नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद सांसद चुने गए हैं। सांसद निर्वाचित होने के बाद द मूकनायक को दिए एक खास इंटरव्यू में उन्होंने शोषित, वंचित समाज और आरक्षण के मुद्दों पर अपनी राय रखी है। बातचीत में चंद्रशेखर ने यह भी बताया कि वह सदन में किन मुद्दों को प्राथमिकता से उठाएंगे।
वंचित पिछड़े दलित, अल्पसंख्यकों के लिए मजबूती से आंदोलन कर उनके हक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले चन्द्रशेखर द मूकनायक को कहते हैं। "यह चुनाव उनका खुद से था, भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के संघर्ष के कारण उन्हें 51 प्रतिशत वोट मिले, जबकि अन्य पार्टियां आधे में ही सिमट गई।" विधायक, सांसद बन जाना बड़ी बात नहीं, बहुजन मिशन से जुड़ना, काम करना यह महत्वपूर्ण है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चुनाव में टक्कर देने वाले सवाल पर सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "मुझे पता था कि समाज उनका (बसपा) का साथ नहीं देने वाला है।" उन्होंने आगे कहा, "हमें पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, और राजस्थान और जहां से भी लड़े हमें अच्छे वोट मिले। हमने इसके बाद और मेहनत की।"
चंद्रशेखर ने कहा, "यह जानकर आपको अचरज होगा कि बीएसपी को सिर्फ एक प्रतिशत वोट मिला है। नगीना की जनता ने जो मुझे आशीर्वाद दिया है, वह मैं मरते दम तक नहीं भूलूंगा।"
सवाल:- समाज बीएसपी की जगह एएसपी को ऑप्शन की तरह देख रही है?
जवाब: "मैं तर्क के साथ बात करता हूँ, उत्तर प्रदेश में बीएसपी की फील्ड सबसे ज्यादा मजबूत मानी जाती है। यूपी में हम सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़े जिसमें से एक सीट डुमरियागंज सीट पर आखरी समय पर लड़े। नगीना में सिर्फ एक प्रतिशत वोट बसपा को मिला। डुमरियागंज में हमें 9 प्रतिशत वोट मिला, वहीं बसपा को तीन प्रतिशत वोट मिला, यह इस बात का उदाहरण है, कि बड़ा समाज यह मन बना चुका है कि वह चंद्रशेखर आजाद के साथ है। यह विश्वास में कभी टूटने नहीं दूंगा।
"बहनजी हमारी आदरणीय थी, और हमेशा रहेंगी। समाज ने समय-समय पर साथ दिया, कभी बाबा साहब का साथ दिया, कभी जगजीवन राम जी का तो कभी कांशीराम जी का साथ दिया। कभी बहनजी का साथ दिया। अब समाज आजाद समाज पार्टी और चंद्रशेखर आजाद का साथ देना चाहता है। समाज भीम आर्मी के संघर्ष को ताकत देना चाहता है। जिस दिन मुझपर गोली चली उस दिन मैंने अपने जीवन को हमारे महापुरुषों के काम के प्रति समर्पित कर दिया था।"
सवाल: दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के लिए आप आगे क्या करेंगे?
जवाब: मैं बहुत कुछ करूंगा, अभी हम प्राइवेट सेक्टर में भी रिजर्वेशन की चर्चा कर रहे हैं। आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए भी हम काम करेंगे। इसके अलावा सरकारी सेक्टर के काम का निजीकरण कर प्राइवेट किया गया है, हम पुनः उसे सरकारी सेक्टर में काम करने के लिए भी मांग करेंगे। हम यह कोशिश करेंगे कि जो पढ़ा लिखा नौजवान है उसे रोजगार मिले। उद्योग धंधे लगे, महिलाओं को रोजगार मिले।
हम जातिगत जनगणना से लेकर सभी मुद्दों पर लड़ेंगे। उसके साथ-साथ हम कोशिश करेंगे कि खेती किसानी करने वाले लोगों को भी जमीन उपलब्ध हो। मैं कोशिश करूंगा कि मेरे क्षेत्र में भी उद्योग लगे, ताकि नौजवानों को रोजगार मिल सके।
बाढ़ की समस्या पर बात करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "बाढ़ के कारण गरीब किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं। किसान, मजदूर, युवाओं की बेहतरी के लिए जो भी कुछ होगा काम करूंगा। मुझे विश्वास है कि पांच साल बाद सबसे ज्यादा काम मेरी लोकसभा क्षेत्र में होगा, इसके साथ सबसे ज्यादा संसद में सवाल लगाने वाला, विभागों को पत्र लिखने वाला चंद्रशेखर आजाद ही होगा।"
आजाद ने आगे कहा- वह संविधान के अनुसार हर वर्ग के शोषित, वंचित लोगों की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा अपराधी किसी जाति, धर्म का क्यों ही न हो मैं उसके खिलाफ भी लड़ाई लड़ूंगा। समाज में हर एक बेटी का सम्मान मिले, हर घर तक खुशहाली पहुँचे।
सवाल: हाल ही में आकाश आनंद ने कहा था कि "एएसपी जैसे दल इसलिए खड़े किए जाते हैं ताकि बीएसपी को कमजोर किया जा सके" इस पर आपकी क्या राय है?
