उत्तर प्रदेश/मैनपुरी। यूपी के मैनपुरी के रहने वाले मोहित यादव का आत्महत्या करना चर्चा का विषय बन गया है। बात सिर्फ इतनी सी थी कि दो व्यक्ति बस से उतरकर नमाज अता कर रहे थे, जबकि अन्य पेशाब के लिए गए थे। इस घटना के एक तरफा वीडियो और नफरत ने एक परिवार का बेटा, बहनों का भाई और बेटे से उसका पिता छीन कर पत्नी को विधवा बना दिया है। घटना से जुड़ा वीडियो ट्विटर (एक्स) पर डालने पर मामला ऐसा तूल पकड़ा कि 24 घण्टे के भीतर ही मोहित यादव के हाथ में उसका बर्खास्तगी लेटर थमा दिया गया। यह सिर्फ लेटर नहीं था। यह मोहित यादव की लगभग 11 साल यूपी रोडवेज में दी गई सेवा का परिणाम था कि उसने आज तक किसी भी यात्री से झगड़ा नहीं किया और न ही उन्हें परेशान किया। टीवी चैनलों और अखबार में लगातार छप रही हिन्दू मुस्लिम की नफरत ने मोहित की जिंदगी को निगल लिया। द मूकनायक की टीम मोहित के घर पहुंची और पूरी घटना की जानकारी ली।
बरेली में संविदा पर तैनात मोहित यादव मूल रूप से मैनपुरी की घिरोर तहसील के नगला खुशहाली गांव का रहने वाला था। द मूकनायक टीम लखनऊ से लगभग 260 किमी की यात्रा तय कर मैनपुरी पहुंची। मैनपुरी बस अड्डे से घिरोर तहसील 30 किमी पड़ती है। घिरोर चौराहे पर उतरते ही एक सड़क दाईं तरफ कोसमा रेलवे स्टेशन के लिए गई है, जिसकी दूरी लगभग 10 किमी है। कोसमा क्रासिंग के पास से दाई तरफ का रास्ता मोहित यादव के गांव जाता है। गांव की सड़क पर जाते ही एक रेलवे फाटक से गुजरना पड़ता है। इस रेलवे फाटक से लगभग पांच सौ मीटर दूरी पर मैनपुरी का कोसमा स्टेशन भी मौजूद है।
द मूकनायक टीम के साथ मोहित यादव का भाई रोहित यादव भी मौजूद था। उसने रेलवे स्टेशन की दूसरी तरफ थोड़ी दूर पर लगे ट्रांसफार्मर की ओर इशारा करते हुए बताया कि यही पर भाई ने 27 अगस्त की देर शाम आत्महत्या कर ली थी।
द मूकनायक टीम कुछ देर इसी स्थान पर रुकी और कुछ तस्वीरें खींची और फिर गांव की तरफ बढ़ गई। कोसमा रेलवे फाटक से लगभग एक किमी दूरी से थोड़ा ज्यादा जाकर मोहित का घर है।
टीम रक्षाबंधन वाले दिन सुबह गांव पहुंची थी। त्योहार होने के बावजूद पूरे गांव में सन्नाटा था। मोहित का घर गांव के बीच में है। गांव पहुंचते ही एक आधे बने हुए मकान के बाहर एक टेंट लगा हुआ है, उसके नीचे गद्दे बिछे हुए थे। इस टेंट के नीचे लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोग बैठे बातचीत कर रहे थे।
दर्जन भर लोगों की भीड़ में मैंने पूछा कि मोहित यादव के पिता कौन हैं? इस पर पुराना सफारी सूट पहने हुए अधेड़ उम्र के व्यक्ति, जिसकी उम्र लगभग 54 साल रही होगी, ने रुँधे गले से बोले, "मैं ही मोहित का पिता हूँ। मोहित मेरा बड़ा बेटा था।"
मोहित के पिता ने बताया, "वह रोडवेज में नौकरी करता था। वह 6 जून को घर लौटकर आया और उसने पूरी घटना मुझे बताई। वह बहुत ही परेशान था। कह रहा था 'अब कैसे क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा! मेरा सबकुछ खत्म हो गया।' इस पर मैंने उसे भैंस लाकर घर में डेरी खोलने या कोई भी छोटा-मोटा काम करने की बात कही थी।
