भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित पांच नेताओं को शामिल किया गया है। इस बार मंत्रियों की सूची में भाजपा ने जातीय समीकरण को बैलेंस करने की कोशिश की है। इसलिए एमपी से दो आदिवासी एक दलित नेता को मंत्रिमंडल में शामिल किया है।
मध्य प्रदेश की कुल आबादी में करीब 22 प्रतिशत आदिवासी और 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग की संख्या है। भाजपा ने इसी संख्या को ध्यान में रखकर मंत्रियों का चयन किया है। आदिवासी वर्ग के दो सांसद जिनमें से एक महिला को मंत्री बनाकर भाजपा ने प्रदेश की राजनीति में जातिगत हिस्सेदारी का मैसेज दिया है। इनमें भी बुंदेलखंड क्षेत्र से अनुसूचित जाति (एससी) को मंत्री बनाकर सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है।
प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र में ही सर्वाधिक आबादी दलितों की है। जिसका जुड़ाव, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से भी है, इसलिए इस क्षेत्र की टीकमगढ़ सीट से सांसद निर्वाचित हुए वीरेंद्र कुमार खटीक को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। बैतुल सीट से सांसद बने दुर्गादास डीडी उइके को राज्य मंत्री बनाया है। डीडी जनजाति गौंड समुदाय से आते हैं। प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में गौंड आदिवासियों की सर्वाधिक संख्या है। इधर, धार सीट से सावित्री ठाकुर को भी राज्य मंत्री बनाया है, सावित्री, भील समुदाय से आती हैं। निमाड़-मालवा क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या भील-भिलाला आदिवासियों की ही है।
इन मंत्रियों में सबसे चौंकाने वाला नाम सावित्री ठाकुर का ही है। आरक्षित धार लोकसभा सीट से जीत हासिल करने वाली आदिवासी नेत्री अब सदन और केंद्रीय मंत्रिमंडल में एमपी के मालवा और निमाड़ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगी। सावित्री दूसरी बार की सांसद है। जिन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है।
46 साल की सावित्री ठाकुर मध्य प्रदेश में बीजेपी का आदिवासी चेहरा हैं। उन्होंने पंचायत चुनाव से लेकर पार्लियामेंट तक का सफर तय किया है। 2004 से 2009 तक जिला पंचायत सदस्य/ अध्यक्ष रह चुकी हैं, 2014 में पहली बार सांसद बनीं और अब 2024 में एक बार फिर से बीजेपी सांसद बनी हैं।
सावित्री ठाकुर धार जिले की धरमपुरी तहसील स्थित तारापुर गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने हायर सेकेंडरी तक पढ़ाई की है। सावित्री के पिता के अविभाजित मध्य प्रदेश में वन विभाग के कर्मचारी थे। जबकि पति सामान्य किसान हैं। परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं रहा। सावित्री ने अपने सावर्जनिक जीवन की शुरुआत एक एनजीओर में बतौर कोऑर्डिनेटर के रूप में जुड़कर की। उन्होंने एनजीओ के जरिए आदिवासी महिलाओं की बेहतरी के लिए काम किया।
इसी दौरान सावित्री ठाकुर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के अनुषांगिक संगठनों के संपर्क में आईं। उन्होंने संघ के संघठनों से जुड़कर भी आदिवासी और गरीबों के उत्थान के लिए काम किया। सावित्री, आदिवासी महिला विकास परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं।
सावित्री ठाकुर, साल 2003 में जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं, 2004 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। फिर 2013 में कृषि उपज मंडी धामनोद की निदेशक भी बनीं। इसके बाद 2014 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतीं। इस चुनाव में सावित्री ने राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस नेता उमंग सिंघार को 1 लाख से ज्यादा वोटों से पराजित किया था। सिंघार मौजूदा दौर में मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
वहीं, 2019 में सावित्री का टिकट काटकर बीजेपी ने छतर सिंह दरबार पर दांव लगाया था। दरबार भी करीब डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीतने में सफल रहे। हालांकि, इस बार यानी 2024 में फिर से बीजेपी ने सावित्री ठाकुर को टिकट दिया था। चुनाव में दो लाख से ज्यादा वोटों के बड़े अंतर से वह जीत गईं।
मध्य प्रदेश की बैतुल सीट से सांसद बने दुर्गादास (डीडी) उइके ने भी राज्य मंत्री पद की शपथ ली है। दुर्गादास भी दूसरे बार के सांसद है। उन्होंने इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रामू टेकाम को दूसरी बार बड़े अंतर से चुनाव हराया है।
दुर्गा दास उइके को डीडी उइके के नाम से भी जाना जाता है। वे राजनीति में आने से पहले एक शिक्षक थे। 2019 में बीजेपी ज्वाइन की और पहले ही चुनाव में टीचर से सांसद बन गए। बैतूल लोकसभा सीट से दुर्गादास उईके ने इस बार कांग्रेस प्रत्याशी रामू टेकाम को 3 लाख 79 हजार 761 वोटों से हराया है। बैतूल में बंपर जीत के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। दुर्गादा उईके आदिवासी वर्ग से आते हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि जातिगत समीकरणों को साधने के लिए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
भाजपा ने अनुसूचित जाति वर्ग के नेता वीरेंद्र खटीक को इस बार फिर मंत्री बनाया है। बीजेपी के सीनियर सांसदों में से एक वीरेंद्र कुमार खटीक, मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ सीट से बड़े अंतर से जीतकर आए हैं। 8 बार के सांसद वीरेन्द्र पिछली सरकार में मोदी सरकार में प्रोटेम स्पीकर और मंत्री रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनावों में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा संसदीय सीट से 8.21 लाख वोटों से जीत दर्ज की है। शिवराज सिंह को ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा माना जाता है। प्रदेश सर्वाधिक जनंसख्या ओबीसी की है। दूसरा मुख्यमंत्री पद का लंबा अनुभव पार्टी में बड़ा कद होने के कारण उन्हें कैबिनेट में जगह मिली है।
शिवराज सिंह चौहान 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। वे मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक सीएम पद का कार्यकाल संभाला है। उनका कार्यकाल करीब 16.5 वर्ष का रहा है।
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