लोकसभा चुनाव 2024: बाप का दावा-राजस्थान के इस सीट में होगी सर्वाधिक वोटिंग, जानिये क्यों हैं यहां रोचक मुकाबला

भारत आदिवासी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में 7 राज्यों और दादरा नगर हवेली में अभी तक कुल 23 निर्वाचन क्षेत्रों पर अपने उम्मीदवार घोषित किये हैं.
मतदाताओं से समर्थन की अपील करते हुए    भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशी  राजकुमार रोत
मतदाताओं से समर्थन की अपील करते हुए भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशी राजकुमार रोत
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बांसवाड़ा/उदयपुर - 19 अप्रैल को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के पहले चरण में कमोबेश सभी जगह हुई कम वोटिंग ने भाजपा के नेताओं को चिंता में डाल दिया है, वहीं अन्य सभी पार्टियां भी वोटरों की उदासीनता देखते हुए 26 अप्रैल को दूसरे फेज की पोलिंग में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वोट करने के लिए मतदान केन्द्रों तक लाने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हुई है। 

राजस्थान की बात करें तो दूसरे चरण में 26 अप्रेल को 13 सीटों पर चुनाव होने हैं और इसमें सबसे अधिक रोचक मुकाबला दक्षिणी राजस्थान में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर रहने की उम्मीद है। रोचक इसलिए है क्योंकि यहां दो विधायकों के बीच मुकाबला है और दोनो के उम्र और तजुर्बे में बड़ा फर्क होने के बावजूद दोनो आदिवासी समुदायों के बीच भारी पैठ रखते हैं। 

कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले महेन्द्रजीत सिंह मालवीय का सीधा मुकाबला भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशी 32 -वर्षीय राजकुमार रोत के साथ है। 2023 विधानसभा चुनाव में राजकुमार रोत चौरासी से लगातार दूसरी बार चुनाव जीते थे, इससे पहले वे 2013 में बीटीपी (Bhartiya Tribal Party) से विधायक रहे। 63 वर्षीय मालवीय, चार बार के विधायक, पूर्व मंत्री और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य रहे हैं। 

दोनों के अलावा बांसवाड़ा सीट के चुनावी दंगल को कांग्रेस उम्मीदवार की दावेदारी ने रोचक और मुश्किल बना दी है। तकनीकी रूप से देखा जाए तो यहां त्रिकोणीय संघर्ष भाजपा, बाप और कांग्रेस के बीच है लेकिन कांग्रेस द्वारा बाप को समर्थन देने की घोषणा के बाद Bipolar मुकाबला बाप और भाजपा के मध्य रह गया है लेकिन कांग्रेस सिंबल पर अरविंद सीता डामोर मैदान में डटे हुए हैं जिसकी वजह से कांग्रेस को पड़ने वाले एक एक वोट बाप के लिए नुकसानदायक साबित होंगे। 

गौरतलब है कि कांग्रेस बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट बाप के लिए छोड़ने को तैयार थी। लेकिन बाप चुनावी समझौते में चार से पांच सीट चाहती थी। ऐसे में नामांकन-पत्र दाखिल करने के अंतिम दिन कांग्रेस ने प्रदेश के पूर्व मंत्री अर्जुन बामनिया को प्रत्याशी घोषित किया था। हालांकि बामनिया समय पर नामांकन-पत्र दाखिल करने नहीं पहुंचे तो कांग्रेस ने डामोर का पार्टी प्रत्याशी के रूप में नामांकन-पत्र दाखिल करवाया था। इस बीच बाप ने पांच सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए थे।

बाद में कांग्रेस ने बाप प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की और अरविन्द सीता डामोर को नामांकन फॉर्म वापस लेना था लेकिन डामोर एन मौके पर मोबाइल स्विच ऑफ करके आउट ऑफ़ रीच हो गए जिसके कारण कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी के रूप में वे बिना पार्टी के वास्तविक सपोर्ट के मैदान में बने हुए हैं. कांग्रेस के सभी नेता बाप प्रत्याशी राजकुमार रोत के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं .

बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट में करीब 15 लाख एसटी और 90 हजार एससी मतदाता हैं, यहां सामान्य वोटरों की संख्या 1.80 लाख ओबीसी 3.25 लाख है.

