"माँ धान के खेतों में और पिता मिल में करते हैं मजदूरी", एक आदिवासी छात्र ने जेएनयू में अध्यक्ष पद प्रत्याशी बनने पर क्या कहा?

मिंजी अपनी यात्रा का श्रेय माता-पिता के साथ बाबा साहेब अंबेडकर को देते हैं। वे कहते हैं, "चीज़ों को लेकर जो मेरी समझ बनी है वो बाबा साहब के संविधान की वजह से है, मैं यहाँ तक अपने माता-पिता की मेहनत के साथ-साथ संविधान की वजह से पहुँच पाया हूँ।”
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव BAPSA से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी बिश्वजीत मिंजी.
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव BAPSA से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी बिश्वजीत मिंजी. सौम्या राज, द मूकनायक.
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नई दिल्ली। “मैं आदिवासी उरांव समुदाय से आता हूँ। मेरे पिता चावल मिल में मजदूरी करते हैं और मेरी मां भी मजदूरी करती हैं। वह मेरी हायर एजुकेशन में मदद करने के लिए दूसरे लोगों की जमीन पर धान रोपने जैसे काम करती हैं। मैं बचपन से ही हायर एजुकेशन के लिए संघर्ष कर रहा हूँ।”

यह कहना है दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पीएचडी कर रहे आदिवासी छात्र बिश्वजीत मिंजी का जो इस साल विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं और बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं जेएनयू के इतिहास में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में पहला आदिवासी छात्र हूँ।

पश्चिम बंगाल के महदेबपुर के एक छोटे से गांव के रहने वाले 25 वर्षीय बिश्वजीत मिंजी ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए एक लंबी और कठिन यात्रा तय की है।

"हम सिर्फ़ सोशल जस्टिस के लिए नहीं, हम सोशल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए लड़ रहे हैं"

खेत में मज़दूरी करने से लेकर एक लंबे संघर्ष के बाद इस मुक़ाम तक पहुँचे मिंजी का कहना है कि उनका संगठन यानी BAPSA बहुजनों के मुद्दों का प्रतिनिधित्व करता है, शोषितों और वंचितों का प्रतिनिधित्व करता है। ‘द मूकनायक’ से बात करते हुए मिंजी कहते हैं, “BAPSA डिग्निटी के लिए लड़ रही है, हम सिर्फ़ सोशल जस्टिस के लिए नहीं, हम सोशल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए लड़ रहे हैं।”

आगे वे जोड़ते हैं, "BAPSA कैंपस की असल आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता है और छात्रों के अधिकारों, मुद्दों और उनकी बेहतरी के लिए लड़ता है और हमेशा खड़ा रहता है। BAPSA का पैनल हर स्तर पर समावेशी है। इसका पैनल सही अर्थों में महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी, समलैंगिक समुदायों, विकलांग व्यक्तियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करता है। यह पूरी तरह से उत्पीड़ितों के सच्चे प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिबद्ध है।”

"हम मनुवादी सोच और हिंसा की राजनीति के ख़िलाफ़ खड़े हैं"

बातचीत के दौरान ABVP की राजनीति के बारे में बात करते हुए मिंजी कहते है, “इस देश में बहुजनों का हालत बहुत ख़राब है, उसी तरीक़े से इस कैंपस में भी उसका असर पड़ रहा है। इस कैंपस में भी आए दिन हिंसा होती रहती है, लोग राजनीति के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं…हम इस मनुवादी सोच और हिंसा की इस गंदी राजनीति के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं।”

वहीं वामदलों की राजनीति के बारे में बात करते हुए मिंजी कहते हैं, “मैं लेफ्ट वालों से यह कहना चाहता हूँ कि हमारा रक्षक बनना बंद करो, जब समस्याएं हमारी है, मुद्दे हमारे हैं तो पॉलिटिक्स भी हमारी ही होनी चाहिए!”

"BAPSA उत्पीड़ित की बात कर रहा है"

“BAPSA उत्पीड़ित एकता यानी Oppressed Unity के बारे में बात कर रहा है। जो लोग उत्पीड़ित वर्गों से आते हैं– चाहे वो आदिवासी हो, दलित हो, मुस्लिम हो, ओबीसी हो या कोई भी हो जिसे दबाया गया हो, सताया जा रहा हो हम उसकी बातें करेंगे, उनके मुद्दे को उठाएँगे।”

यहाँ तक की अपनी यात्रा का श्रेय मिंजी अपने माता-पिता के साथ बाबा साहेब अंबेडकर को देते हैं। वे कहते हैं, “चीज़ों को लेकर जो मेरी समझ बनी है वो बाबा साहब के संविधान की वजह से है, मैं यहाँ तक अपने माता-पिता के मेहनत के साथ-साथ संविधान की वजह से पहुँच पाया हूँ।”

भेदभाव के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए मिंजी कहते हैं, “समाज में अब भी आदिवासी समुदाय को लेकर लोगों की अपनी सोच हैं, कई बार लोग हमें अलग दृष्टि से देखते हैं। इस मुद्दे पर अभी भी बहुत काम करने की ज़रूरत है।”

बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2019 के बाद चार साल के अंतराल पर छात्रसंघ चुनाव होने जा रहे हैं। स्टूडेंट यूनियन के सभी दलों ने अपने-अपने प्रतिभागी मैदान में उतार दिए हैं। शीर्ष चार पदों के लिए 19 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। अध्यक्ष के लिए आठ, उपाध्यक्ष के लिए चार, सचिव के लिए चार और संयुक्त सचिव के लिए तीन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

इस बार जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में आइसा, एसफआई, डीएसएफ और एआईएसएफ ने संयुक्त पैनल घोषित किया है। एबीवीपी ने सेंट्रल पैनल और काउंसलर पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। बापसा ने चारों पदों पर, एनएसयूआई ने अध्यक्ष व सचिव व सीआरजेडी ने अध्यक्ष पद पर अपना प्रत्याशी उतारा है। वहीं शेष प्रत्याशी निर्दलीय और अन्य दलों के हैं। इसी तरह काउंसलर के 42 पदों के लिए 111 उम्मीदवार मैदान में हैं।

जेएनयू में छात्रसंघ के विभिन्न पदों के लिए 22 मार्च को बैलेट पेपर के जरिए मतदान होगा और 24 मार्च को इसके नतीजे घोषित होंगे। इस बार के चुनाव में जेएनयू के 7751 स्टूडेंट्स मतदान करेंगे।

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव BAPSA से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी बिश्वजीत मिंजी.
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