मोहित के पिता बताते हैं कि "मोहित मेरे तीन बेटों में सबसे बड़ा था। इसके अलावा मेरे दो बेटे और दो बेटियां भी हैं। बड़ी बेटी की मैंने शादी कर दी। दोनों छोटे बेटों की भी शादी हो चुकी है। अब छोटी बेटी विनेश की शादी के लिए मोहित पैसे जोड़ रहा था, लेकिन उसकी नौकरी जाने से वह घबरा गया और उसे कुछ समझ नहीं आया।"
द मूकनायक टीम मोहित के घर के अंदर गई। घर के अंदर कई महिलाएं बैठी हुई थीं। एक महिला हरी साड़ी पहनकर बैठी थी। उसके दाएं पैर में प्लास्टर चढ़ा हुआ था। पास में ही एक बूढ़ी महिला आसमानी रंग की साड़ी पहने हुए बैठी थीं। मोहित के भाई रोहित ने बताया कि हरि साड़ी वाली महिला ही मोहित की पत्नी है। जबकि नीली साड़ी वाली महिला उनकी मां है।
द मूकनायक प्रतिनिधि ने मोहित की पत्नी रिंकी यादव से बातचीत की। रिंकी यादव बताती है, "मोहित 2011 से संविदा पर नौकरी कर रहे थे। इसी संविदा की नौकरी के आधार पर 2013 में हम दोनों की शादी हुई। अब हमारा एक बेटा भी है। शादी होने के बाद मोहित मुझे लेकर बरेली चले गए थे। वहीं हमने किराए पर एक मकान लिया था। सब कुछ अच्छा चल रहा था और फिर यह सब हो गया।"
रिंकी बताती हैं, मेरे देवर को बेटी हुई थी, इसलिए मई के आखिर में मोहित मुझे गांव छोड़कर वापस ड्यूटी पर चले गये थे। हमारी रोज बात होती थी। 6 जून की शाम उन्होंने मुझे फोन किया और बताया, '3 जून को मैं बरेली से कौशाम्बी के लिए बस लेकर जा रहा था। इस बस में शाम लगभग 6 बजे दो मुस्लिम व्यक्ति भी बैठे थे। उन्होंने मुझसे रास्ते में नमाज करने की इच्छा जताई थी। मैंने पहले उन्हें मना कर दिया, जब वह ज्यादा मिन्नतें कर रहे थे तो मैंने रास्ते में कहीं नाश्ता पानी के लिए बस रुकने के दौरान नमाज कर लेने की बात कही। हम आधे रास्ते पहुंचे थे। इस दौरान कई यात्रियों ने पेशाब करने की इच्छा जाहिर की थी। इस पर मैंने बस रुकवाई।'
रिंकी मोहित यादव के द्वारा बताई गई बात को द मूकनायक प्रतिनिधि से साझा करते हुए बताती हैं, "जब बस रुकी तो वह दोनों मुस्लिम भी बस से नीचे उतर गए। सब पेशाब कर रहे थे, जबकि दोनों मुस्लिम उतरकर नमाज करने लगे। इतने में बस में बैठे एक दूसरे व्यक्ति ने इस पर गुस्सा दिखाया और धमकाने लगा। उसने इस घटना का वीडियो भी बनाया और बाद में अधिकारियों से शिकायत कर दी। इस कारण मुझे नौकरी से निकालकर मेरी संविदा खत्म कर दी गई।"
रिंकी बताती हैं, "नौकरी जाने के बाद वह बहुत ही परेशान हो गए थे। उनका दिमाग काम नहीं कर रहा था। वह मुझसे कह रहे थे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं कहाँ जाऊं। मैं अब बर्बाद हो गया हूँ। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। मैं मर जाऊंगा। मेरा सिर फटा जा रहा है। अब मैं कभी घर लौटकर नहीं आऊंगा। यह बातें उन्होंने मुझे फोन पर कहीं जिसके बाद उनका फोन बंद हो गया", रिंकी ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया।
