Electoral Bonds Scam: किसी ने ED के छापे के बाद दिया चंदा तो किसी को बॉन्ड्स के बदले मिला टेंडर

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी किए गए डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली शीर्ष 30 कंपनियों में से 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन पर इनकम टैक्स के छापे मारे गए हैं या उन्हें केंद्रीय या राज्यों की जांच एजेंसियों द्वारा कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
इलेक्टोरल बॉन्ड.
इलेक्टोरल बॉन्ड.Graphic : The Mooknayak
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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड यानी राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे से जुड़े आकंड़े गुरुवार की देर शाम, 14 मार्च को सार्वजनिक कर दिए। इन आँकड़ों से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। साथ ही सरकार और कॉर्पोरेट की मिलीभगत का खेल भी उजागर हो रहा है। भारतीय स्टेट बैंक ने भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेशानुसार 12 मार्च को ही निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा दे दिया था।

चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इसे दो हिस्सों में जारी किया है। डेटा से जुड़ी पहली लिस्ट 337 पेज की है जिसमें उन कंपनियों की जानकारी है जिन्होंने बॉन्ड्स खरीदे हैं। वहीं दूसरी 426 पेज की लिस्ट में बॉन्ड से चंदा पाने वाली राजनीतिक दलों की जानकारी है।

ECI द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक़, बीजेपी सबसे ज़्यादा चंदा हासिल करने वाली पार्टी बनकर सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच कुल 60 अरब रुपये से अधिक के चुनावी बांड भुनाए हैं। वहीं इस मामले में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसने 16 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को इनकैश किया है। वहीं सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ है। इस कंपनी ने कुल1368 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 13.6 अरब रुपये से अधिक रही।

शीर्ष 30 कंपनियों में से 14 पर इनकम टैक्स और जांच एजेंसियों ने छापे मारे

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी किए गए डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली शीर्ष 30 कंपनियों में से कम से कम 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन पर इनकम टैक्स के छापे मारे गए हैं या उन्हें केंद्रीय या राज्यों की जांच एजेंसियों द्वारा कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। वहीं, इनमें से कुछ कंपनियों को कथित रूप से इलेक्टोरल बॉन्ड्स के बदले सरकारी परियोजनाओं के टेंडर भी मिले हैं।

इन कंपनियों की लिस्ट में कोविड-19 की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट से लेकर उत्तरकाशी में हुए हादसे की वजह से चर्चित सिलक्यारा सुरंग बनाने वाली नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं।

फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज

इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली कंपनियों में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज नाम की कंपनी शीर्ष पर है। इस कंपनी ने 27 अक्टूबर 2020 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच 1368 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं। वहीं 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में इस कंपनी और उसके सब-डिस्ट्रीब्यूटर्स की 409 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी कुर्क की थी।

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड

चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई लिस्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली शीर्ष कंपनियों में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड दूसरे नंबर पर है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अक्टूबर 2019 में तेलुगु टाइकून कृष्णा रेड्डी की मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के हैदराबाद और बाकी शहरों में कई दफ्तरों पर छापेमारी की थी। उसके बाद से इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड्स के जरिए 966 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को दिए हैं।

अप्रैल 2023 में इस कंपनी ने 140 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए ट्रांसफर किए। जिसके एक महीने के बाद ही कंपनी को करीब 14,400 करोड़ रुपए का ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिल गया।

हल्दिया एनर्जी लिमिटेड

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड HEL ने मई 2019, जुलाई 2021, अक्टूबर 2021, जुलाई 2022 और जनवरी 2023 में कुल मिलाकर इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए 377 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को दिए हैं। इस तरह HEL को सबसे ज्यादा चंदा देने वाली शीर्ष 5 कंपनियों में से एक माना जा रहा है। मार्च 2020 में इस फर्म को भी केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।

वेदांता लिमिटेड

आंकड़ों के मुताबिक, वेदांता समूह ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए करीब 400 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। इस कंपनी पर 2018 के मध्य में प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई हो चुकी है। जिसके बाद 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता ने 39 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। इसके अलावा वेदांता समूह की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) पर अगस्त 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने छापा मारा था। वेदांता समूह को राधिकापुर वेस्ट प्राइवेट कोल माइन 3 मार्च 2021 को मिली थी। जिसके बाद कंपनी ने अगले महीने ही 25 करोड़ रुपए का चंदा दिया है।

यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल

हैदराबाद की कॉर्पोरेट हॉस्पिटल यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पर दिसंबर 2020 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने छापेमारी की थी। जिसके बाद इसने अक्टूबर 2021 में चुनावी बांड में 162 करोड़ रुपये का दान दिया।

डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड

रियल्टी डेवलपर कंपनी डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड ने चुनावी बॉन्ड्स में 130 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस कंपनी पर जनवरी 2019 में भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं के चलते जनवरी सीबीआई ने छापा मारा था। वहीं ईडी ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक के गुरुग्राम स्थित दफ्तरों में नवंबर 2023 में तलाशी ली थी।

जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड

विदेशी मुद्रा नियमों के कथित उल्लंघन से जुड़ी जांच के सिलसिले में ईडी ने अप्रैल 2022 में जेएसपीएल (JSPL) के परिसरों की तलाशी ली थी। इस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स में कुल 123 करोड़ रुपये का दान दिया है। इसी तरह कंस्ट्रक्शन फर्म चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड पर जुलाई 2021 में आयकर अधिकारियों ने छापेमारी की थी। जिसके बाद इसने जनवरी 2022 में 105 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे हैं।

चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड

कंस्ट्रक्शन फर्म चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड पर जुलाई 2021 में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा था। जनवरी 2022 में इसने चुनावी बांड में 105 करोड़ रुपये का दान दिया था।

उत्तरकाशी में ढही सुरंग बनाने वाली कंपनी ने ख़रीदे 55 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड

पिछले साल 12 नवंबर को उत्तरकाशी में जिस निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के ढहने से 41 मजदूर फंस गए थे और उनके बचाव में 16 दिन से अधिक का समय लगा था। इस सुरंग को बनाने का ठेका जिस कंपनी के पास है उसका नाम नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, इस कंपनी ने कम से कम 55 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने 2019 में 45 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे और 2022 में 10 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। वहीं इससे पहले, जुलाई 2018 में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज द्वारा इस कंपनी के कई परिसरों पर छापेमारी भी की गई थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा अक्टूबर 2018 में कथित कर चोरी को लेकर इस कंपनी के हैदराबाद स्थित परिसर पर छापा मारा गया था।

बता दें कि नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के पास सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग परियोजना का 853.8 करोड़ रुपये का टेंडर है। इससे पहले यह कंपनी ब्रह्मपुत्र नदी पर 9.15 किमी तक फैले भारत के सबसे लंबे पुल ढोला-सदिया का निर्माण, सुंडीला बैराज, नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना, दिबांग-लोहित नदी प्रबंधन प्रणाली, गंगापथ परियोजना जैसी बड़ी सरकारी परियोजनाओं से जुड़ी रही हैं।

कोविड-19 की वैक्सीन से कमाया पैसा राजनीतिक चंदे में दिया

कोरोना काल में कोव‍िशील्‍ड नाम से वैक्‍सीन बनाकर दुन‍िया भर में सप्लाई करने वाली कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंड‍िया ने इसके जरिए मोटी कमाई की थी। केंद्र सरकार ने भी कोविड-19 की वैक्सीन के लिए लगभग पूरा टेंडर इसी कंपनी के नाम कर रखा था। देश में लोगों को मुफ़्त वैक्सीन लगाने के लिए खरीदारी करने के साथ ही केंद्र सरकार ने बाकी देशों में निर्यात करने के लिए भी इस कंपनी से बड़ी मात्रा में वैक्सीन के डोज़ खरीदे थे।

कोरोना महामारी के अगले ही साल अगस्त 2022 में इस कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने महज 48 घंटे के भीतर 50 करोड़ चंदा दिया। इसके 15 दिन बाद ही कंपनी ने ढाई करोड़ रुपए और राजनीतिक चंदे के रूप में प्रूडेंट चुनावी ट्रस्‍ट को दिए थे।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, प्रूडेंट चुनावी ट्रस्‍ट ने 52.5 करोड़ रुपए की यह कुल रकम एक ही बार में बीजेपी को सौंप दी। बता दें कि रॉयटर्स ने प्रूडेंट इलेक्‍टोरल ट्रस्‍ट की ओर से चुनाव आयोग को सौंपी गई र‍िपोर्ट का व‍िश्‍लेषण किया जिसमें 2019 से 2022 के बीच हुए 18 लेनदेन की जांच की गई है।

इलेक्टोरल बॉन्ड.
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