उत्तर प्रदेश। आजमगढ़ जिले में एक यादव परिवार ने घर के सदस्य की मौत के बाद तेरहवीं भोज का बहिष्कार किया गया। इसके साथ ही एक कार्यक्रम आयोजित कर समाज के अन्य सदस्यों को भी जागरूक रहकर यह करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मनुवादी कुरीतियों और विचारधारा को समाप्त करना था। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बामसेफ और डीएस 4 के संस्थापक सदस्य आरके गौतम थे। आरके गौतम मान्यवर कांशीराम के साथ काम कर चुके हैं।
यूपी के आजमगढ़ जिले के सगड़ी तहसील के कोइन्हा गांव में सुक्खू यादव के पिता बंसू यादव का विगत दिनों लंबी बीमारी के बाद देहान्त हो गया था। अपने पिता के देहांत पर होने वाली तेरहवीं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। सुक्खू यादव ने बताया, मैं बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, ज्योतिबाफुले, माता सावित्री बाई, पेरियार के विचारों से प्रभावित हूँ। उनके विचार जातीय भेदभाव और मनुवादी विचारों के धुर विरोधी थे। बहुजन चिन्तकों का मानना था कि जातीय भेदभाव और मनुवादी सोच समाज के लोगों को बांटने के लिए बनाई गई है।
कार्यक्रम में मौजूद एक बहुजन कार्यकर्ता ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को पेरियार, ललई सिंह यादव की सच्ची रामायण पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि इस रामायण में मनुवादी विचारधारा बनाई गई तथागत कहानियों की काट है। रामायण में जितने भी पात्र बताए गए हैं वह काल्पनिक हैं।
कार्यक्रम में मौजूद रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने बताया कि हिन्दू धर्म में जितना भी पूजा-पाठ और आडम्बर बताए हैं वह सिर्फ मनुष्य जाति को भटकाने के लिए हैं। इसका सबसे ज्यादा शिकार दलित और पिछड़ा समाज के लोग हैं। वह अपने जीवन भर की कमाई इस आडम्बर में ही बेकार कर देते हैं। यह लोग अच्छी शिक्षा, विज्ञान और तकनीक पर काम करने की जगह इन कुरीतियों का शिकार हो जाते हैं।
कार्यक्रम में मौजूद अजय यादव ने बताया, यदि भारत के लोग मनुवादी विचारधारा में न पड़कर विज्ञान और उसके चमत्कारों पर जोर देना चाहिए। जितनी भी चीजों का आजतक अविष्कार हुआ उनमें से अधिकतर विदेशी लोगों ने की हैं। इसका मुख्य कारण शिक्षा और वास्तविकता है। यदि व्यक्ति कुरीतियों में न फंसकर विज्ञान पर ध्यान दें तो इसका लाभ जरूर मिलेगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद बामसेफ और डीएस 4 के संस्थापक सदस्य आरके गौतम ने बताया कि, बाबा साहब ने कहा था शिक्षा वह शेरनी है जिसका दूध जो पियेगा, वह दहाड़ेगा। इसलिए हमें इस मनुवादी विचार धारा और उनके बनाये रीति-रिवाजों का पूरी जोर से विरोध करना चाहिए। हमें मूर्ति पूजा न करके बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, ज्योतिबा फूले, कांशीराम, पेरियार सहित अन्य बहुजन चिंतकों के संघर्षों और विचारों को पढ़ना चाहिए। इससे हमें अपनी स्थिति का ज्ञान होगा। यह हमें अपनी धन-संपदा को बचाने के लिए कारगर साबित होगा।
राजस्थान सरकार ने मृत्युभोज बंद कराने के लिए 1960 में मृत्युभोज निवारण अधिनियम बनाया था। इस नियम के अनुसार मृत्युभोज कराने वाले और उसमें शामिल होना दोनों अपराध है। धारा -4 में लिखा है धारा 3 अनुसार यदि कोई व्यक्ति मृत्यु भोज के लिए उकसायेगा या साथ देगा ,या प्रेरित करता है उसको एक वर्ष का साधारण कारावास और 1000 रुपये जुर्माना अथवा दोनों ही सजा से दंडित किये जाने का प्रावधान है।
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