झारखंड में कई लोग अपने बैंक खातों से पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं, क्योंकि उनके खाते तब तक फ्रीज कर दिए गए हैं, जब तक वे “केवाईसी” औपचारिकताएं पूरी नहीं कर लेते। हाल ही में लातेहार और लोहरदगा जिले में स्थानीय नरेगा सहायता केंद्रों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई है।
इतने बड़े पैमाने पर बैंक खातों को फ्रीज कर देने के पीड़ितों में बुजुर्ग पेंशनभोगी जो अपनी अल्प पेंशन पर निर्भर होते हैं शामिल हैं, छात्रवृत्ति पाने वाले बच्चे भी मौजूद हैं, और झारखंड की नई मैया सम्मान योजना के तहत 1,000 रुपये प्रति माह पाने वाली महिलाएं भी शामिल हैं।
केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) बैंकिंग प्रणाली में पहचान सत्यापन औपचारिकताओं को संदर्भित करता है। गरीब लोगों के लिए इन औपचारिकताओं को पूरा करना आसान नहीं है। उन्हें प्रज्ञा केंद्र पर आधार नंबर का बायोमेट्रिक सत्यापन करवाना पढ़ता है, सत्यापन प्रमाणपत्र को फिर बैंक में ले जाकर देना होता है, वहां एक फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ दोनों को जमा करना होता है। उसके बाद, ग्राहक खाते को फिर से सक्रिय करने के लिए बैंक की दया पर निर्भर होता है। इसमें महीनों लग सकते हैं।
ग्रामीण बैंकों की भीड़भाड़ से हालात और खराब हो रहे हैं। दोनों सर्वेक्षण क्षेत्रों में स्थानीय बैंकों में लंबी कतारें लगी हुई थीं। भीड़ में ज्यादातर लोग केवाईसी पूरा करने की कोशिश कर रहे थे, या महिलाएं जो अपनी मैया सम्मान योजना के पैसे की तलाश में थीं। सर्वेक्षण दल लातेहार जिले के मनिका ब्लॉक के तीन छोटे गांवों (दुंबी, कुटमू और उचवाबल) और लोहरदगा जिले के भंडरा और सेन्हा ब्लॉक के चार गांवों (बूटी, धनमुंजी, कांड्रा और पाल्मी) में घर-घर गए। इन 7 गांवों में, जिन 244 परिवारों से हम मिले, उनमें से 60% के पास कम से कम एक बैंक खाता था जो फ्रीज़ करदिया गया था। कुछ घरों में (जैसे कांड्रा में उर्मिला उरांव का परिवार, जिसके 6 बैंक खाते हैं), सभी खाते फ्रीज थे।
फ्रीज बैंक खातों के कुछ मामले वास्तव में चौंकाने वाले थे। उदाहरण: (1) कांड्रा में उर्मिला उरांव के परिवार के पास 6 बैंक खाते हैं, लेकिन सभी फ्रीज हैं। (2) कांड्रा में ही भोला उरांव और बसंत उरांव के खाते सालों से फ्रीज हैं, क्योंकि उनके आधार कार्ड में उनके नाम गलत तरीके से 'भौला उरांव' और 'बसंत उरांव' लिखे हैं। (3) कई लोगों ने केवाईसी के लिए बार-बार आवेदन किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली; उनमें से कुछ ने हार मान ली है और नए खाते खोल रहे हैं। (4) जब धनमुंजी की सोरा उरांव केवाईसी के लिए बैंक गईं, तो उन्हें 27 दिसंबर 2024 को अपॉइंटमेंट के लिए "टोकन" पाने के लिए पूरे दिन कतार में खड़ा रहना पड़ा!
यह संकट भारतीय रिजर्व बैंक के दबाव में समय-समय पर केवाईसी पर बैंकों के बढ़ते आग्रह को दर्शाता है। एक स्थानीय बैंक मैनेजर ने बताया कि उनके पास 1,500 केवाईसी आवेदनों का बैकलॉग है, जबकि प्रतिदिन केवल 30 केवाईसी की प्रोसेसिंग क्षमता है।
गरीब लोगों के पास आम तौर पर आधार से जुड़ा एक खाता होता है, जिसमें अधिकतम बैलेंस 1 लाख रुपये होता है। हर कुछ सालों में इतनी सख्त केवाईसी की क्या जरूरत है? इस पूरी प्रक्रिया की तत्काल समीक्षा की जरूरत है।
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