लखनऊ। यूपी के मैनपुरी जिला निवासी बर्खास्त बस कन्डक्टर (परिचालक) मोहित यादव की आत्महत्या मामले में परिवहन मंत्री का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। वायरल बयान में परिवहन मंत्री का कहना है कि मोहित यादव ने संविदा समाप्त होने के बाद नौकरी बहाली की कोई अपील नहीं की थी। वहीं इस मामले में क्षेत्रीय रोडवेज प्रबंधक ने बताया कि मोहित यादव ने नौकरी बहाली के लिए पत्र लिखा था, जिसमें आख्या लगाकर उच्च अधिकारियों को भेज दिया था। इस मामले में पीड़ित परिवार ने द मूकनायक को एक लैटर सौंपा है, जिसे मोहित यादव ने 1 जुलाई 2023 को सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक बरेली रोडवेज डिपो को दिया था। द मूकनायक प्रतिनिधि ने परिवहन मंत्री से बातचीत करने का प्रयास किया। उनके पीआरओ सुमित राजभर द्वारा व्यस्तता बताते हुए कुछ देर बाद बात कराने की बात कही गई। इस मामले में खबर लिखे जाने उनसे कोई सम्पर्क नहीं हो सका।
मैनपुरी के घिरोर तहसील के कोसमा रेलवे स्टेशन के पास नगला खुशहाली गांव है। इस गांव में मोहित यादव रहते थे। मोहित 2011 से रोडवेज में संविदाकर्मी के रूप में काम कर रहे थे। उनकी पत्नी रिंकी यादव ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया, "घटना तीन जून की थी। बरेली डिपो की जनरथ बस यूपी 32 एनएन 0330 शाम साढे़ 7 बजे सवारियां लेकर सेटेलाइट बस स्टैंड से कौशांबी के लिए रवाना हुई थी। बस पर नियमित चालक केपी सिंह और संविदा परिचालक पद पर तैनात मेरे पति मोहित यादव थे। बरेली से निकलने के बाद चालक-परिचालक ने रामपुर से पहले रास्ते में बस रोक दी थी। मेरे पति पर बस रुकवाकर नमाज करवाने का आरोप लगा था, जबकि कई लोग पेशाब करने उतरे थे। इस दौरान ही दो मुस्लिम व्यक्ति नमाज करने लगे थे।"
जानकारी के मुताबिक यात्रियों ने इसका कारण पूछा तो पता लगा कि बस में सवार दो मुस्लिम यात्री बीच सड़क पर नमाज पढ़ रहे थे। इस पर यात्रियों ने हंगामा किया था। सतेंद्र नाम के यात्री ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया था। ट्विटर के जरिए परिवहन निगम के एमडी से शिकायत की गई थी।
आरएम दीपक चौधरी के निर्देशन पर बरेली डिपो के एआरएम संजीव श्रीवास्तव ने बस चालक केपी सिंह को निलंबित करने के साथ ही परिचालक मोहित यादव की संविदा समाप्त कर दी थी। बताया जाता है कि संविदा समाप्त होने के बाद मोहित तनाव में थे। 27 अगस्त को उन्होंने अपनी जान दे दी। इस घटना के बाद बरेली में संविदा कर्मचारियों ने वर्कशॉप में काम बंद कर दिया था।
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसके मुताबिक मोहित को 2016 में भी निकाल दिया गया था। उसकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। जिसके बाद उसने पत्र लिखकर पुनः काम करने की मांग की थी, जिसके बाद उसे बहाल कर दिया गया था।
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के सोशल मीडिया पर वायरल बयान के मुताबिक मोहित ने इस बार नौकरी बहाली के लिए कोई भी लेटर नहीं लिखा था। उन्होंने कहा कि दस हजार से ज्यादा संविदाकर्मी निकाले गए। किसी ने ऐसा कुछ नहीं किया। बस इस एक मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा।
वहीं इस पूरे मामले में मोहित यादव के परिवार ने द मूकनायक प्रतिनिधि को पत्र उपलब्ध कराया, जिसमें मोहित यादव द्वारा 1 जुलाई 2023 को एआरएम को चिट्ठी लिखकर पूरी घटना की जानकारी दी थी। उसने एआरएम से माफी मांगते हुए नौकरी में बहाल करने की मांग की थी।
इस मामले में यूपी रोडवेज के सहायक क्षेत्रिय प्रबंधक बरेली डिपो संजीव श्रीवास्तव ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया "01 जुलाई 2023 को मोहित यादव का जो पत्र आया था उसमें आख्या लगाकर सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय को प्रेषित किया जा चुका है।"
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