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए उम्मीदवार महेंद्रजीत सिंह मालवीय जहां एक और भाजपा बैनर से चुनाव जीतकर स्वयं का वर्चस्व साबित कर कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देना चाहते हैं वहीं कांग्रेस भी इलाके में बाप की मजबूत पकड़ और राजकुमार जैसे ऊर्जावान और युवा उम्मीदवार का साथ देकर मालवीय को सबक सिखाने का मन बना चुकी है.

बांसवाड़ा में चुनावी सभा को संबोधित करते डॉ जितेंद्र मीणा
बांसवाड़ा में चुनावी सभा को संबोधित करते डॉ जितेंद्र मीणा

द मूकनायक ने भारत आदिवासी पार्टी के प्रवक्ता और राष्ट्रीय सदस्य डॉ जितेंद्र मीणा से प्रथम फेज के चुनाव में मतदान के प्रति वोटरों की उदासीनता के मद्देनजर बांसवाड़ा में चुनावी रंगत और भाजपा से मुकाबले को लेकर रणनीति आदि पर बात की। मीणा कहते हैं कि भले ही कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद सीता डामोर मैदान में हैं लेकिन पूरे बांसवाड़ा में कहीं भी कांग्रेस की एक गाड़ी, एक झंडा या बैनर नही दिख रहा है। " मतदाताओं को साफ तौर पर मैसेज पहुंचाने में हम कामयाब हुए हैं कि कांग्रेस ने बाप को समर्थन दिया है और इस हिसाब से राजकुमार ही कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार हैं". हालांकि मीणा यह स्वीकार करते हैं कि पारंपरिक वोटर जो कांग्रेस चुनाव चिन्ह 'पंजा' देखकर वोट डालते हैं, ऐसे बुजुर्ग वोटरों तक संदेश नही पहुंचने की स्थिति में कुछ नुकसान हो सकता है। 

बाप ने दुसरे चरण के चुनाव में अधिक से अधिक लोगों को मतदान हेतु प्रेरित करने के लिए बूथ लेवल मैनेजमेंट की भी स्ट्रेटजी बनाई है। मीणा कहते हैं , " अगले चार पांच दिनों में हम ऐसे बुजुर्ग और वरिष्ठ मतदाताओं तक वन-टू-वन पहुंचने का प्रयास करेंगे । मीणा का दावा है कि पूरे राजस्थान के वोटिंग प्रतिशत के मुकाबले इस बार वागड़ सीट पर सबसे अधिक मतदान होगा क्योंकि यहां कांटे की टक्कर है। बाकी जगहों पर वोटिंग के प्रति जनता का रुझान कम रहने के कई कारणों में मौसम, सांवेआदि हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण है की लोग भाजपा कांग्रेस की पॉलिटिक्स से फेड अप हो चुके हैं, वे आजिज आ गए हैं और इस हिसाब से दक्षिणी राजस्थान का बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट अलग है और यहां चुनाव में बाप की मजबूत पकड़ इस रण को बहुत रोचक बनाती है। 

बाप का राष्ट्रीय नेतृत्व युवाओं विशेषकर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले 18 से 35 वर्ष के वोटरों तक अपनी बात,एजेंडा और चुनावी मुद्दों को प्रभावी ढंग से पहुंचाने में कामयाब रहा है। बकौल मीणा, " अभी तक तो आकलन यह है कि बांसवाड़ा हम जीत रहे हैं, छोटा संगठन और नई पार्टी होने के बावजूद बहुत कम समय में बाप ने आदिवासी वोटरों में अपनी छाप छोड़ने में कामयाबी हासिल की है जिसका असर राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी साफ तौर पर दिखाई दिया।"

अब पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाने वाली पार्टी भले ही सभी सीटों पर जीत के प्रति आश्वस्त ना हो लेकिन बांसवाड़ा में विजय और उदयपुर में दूसरे स्थान पर रहकर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेलने का दावा करती है। भारत आदिवासी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में 7 राज्यों और दादरा नगर हवेली में अभी तक कुल 23 निर्वाचन क्षेत्रों पर अपने उम्मीदवार घोषित हैं.

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