भोपाल। सागर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक लापता ओबीसी नेता के मामले में पुलिस ने गलती से भोपाल से एक कचरा बीनने वाले शख्स को उठा लिया। पुलिस का कहना है कि वह व्यक्ति लापता नेता मान सिंह पटेल से मिलता-जुलता था, जिसके चलते उसे उठाया गया। हालांकि, जब उसे पहचान के लिए लाया गया, तो परिवार ने उस शख्स को पहचानने से इनकार कर दिया।
सागर पुलिस के अनुसार, भोपाल के छोला गणेश मंदिर के पास से संतोष श्रीवास्तव उर्फ कबाड़ी को उठाया गया था। सागर एसपी विकास कुमार सहवाल ने बताया कि संतोष के परिजनों से संपर्क हो गया है और जल्द ही उसे उनके हवाले कर दिया जाएगा। यह घटना तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने मान सिंह पटेल की गुमशुदगी मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस इस मामले में सक्रिय हो गई है।
मान सिंह पटेल के परिवार ने मौजूदा कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने पटेल को गायब करवाया है। इन आरोपों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि वे एक नई एसआईटी गठित करें। इस एसआईटी का नेतृत्व एक आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे और इसमें दूसरे राज्यों के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भी शामिल होंगे।
मान सिंह पटेल, जो कि एक ओबीसी नेता थे, अगस्त 2016 से लापता हैं। उनके बेटे सीताराम पटेल ने आरोप लगाया है कि जमीन विवाद के चलते तत्कालीन विधायक गोविंद सिंह राजपूत और उनके सहयोगियों ने मान सिंह को गायब करा दिया। सीताराम ने इस संबंध में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने केवल गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की थी।
पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस जांच को महज एक दिखावा बताया और नई एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस नई टीम में दूसरे राज्यों के वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को शामिल किया जाएगा ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
मान सिंह पटेल के बेटे सीताराम का आरोप है कि उनके पिता को गायब कर दिया गया ताकि उनकी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा किया जा सके। सीताराम ने दावा किया कि उनके पिता उस समय लापता हो गए जब उन्होंने गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले को लेकर ओबीसी महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सीताराम ने यह भी आरोप लगाया कि उनके पिता को गायब कर, उन्हें चुप कराने और जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया गया। कई बार स्थानीय प्रशासन और सीएम हेल्पलाइन को शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस पुलिस कार्रवाई नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए कहा, "लापता व्यक्ति के बारे में संदेह को संतोषजनक ढंग से दूर किया जाना चाहिए, विशेषकर उन लोगों के हित में जिन पर आरोप लगाए गए हैं।" कोर्ट ने पुलिस की 2023 में दर्ज एफआईआर पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि पुलिस अब तक मानसिंह पटेल का पता क्यों नहीं लगा पाई है।
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