"मैंने उनके दोस्तों को फोन किया। इस पर उनके दोस्तों ने किसी तरह उनसे मेरी बात कराई। वह घर आने को तैयार नहीं थे। मैंने उनके दोस्तों से उन्हें गांव तक छोड़ देने का अनुरोध किया। जिसके बाद उन्हें गांव लाकर छोड़ दिया गया", रिंकी ने बताया।
रिंकी बताती हैं, "6 जून को घर आने के बाद से उन्होंने खाना-पीना बन्द कर दिया। वह रात में भी नहीं सो पाते थे। हर समय करवटें बदलते रहते थे। वह कुछ-कुछ देर में उठकर चलने लगते फिर आकर बैठ जाते। उन्हें देखकर लग रहा था वह बहुत ही बेचैन हैं। वह हमेशा खुश रहते थे, लेकिन इसके कारण उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था।"
रिंकी बताती हैं, "नौकरी जाने के बाद अब तो घर खर्च दवाइयों और अन्य काम के लिए उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से लगभग डेढ़ लाख रुपए का कर्ज धीरे-धीरे करके ले लिया। वह रोजाना नई नौकरी की तलाश में निकलते थे, लेकिन खाली हाथ ही लौटना पड़ता था।"
"मोहित 27 अगस्त की शाम लगभग 4 बजे को मुझसे बरेली जाने की बात कहकर निकल गए थे। रात में लगभग 2 बजे पुलिस का फोन आया और पुलिस ने बताया कि उनका शव कोसमा रेलवे फाटक से कुछ दूरी पर पड़ा हुआ है", बस इतना कहकर मोहित की पत्नी फूट-फूटकर रोने लगती हैं।
द मूकनायक की टीम ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। घटना 3 जून 2023 की है। मोहित यादव हमेशा की तरह अपनी ड्यूटी पर थे। मोहित यादव बरेली डिपो की बस संख्या -यूपी 32 एनएन 0330 से बरेली से कौशाम्बी के लिए निकले थे। इस दौरान रास्ते में कई यात्री चढ़े। इन यात्रियों में दो मुस्लिम यात्री भी थे। इन यात्रियों ने मोहित यादव से रास्ते में कहीं बस रुकवाकर नमाज की इच्छा जाहिर की थी। इस पर मोहित द्वारा मना कर दिया गया। जब उन दोनों यात्रियों ने मिन्नत की तो मोहित ने नाश्ते के समय अथवा यात्रियों द्वारा पेशाब करने के दौरान बस रुकने पर नमाज पूरी कर लेने की अनुमति दे दी। बस कुछ दूरी चली थी। इस दौरान कई यात्रियों ने पेशाब करने की इच्छा जाहिर की। इस दौरान दोनों मुस्लिम उतरकर नमाज करने लगे। सभी पेशाब करके लौट आये थे, लेकिन नमाजी नमाज अदा कर रहे थे, इसलिए मोहित ने उनकी नमाज खत्म हो जाने के बार चलने का निर्णय लिया।
नमाजियों को नमाज अदा करते देख रुकी हुई बस को चलने के लिए एक युवक ने आपत्ति जताई और पूरी घटना का वीडियो बना लिया। इस वीडियो में मोहित माफी मांगते भी दिख रहे हैं।
द मूकनायक की पड़ताल में सामने आया है कि 3 जून 2023 की रात को लगभग 19 बजकर 24 मिनट पर सत्येंद्र नामक व्यक्ति बरेली से कौशाम्बी जाने के लिए बस पड़ चढ़ा था। इस पूरी घटना का वीडियो भी उसी ने बनाया था। जिसके बाद 4 जून की सुबह 11 बजकर 52 पर उसने यह वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से टिकट सहित ट्वीट कर दिया और यूपी रोडवेज के अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की थी।
घटना का संज्ञान लेते हुए एआरएम बरेली द्वारा इस मामले में मोहित यादव की हमेशा के लिए संविदा समाप्त कर दी। जबकि बस के चालक कृष्ण पाल सिंह को निलंबित कर दिया था।
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