मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन ने रोक लिया होता अखिलेश—कमलनाथ विवाद तो नहीं ​दिखते एक्जिट पोल के ये रुझान!

कांग्रेस अगर सपा सहित अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ कुछ सीटें साझा करती तो निश्चित तौर पर कांग्रेस और मजबूत हो सकती थी, ​एक्जिट पोल के नतीजे ऐसे नहीं दिखते...
मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन ने रोक लिया होता अखिलेश—कमलनाथ विवाद तो नहीं ​दिखते एक्जिट पोल के ये रुझान!
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भोपाल। मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाना कांग्रेस के लिए चुनाव परिणाम में गच्चा दे सकता है। हाल ही में विभिन्न चैनलों में प्रसारित किए गए एग्जिट पोल्स मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने का दावा कर रहें हैं। मध्य प्रदेश में बीते 17 नम्बर को सभी 230 सीटों पर मतदान हो चुका है, जिसकी मतगणना 3 दिसम्बर को की जानी है। प्रदेश में 15 साल राज के बाद साल 2018 में कांग्रेस मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। हालांकि, कुछ विधायकों की खरीद फरोख्त के बाद 15 महीने बाद भाजपा फिर से सत्ता में आ गई। अगर 15 महीने का वह शासन हटा दें तो करीब 18 साल से भाजपा सत्ता पर काबिज है।

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इंडिया गठबंधन में शीर्ष नेताओं के बीच टकराव के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। वहीं कुछ वरिष्ठ पत्रकार और कांग्रेस के नेता इन एग्जिट पोल्स पर सवाल भी खड़े कर रहें हैं। एग्जिट पोल्स के परिणाम से यह स्पष्ट हो रहा है कि 18 साल की भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी ही नहीं जबकि इसके इतर राजनीतिक विश्लेषक प्रदेश में भारी सत्ता विरोधी लहर का प्रभाव होना बता रहे थे। इन सभी पक्षों को देखा जाए तो एक बात साफ है कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच उत्पन्न हुए विवाद और जुबानी हमलों से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।

क्या सपा की मांग मान लेनी चाहिए थी कांग्रेस को

चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस से 7 सीटों की मांग की थी। सपा का तर्क था कि पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट जीती थी और 6 विधानसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। पर कांग्रेस इतनी संख्या में सीटें देने को तैयार नहीं हुई। सपा ने सीटों के बंटवारे की मांग से पहले ही 6 सीटों पर उम्मीदवार घोषित भी कर दिए थे। समाजवादी पार्टी ने निवाड़ी, राजनगर, मंडेरा, मेंहगांव, धौहानी और चितरंगी सीटों पर प्रत्याशियों का एलान कर दिया था। इंडिया गठबंधन के तहत जब सपा-कांग्रेस के बीच चुनाव लड़ने की बात नहीं बनी तब सपा ने अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार शुरू कर दिया।

अखिलेश और कमलनाथ के बीच जुबानी जंग

मध्य प्रदेश में चुनावी सभा के दौरान सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि जिनके नाम में कमल हो, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं! वो बीजेपी की भाषा ही बोलेंगे, दूसरी भाषा नहीं बोलेंगे! अखिलेश ने कहा कि वैसे तो अखबारों में आपने बहुत कुछ पढ़ लिया होगा। एक समय तो ऐसा था, लग रहा था हमलोग गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हमलोगों में बातचीत हुई और पता नहीं क्या, किस कारण वो बात खत्म हो गई। गठबंधन में चुनाव लड़ने का मौका मिला था। मैं तो कहूंगा कि ये अच्छा किया कांग्रेस पार्टी ने अभी धोखा दे दिया, अगर बाद में धोखा दिया होता तो हम कहीं के नहीं बचते। इसके अलावा भी अखिलेश ने चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस और कमलनाथ पर जमकर हमले किए थे। इधर अखिलेश यादव की टिप्पणी के बारे में जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मीडिया ने सवाल किए तो कमलनाथ ने कहा- अरे भाई छोड़ो अखिलेश, वखिलेश...'

अखिलेश के बयान पर सीएम शिवराज सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ' केवल मोदी जी की लोकप्रियता से घबराकर बेमेल गठनबंधन बना था, जो बनने से पहले ही टूट रहा है। इंडी गठनबंधन ने मध्य प्रदेश में रैली तय की थी, कमलनाथ जी ने कैंसिल करवा दी। घुसने से ही मना कर दिया, रोक दिया।' सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चुटकी लेते हुए आगे कहा था, 'ये अजीब गठनबंधन है। दिल्ली में दोस्ती और राज्यों में कुश्ती, ऐसा कहीं होता है। ये 2024 के लिए बना और अभी जो अखिलेश यादव जी ने कल कहा है कि कांग्रेस ने सपा को एक साल तक धोखे में रखा।'

द मूकनायक से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के मध्य प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि चुनाव से पूर्व कांग्रेस से सीटें मांगी गईं थी लेकिन सहमति नहीं बनी। लेकिन जिस तरह से गुरुवार को एग्जिट पोल टीवी चैनलों पर प्रसारित किए गए, जिसमें भाजपा की सरकार बनने का दावा किया गया हम इससे सहमत नहीं हैं। प्रदेश में सत्ता बदलाव की भावना थी। यह चुनाव जनता ने भाजपा के खिलाफ लड़ा है। कांग्रेस अगर सपा सहित अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ कुछ सीटें साझा करती तो निश्चित तौर पर कांग्रेस और मजबूत हो सकती थी।

वहीं, द मूकनायक से बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रवि वर्मा राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने पहले ही स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया था। एग्जिट पोल के परिणामों में भिन्नता है, 3 दिसम्बर को कांग्रेस को जनता का आशीर्वाद मिलेगा।

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