सुप्रीम कोर्ट के EWS पर फैसले के बाद झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ा

सुप्रीम कोर्ट के EWS पर फैसले के बाद झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ा
सुप्रीम कोर्ट के EWS पर फैसले के बाद झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ा
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पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य कैटेगरी के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के 10% आरक्षण को जारी रखने का फैसला दिया था। जिसके बाद अब तक चले आ रहे हैं 50 प्रतिशत आरक्षण की लिमिट खत्म हो गई थी। देश में आरक्षण की लिमिट 50 प्रतिशत होने बाद ओबीसी आरक्षण की सीमा पर बहस शुरु हो गई थी। अब झारखंड सरकार ने ओबीसी आरक्षण की लिमिट को बढ़ा दिया है।

झारखंड के हेमंत सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 77 फीसदी करने वाला विधेयक पारित कर दिया है। जिसके बाद अनुसूचित जनजाति को 28 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 27 फीसदी और अनुसूचित जाति के लिए 12 फीसदी आरक्षण लागू हो जाएगा। इससे पहले ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी था।

आपको बता दें कि, झारखंड सरकार ने विधानसभा में स्पेशल सेशन में दो महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किए गए थे। जिसके दो मुख्य आधार थे — पहला 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को कानूनी दर्जा देना, दूसरा ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी तक बढ़ाना। इनकी घोषणा सरकार ने अपनी चुनावी घोषणा में की थी।  

विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज का दिन राज्य के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। साथ ही कहा कि इस विधेयक के तहत जिन लोगों के पूर्वज 1932 से पहले इस क्षेत्र में रह रहे थे और जिनके नाम उस वर्ष के भूमि अभिलेखों में शामिल थे उन्हें प्रस्ताव लागू होने पर झारखंड के स्थानीय निवासी माना जाएगा।

आरक्षण के साथ खतियान बिल भी पास

आरक्षण के बढ़ोतरी करने के बाद 1932 भूमि रिकॉर्ड भी पारित किया गया। जिसके अनुसार झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और उनके लिए सामाजिक, संस्कृतिक और अन्य लाभ के विस्तार के लिए यह विधेयक 2022 पारित किया गया है।

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