क्या अब सिर्फ चंद्रशेखर ही दलितों के लिए आखिरी उम्मीद?

इस बार के लोकसभा चुनाव में नगीना सीट पर चंद्रशेखर ने 5,12,552 मत हासिल किए, जबकि बसपा प्रत्याशी को सिर्फ 13,212 वोट मिले।
चंद्रशेखर आजाद कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए. (फाइल फोटो)
चंद्रशेखर आजाद कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए. (फाइल फोटो)
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उत्तर प्रदेश। लोकसभा चुनाव में बसपा के खराब प्रदर्शन ने कई सवाल खड़ा कर दिए हैं। बसपा का कोई भी प्रत्याशी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाया। वहीं अब चर्चा यह भी है कि चंद्रशेखर दलितों के लिए नए चेहरे के रूप में उभर के सामने आये हैं। दलित राजनीति करने वालों में अब वही आखिरी उम्मीद बचे हैं। इसका मुख्य कारण चंद्रशेखर का बिजनौर की नगीना सीट से बड़ी बढ़त के साथ चुनाव में जीत दर्ज करना भी है।

दरअसल,नगीना लोकसभा सीट से आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर आजाद की जीत बसपा की बेचैनी बढ़ाने वाली है। पिछले चुनाव में इस सीट पर बसपा का सांसद चुना गया था, प्रत्याशी लेकिन इस बार पार्टी चौथे पायदान पर पहुंच गई। वहीं 2019 के चुनावों में बसपा ने कुल 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार के चुनाव में चंद्रशेखर ने 5,12,552 मत हासिल किए जबकि बसपा प्रत्याशी को सिर्फ 13,212 वोट मिले। इस सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे और पार्टी के तत्कालीन नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद ने छह अप्रैल को अपनी पहली चुनावी सभा नगीना में ही की थी।

बसपा के स्टार प्रचारकों में नंबर दो की हैसियत वाले आकाश ने रैली में चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना उसे मसीहा बताकर युवाओं को बरगलाने का आरोप लगाया था। चंद्रशेखर ने जिस तरह से 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल कर जीत दर्ज की है उससे साफ है कि आकाश की आक्रामकता का असर जनसभा में जुटे वंचित समाज पर बिल्कुल नहीं पड़ा।

मायावती भी रह चुकी हैं सांसद

बिजनौर जिले से वर्ष 2008 में नए परिसीमन के बाद नगीना सीट बनी है उसी बिजनौर से सीट से मायावती वर्ष 1989 में सांसद रह चुकी हैं। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब बसपा की इस कदर बदतर स्थिति ने पार्टी नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। वैसे बसपा ज्यादातर दूसरी सीटों पर भी तीसरे स्थान पर रही है।

आकाश आनंद से उत्तराधिकार छीनने पर गिरी वोटिंग!

सियासी गलियों में यह भी दावा किया जा रहा है कि मायवती वर्तमान समय में कम सक्रिय हैं। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव को सफल कराने के लिए आकाश आनंद को उतारा था। उन्हें पार्टी का उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। वहीं लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान आकाश आनंद ने सीतापुर में एक रैली के दौरान भाजपा पर खुलकर हमलावर हो गए। इस मामले में आकाश आनंद पर मुकदमा भी दर्ज हुआ। जिसके बाद बसपा बैकफुट पर आई और आकाश आनंद का मायावती ने उत्तराधिकार छीन लिया। दावा यह भी किया जा रहा है मायावती के इस कदम ने बसपा के समर्थकों की आखिरी उम्मीद भी तोड़ दी और चुनाव में इसका असर साफ़ दिखा।

चंद्रशेखर आजाद कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए. (फाइल फोटो)
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