आरएसएस की आलोचना संविधान के खिलाफ: जगदीप धनखड़

आरएसएस का बचाव करते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह जानकर खुशी होती है कि आरएसएस राष्ट्रीय कल्याण और हमारी संस्कृति के लिए योगदान दे रहा है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़
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नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का बचाव किया और कहा कि आरएसएस की आलोचना करना संविधान के खिलाफ है, जो सदस्य ऐसा कर रहे हैं, वो संविधान को रौंदने जैसा है। आरएसएस देश की सेवा करता है और इससे जुड़े लोग निःस्वार्थ भाव से काम करते हैं।

धनखड़ ने कहा कि आरएसएस को देश की विकास यात्रा का हिस्सा बनने का अधिकार है। आरएसएस की साख बेदाग है। उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी होती है कि आरएसएस राष्ट्रीय कल्याण और हमारी संस्कृति के लिए योगदान दे रहा है। हर किसी को ऐसे किसी भी संगठन पर गर्व होना चाहिए।

धनखड़ ने ये बातें समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन की उस टिप्पणी पर कहीं जिसमें सांसद ने राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी (एनटीए) के अध्यक्ष की नियुक्ति और उनके आरएसएस से जुड़े होने को लेकर सवाल उठाए थे। सुमन ने कहा था कि सरकार के लिए सिर्फ ये मायने रखता है कि पद पर बैठा व्यक्ति संघ से जुड़ा है या नहीं। इस पर राज्यसभा के सभापति ने कहा कि इस टिप्पणी को रिकार्ड में नहीं आने देंगे। किसी को वह आरएसएस का नाम लेने की इजाजत नहीं देंगे।

उन्होंने सांसद की टिप्पणी को रिकार्ड से हटाने के लिए कहा जिसका राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विरोध किया। खरगे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर जो सदस्य ने बोला है वो सही है। उनकी बात सदन के नियमों के खिलाफ नहीं है। इस पर धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय कार्य में लगे संगठन की आलोचना करना संविधान के खिलाफ है।

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