जवाब: अहंकार नहीं करना चाहिए बड़बोलापन आदमी को ले डूबता है। वो (आकाश आनंद) मेरे छोटे भाई हैं, मैं उन्हें सलाह दूंगा, अब उनको भीम आर्मी जॉइन करनी चाहिए। भीम आर्मी में बहुत अच्छा काम सीख सकते हैं। भीम आर्मी ट्रेनिंग सेंटर है, यहां से सीखा हुआ नेता, अधिकारी और नेताओं से आँख-से-आँख मिलाकर बात करता है। हमारा कार्यकर्ता संविधान को जानने वाला होता है।
सवाल: जिस तरह से सभी पार्टी अब संविधान को लेकर प्रचार कर रही हैं, जो पार्टी संविधान बदलने की बाद करती थी वो भी अब सिरमाथे लगा रही है. ऐसे में क्या ये माना जाए कि संविधान सुरक्षित हाथों में है?
चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, "जबतक चंदशेखर आजाद पार्लियामेंट में है, तब तक तो किसी की माँ ने दूध नहीं पिलाया की बुरी भावना भी संविधान को छू ले। मैं चाहता हूं, संविधान सिलेबस में आ जाये। लोग अपने अधिकार को भी जाने, अभी कई लोग नहीं जानते संविधान को। संविधान को सिर्फ एक किताब मानते है, संविधान जीवंत ग्रंथ। उन दलों का चरित्र भी देखना है, जो संविधान की बात कर रहे हैं। जब संविधान के मोरल वैल्यू की बात आएगी, तो क्या इन वर्गों के साथ खड़े होंगे? कई घटनाएं हमारे सामने हैं, जैसे प्रोमोशन में रिजर्वेशन पर इनके मुंह नहीं खुलते।
आजाद ने इंटरव्यू के दौरान आगे कहा, "वंचित समाज में उत्साह है कि एक आदमी हमारा अब पार्लियामेंट में है। पिछले पांच सालों में कितने लोगों ने हमारे सवाल उठाए? कितने मिनट हमारे मुद्दों पर बात की। भाषण तो कई नेताओं ने दिए, नैतिक चरित्र तो पार्लियामेंट में पता लगेगा कि वह संसद में कितने सवाल लगाते हैं। यह सब जनता के सामने आने वाला है।"
सवाल: आज कई पार्टी सामाजिक न्याय की बात कर रही हैं, जहां चुनाव धर्म की राजनीति पर हुआ करते थे वहां आज सामाजिक न्याय मुद्दा बन कर आया. इस पर आपकी राय?
सामाजिक न्याय की राजनीति काशीराम जी का फार्मूला है। जब वह यह बात करते थे तो सब मजाक उड़ाते थे। काशीराम जी सरकारी नौकरी छोड़कर आए उन्होंने काम किया। आज ये लोग इसी फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। यह हमारी जीत है आज हमारें विषयों पर विपक्ष को बोलना पड़ रहा है। संविधान को सरमाथे करना पड़ रहा है। इस बार हमने लोकतंत्र को बचाने संविधान की रक्षा के लिए इनका साथ दिया, लेकिन अब आगे से आजाद समाज पार्टी सभी जगह छोटे- बड़े चुनाव लड़ेगी।
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