भोपाल। मध्य प्रदेश में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के 27% आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामला ट्रांसफर किए जाने के बाद, राज्य में 13% होल्ड किए गए पदों को तत्काल अनहोल्ड करने की मांग की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर चल रही कानूनी खींचतान और मुख्यमंत्री की उपेक्षा के कारण मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण कुशमारिया अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं!
ओबीसी आरक्षण के मुद्दे ने एक बड़ा संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मामला ट्रांसफर होने के बावजूद, हाईकोर्ट के पुराने अंतरिम आदेशों के चलते 13% पदों पर होल्ड जारी है, जिससे हजारों उम्मीदवार प्रभावित हो रहे हैं। महाधिवक्ता के अभिमत के बाद ही इस समस्या का समाधान संभव है।
बता दें, प्रदेश में 8 मार्च 2019 को अध्यादेश जारी कर ओबीसी को 14% से बढ़ाकर 27% आरक्षण लागू किया गया था। इसके बाद, 14 अगस्त 2019 को सरकार ने विधान सभा से विधिवत कानून पास कर आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(2) में संशोधन कर इस बढ़े हुए आरक्षण को अमल में लाया। इस प्रकार, मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27%, अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 20% और ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण दिया गया, जिससे कुल आरक्षण की सीमा 73% हो गई।
हाईकोर्ट में सबसे पहली याचिका क्रमांक WP 5901/2019 पीजी नीट 2019-20 में दाखिल की गई थी, जिसमें ओबीसी को 27% आरक्षण न देने की शिकायत की गई थी। इस याचिका पर 19 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया, जो केवल नीट की काउंसलिंग प्रक्रिया पर लागू था। लेकिन इसके बाद, इसी आदेश का हवाला देते हुए कई अन्य याचिकाएं दायर की गईं, जिससे कई भर्तियों पर रोक लग गई।
ओबीसी आरक्षण की मुख्य याचिका क्रमांक WP 5901/2019 को हाईकोर्ट से डिस्पोज कर दिया गया है, लेकिन अब तक 13% होल्ड पदों को अनहोल्ड नहीं किया गया है। महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा जारी अभिमत के आधार पर राज्य की सभी भर्तियों को होल्ड कर दिया गया था, जिसके कारण लोक सेवा आयोग सहित राज्य की भर्तियों में 50 हजार से अधिक उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं।
मध्य प्रदेश शासन द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव से मुलाकात कर 13% होल्ड पदों को अनहोल्ड करने की दिशा में चर्चा की। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यदि महाधिवक्ता से अनुकूल अभिमत प्राप्त होता है, तो सभी भर्तियों में होल्ड किए गए पदों को अनहोल्ड किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश में 102वें संविधान संशोधन के तहत पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर व्यापक अधिकार प्रदान किए गए हैं। आयोग को सिविल न्यायालय के अनुरूप न्यायिक शक्तियां दी गई हैं। इसके बावजूद, राज्य में आयोग का विधिवत गठन नहीं हुआ है।
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