नई दिल्ली: भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में कुकी और मैतेई, दो समुदायों के बीच पिछले साल 2023 में जून से शुरू हुए जातीय हिंसा एक साल से अधिक समय तक चली. देश के इस हिस्से में केंद्र सरकार के उचित हस्तक्षेप की कमी और यहां की राज्य सरकार पर कुकी समुदाय के उत्पीड़न के आरोपों का परिणाम यह हुआ कि यहां से भाजपा पूरी तरह से साफ हो चुकी है.
दो लोकसभा सीटों वाले मणिपुर - आतंरिक मणिपुर सीट, बाह्य मणिपुर सीट - पर 4 जून, मंगलवार को आए लोकसभा परिणाम में कांग्रेस पार्टी को जीत हासिल हुई है.
आतंरिक मणिपुर सीट पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीद Angomcha Bimol Akoijam को 3,74,017 मत मिले हैं, जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा के उम्मीदवार Thounaojam Basanta Kumar Singh मात्र 2,64,216 पाकर हार गए.
इसी तरह बाह्य मणिपुर सीट पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार Alfred Kan-Ngam Arthur को कुल 3,84,954 मत प्राप्त हुए, वहीं क्षेत्रीय दल नागा पीपुल्स फ्रंट के उम्मीदवार Kachui Timothy Zimik 2,99,536 वोट पाकर हार गए.
राजधानी मणिपुर से लगभग 40 किमी दूर मोयरोंग निवासी कुमाम डेविडसन इस लोकसभा चुनाव के नतीजे पर द मूकनायक को बताते हैं कि, “जनता जीत गई। मणिपुर के लोगों ने अपना असंतोष व्यक्त करते हुए शांति के लिए मतदान किया।”
जाहिर है कि मणिपुर राज्य में भाजपा की सरकार है. हिंसा के दौरान यहां के सीएम एन वीरेन सिंह को लगभग दोनों समुदायों के आक्रोश का सामना करना पड़ा है.
यह माना जा रहा है कि असंतोष, असुरक्षा, दर्द और अशांति के माहौल में लोगों ने विपक्ष का साथ देकर यह सन्देश दिया है कि लोग अब अपने पूर्व के शांति और खुशहाली वाली दिनों में लौटना चाहते हैं.
कुकी बाहुल्य क्षेत्र चुराचांदपुर की सामाजिक कार्यकर्ता मैरी हामर बताती हैं कि, "हमारे अधिकारों की सुरक्षा के लिए लोगों का जनादेश मिला है, धर्मनिरपेक्षता को बरकरार रखा गया है साथ ही भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को फिर से हासिल किया गया है। अब राज्य में भाजपा को हमारे अस्तित्व का एहसास होगा। यह सर्वशक्तिमान ईश्वर की योजना है."
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