उदयपुर- उदयपुर के आदिवासी इलाकों में आदमखोर तेंदुए को लेकर चल रही राजनीति ने अब बीजेपी और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसदों के बीच जुबानी जंग का रूप ले लिया है। तेंदुए के आतंक ने गोगुंदा और सायरा क्षेत्रों में अब तक नौ लोगों की जान ले ली है, लेकिन इस गंभीर मसले पर अब राजनीति गरमा गई है, जिसमें दोनों दलों के नेता सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।
गोगुंदा में तेंदुआ अब तक सात लोगों का शिकार कर चुका है, जबकि झाड़ोल में दो और लोग मारे गए हैं। 23 दिनों से चल रहे सर्च ऑपरेशन के बावजूद वन विभाग तेंदुए को पकड़ने में असफल रहा है। सीसीटीवी कैमरों में तेंदुए की कोई तस्वीर नहीं आ पाई है, और वन विभाग अब भी केवल पगमार्क्स के आधार पर अंदाज़ा लगा रहा है।
इस बीच, मंगलवार रात को उदयपुर से बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत ने फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए BAP पर सवाल खड़े किए। उन्होंने लिखा, "गोगुंदा-सायरा के जंगलों में ये तेंदुए कहीं BAP ने तो नहीं छोड़े?" रावत का ये बयान BAP कार्यकर्ताओं के उन आरोपों के बाद आया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि आदिवासी इलाकों में जानबूझकर तेंदुओं को छोड़ा गया है ताकि आदिवासी समुदाय को वहां से भगाया जा सके।
सांसद रावत ने अपने पोस्ट पर सफाई देते हुए कहा, "BAP के सदस्य लगातार सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म्स पर बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि हमने आदिवासियों को जंगलों से हटाने के लिए तेंदुओं को छोड़ा है। मैंने सिर्फ जनता से एक सवाल पूछा है—क्या ये BAP की साजिश तो नहीं?"
रावत ने यह भी बताया कि तेंदुए के हमले शुरू होते ही वे खुद मौके पर पहुंचे थे, अधिकारियों के साथ बैठक की और पीड़ितों के लिए राहत और मुआवजे का इंतजाम किया।
इस पर पलटवार करते हुए बांसवाड़ा-डूंगरपुर से BAP सांसद राजकुमार रोत ने रावत पर तीखा हमला बोला। उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा, "मन्नालाल रावत का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। अगर उन्हें बुखार भी हो जाए, तो वे उसके लिए भी BAP को दोषी ठहराएंगे। जबकि गोगुंदा में तेंदुआ लगातार इंसानों और पशुओं को मार रहा है, भाजपा के नेता अपनी जिम्मेदारी से भागते हुए घटिया राजनीति कर रहे हैं।"
सांसद रोत ने यह भी आरोप लगाया कि तेंदुए के आतंक से ग्रामीणों को बचाने के लिए रैली में जुटे BAP के 16 कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं ने प्रशासन को सतर्क करने के लिए एक छोटे से रास्ते पर प्रदर्शन किया था, लेकिन बीजेपी ने उन्हें भी नहीं बख्शा।
सांसद रावत और सांसद रोत के बीच चल रही इस जुबानी जंग से उदयपुर के आदिवासी अंचल में राजनीति गर्मा गई है, और तेंदुए के आतंक का मुद्दा अब राजनीतिक रंग ले चुका है।
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