकर एक संगठन को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है।”

अपनी मांगों को लेकर नारे लगाती स्वाति सिंह.
अपनी मांगों को लेकर नारे लगाती स्वाति सिंह. सौम्या राज, द मूकनायक.

"संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से जारी रखेंगे लड़ाई"

स्वाति सिंह जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन नामक संगठन (DSF) से जुड़ी हैं और स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर लगातार आवाज़ उठाती रही हैं। वह कहती हैं, “यह सब अवैध तरीक़े से किया गया है। मैं कैंपस में पिछले 8 सालों से ऐक्टिव रही हूँ और हर मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाती रही हूँ। मेरे ऊपर कई बार जुर्माना लगाया गया और एक्शन लिए गए हैं लेकिन हर बार कोर्ट ने मुझे रिलीफ दिया है…मेरे ऊपर क़ानूनी तौर पर कोई दोष साबित नहीं हुआ है, मैं निर्दोष हूँ।”

आगे स्वाति जोड़ती हैं, "मेरे हंगर स्ट्राइक पर बैठने के 12 घंटे बाद इलेक्शन कमिटी की तरफ़ से ऑल स्टूडेंट्स ग्रुप की एक मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में यह साफ़ तौर पर पता चला कि वे इस पोस्ट के लिए दोबारा इलेक्शन नहीं करवायेंगे। हमने स्ट्राइक जारी रखा। स्ट्राइक के 36 घंटे बाद कल रात फिर इलेक्शन कमिटी की तरफ़ से ऑल स्टूडेंट्स ग्रुप की एक मीटिंग बुलाई गई जिसमें एवीबीपी को छोड़कर सभी ग्रुप की तरफ़ से यह तय किया गया कि हम इस लड़ाई को आगे संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से जारी रखेंगे और इस पोस्ट के लिए दोबारा चुनाव की मांग करेंगे।”

एबीवीपी की शिकायत के बाद रद्द किया नामांकन

स्वाति का नामांकन रद्द करने की कार्यवाही एबीवीपी द्वारा अधिकारियों को इस संबंध में शिकायत करने के कुछ दिनों बाद की गई। 19 मार्च को, एबीवीपी जेएनयू इकाई के सचिव विकास पटेल ने छात्रों के डीन को एक शिकायत करते हुए लिखा था कि स्वाति लंबित प्रॉक्टोरियल जुर्माना के कारण चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं हैं। शिकायत में कहा गया कि उनके खिलाफ प्रॉक्टोरियल जुर्माना लगाया गया है और लिंगदोह समिति की सिफारिशों (एलसीआर) के नियमों के अनुसार, जिस व्यक्ति के खिलाफ प्रॉक्टोरियल जुर्माना लगाया गया है वह चुनाव नहीं लड़ सकता है। कृपया प्रॉक्टर कार्यालय के माध्यम से इसे सत्यापित करें और एलसीआर के नियमों को ध्यान में रखते हुए स्वाति सिंह की उम्मीदवारी रद्द करें।

यूनिवर्सिटी से निष्कासन के आदेश को हाई कोर्ट ने किया था रद्द

2023 में एक प्रोटेस्ट के दौरान महिला सुरक्षा गार्डों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने के बाद उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया और उनके हॉस्टल के रूम को भी जबरन खाली करवा दिया गया था। यूनिवर्सिटी प्रशासन के कदम के खिलाफ स्वाति ने हाई कोर्ट का रुख किया जहाँ उन्हें बड़ी राहत मिली और उनके निष्कासन के आदेश को रद्द कर दिया गया। इससे स्वाति के चुनाव में खड़े होने की उम्मीदें फिर से जग गईं। इसके बाद जब जेएनयू में चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई तो यूनाइटेड लेफ्ट के पैनल में उन्हें जनरल सेक्रेटरी के पद पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा गया।

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