भोपाल। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से ठीक एक दिन पहले, कोप ढोढर थाना क्षेत्र के धनाचया गांव में कुछ अज्ञात हमलावरों ने आदिवासी लोगों को धमकाया और गोलीबारी की। इस घटना में दो लोग घायल हो गए जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस वारदात ने गांव में भय का माहौल बना दिया है और राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। कांग्रेस और भाजपा के समर्थकों के बीच तनाव बढ़ गया है, जिससे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
इधर, कांग्रेस ने पुलिस और प्रशासन पर भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि लाइसेंस जमा कराए गए थे, तो हथियार कहां से आए?
सोमवार रात लगभग 10 बजे कुछ बाइक सवार हमलावरों ने गांव में आकर आदिवासी समुदाय के लोगों को धमकाया। हमलावरों के पास बंदूकें थीं और उन्होंने ग्रामीणों को गाली-गलौज करने के साथ गोलीबारी शुरू कर दी। हमले में प्रकाश और हरविलास नाम के दो आदिवासी घायल हुए, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल भेजा गया। घटना के दौरान ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए एक आरोपी को पकड़ लिया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
श्योपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष अतुल सिंह चौहान ने इस घटना को भाजपा की “गुंडागर्दी” बताते हुए कहा कि भाजपा आदिवासी समुदाय को डराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “यह घटना भाजपा की ओछी मानसिकता को दर्शाती है और आदिवासी समुदाय के खिलाफ अत्याचार का उदाहरण है। कांग्रेस इस अन्याय के खिलाफ खड़ी होगी।” कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद भाजपा ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए हिंसात्मक तरीके अपनाए हैं।
विजयपुर उपचुनाव के मद्देनजर जिले में सभी शस्त्र लाइसेंस जमा कराए गए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि बंदूकें गांव में कैसे पहुंचीं। कांग्रेस ने पुलिस और प्रशासन पर भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि लाइसेंस जमा कराए गए थे, तो हथियार कहां से आए? कांग्रेस का कहना है कि यह प्रशासन की नाकामी है और चुनाव आयोग से मांग की है कि इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “विजयपुर में प्रचार समाप्त होते ही भाजपा ने अत्याचार शुरू कर दिया। एक ओर आचार संहिता लागू है, तो दूसरी ओर भाजपा के हथियारबंद गुंडे आदिवासियों पर हमला कर रहे हैं।” उन्होंने प्रशासन पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विजयपुर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की। पटवारी ने कहा कि यदि प्रशासन में निष्पक्षता नहीं रही, तो यह चुनाव लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
घटना की सूचना मिलते ही एसडीओपी राजीव कुमार गुप्ता पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे और जांच शुरू की। पुलिस ने गांव में सुरक्षा बढ़ा दी है और अन्य आरोपियों की तलाश के लिए टीमों को भेजा है। पुलिस का कहना है कि इस घटना में शामिल सभी आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस ने गांव वालों से अपील की है कि वे संयम बनाए रखें और कानून को हाथ में न लें।
विजयपुर उपचुनाव में इस घटना ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है और इस मामले ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की जा रही है ताकि आदिवासी समुदाय में विश्वास बनाए रखा जा सके और चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो।
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