झारखंड: किसान पुत्र चंपई सोरेन कैसे हुए कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर, अब होंगे CM

एक निर्दलीय विधायक के रूप में चंपई ने अपना राजनीतिक सफर 1991 में शुरू किया और तब से अब तक कुल 6 बार विधायक रहे।
चंपई सोरेन
चंपई सोरेन
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नई दिल्ली। जाड़े के मौसम में झारखंड का राजनीतिक माहौल गरम है। बुधवार शाम को हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता के रूप में 68 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिज्ञ चंपई सोरेन का चुनाव अप्रत्याशित था। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि हेमंत की जगह उनकी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री का दावेदार बनाया जाएगा लेकिन पारिवारिक अंतर्विरोध और शिबू सोरेन की अन्य पुत्रवधू सीता सहित पार्टी समर्थकों का विरोध देखते हुए चंपई सोरेन को विधानसभा का नेता चुना गया और 47 विधायकों के समर्थन पत्र के साथ राज्यपाल को बहुमत का दावा प्रस्तुत भी कर दिया है। 82 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 42 है। 

दसवी पास चंपई सोरेन यातायात और आदिवासी पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री हैं। चंपई झीलिंग गोड़ा गांव के किसान सीमल सोरेन के बेटे हैं और झारखंड को पृथक राज्य बनाने की मुहिम में आक्रमक भूमिका के लिए जाने जाते हैं। इसी आंदोलन के कारण चंपई कोल्हान और झारखंड टाइगर के नाम से भी मशहूर हुए। 

एक निर्दलीय विधायक के रूप में चंपई ने अपना राजनीतिक सफर 1991 में शुरू किया और तब से अब तक कुल 6 बार विधायक रहे। ये केवल वर्ष 2000 में भाजपा के अनंतराम टुडू से चुनाव हारे। भाजपा शासन काल में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व की सरकार में चंपई सोरेन 2010 से 2013 तक तीन वर्ष कैबिनेट मंत्री रहे। हेमंत सरकार के शासन में इन्हें फूड एंड सिविल सप्लाई विभाग दिया गया। कम उम्र में ब्याह होने के बाद चंपई के 7 बच्चे हैं जिनमें 3 बेटियां हैं।

झारखंड का कोल्हान इलाका जहां से चंपई ताल्लुक रखते हैं  वहां से अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा , रघुबर दास मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कोल्हान खनिज संपदा में बहुत समृद्ध क्षेत्र होने से राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। चंपई सोरेन सरायकेला ST आरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व 1991 से कर रहे हैं और सिर्फ वर्ष 2000 में चुनाव हारे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने क्षेत्र में खासकर वंचित आदिवासी वर्ग के बीच कितने लोकप्रिय हैं। 

अस्सी के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के साथ चंपई ने झारखंड को पृथक राज्य बनाने की मुहिम में सक्रिय रोल अदा किया। किसी योद्धा के समान जुझारू व्यक्तित्व और ओजस्वी वक्ता होने के गुणों ने उन्हें जनप्रिय नेता बनाया और लोगों के दिलों में इन्होंने जगह पाई। आम जन के साथ राजनीतिज्ञ और उद्योग जगत के लोग भी इनका सम्मान करते हैं। दसवीं तक पढ़ाई के बावजूद वे आदिवासी अधिकारों के पैरवीकार रहे हैं और एक ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर पहचान बनाई, सोरेन जमशेदपुर और आदित्यपुर इलाकों में कई सफल अभियान लीड कर चुके हैं। 

सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया ने चंपई सोरेन के नेतृत्व में कोल्हान के औद्योगिक लैंडस्केप में चौमुखी विकास की उम्मीद जाहिर की है, वहीं हेमंत सोरेन के आलोचक भी इस नेतृत्व परिवर्तन के बाद झारखंड की राजनीति में एक नई ऊर्जा और सुखद बदलाव की आशा जताते हैं। 

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