लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक ज्वेलरी शॉप में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को 5 सितंबर को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इसके बाद से प्रदेश भर में सियासत गरमा गई। सबसे पहले इस मामले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल उठाया और कहा कि जाति देखकर जान ली गई है। उसके बाद से सोशल मीडिया पर मंगेश के एनकाउंटर को लेकर पिछड़े समाज में खासा गुस्सा देखने को मिला। इसी क्रम में तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने 17 सितंबर उत्तर प्रदेश बंद की मुहिम भी छेड़ दी।
मण्डल आर्मी प्रमुख अनिरुद्ध सिंघ विद्रोही ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि, "मंगेश यादव के फर्जी एनकाउंटर और उत्तर प्रदेश में यादवों पर अत्याचार के खिलाफ सभी यादव भाईयों से 17 सितंबर 2024 को उत्तर प्रदेश सम्पूर्ण बंद का आव्हान किया जाता है।"
आगे लिखते हुए उन्होंने मांग की कि, "मंगेश यादव के हत्यारों को सजा हो। और 2017 से अब तक भाजपा सरकार में हुए सभी एनकाउंटर की सिटिंग जज कि निगरानी में निष्पक्ष एजेंसी गठित कर जांच हो।"
अशोक भारती, अध्यक्ष, राष्ट्रीय दलित एवं आदिवासी संगठन परिसंघ ने इस आवाहन को समर्थन देते हुए लिखा कि, "फर्जी मुठभेड़ों के खिलाफ उत्तर प्रदेश बंद को सफल बनाएं."
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील गजेंद्र सिंह यादव ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में मामला दर्ज कराया है। पुलिस विभाग के अतिरिक्त किसी उच्चस्तरीय संस्था से जांच कराने की मांग की है।
इधर, आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा, मंगेश यादव के पिता राकेश यादव और परिवार के अनुसार, उसे सोमवार, 2 सितंबर को घर से उठाया गया। पुलिस ने दो दिन तक अपने पास रखा। इसके बाद 5 सितंबर को तड़के उसका फर्जी एनकाउंटर दिखा दिया गया।
पूर्व IPS ठाकुर ने कहा- STF टीम की अगुआई कर रहे CO डीके शाही की एनकाउंटर के वक्त की तस्वीर सामने आई है। शाही स्लीपर में दिख रहे हैं। चप्पल की बनावट ऐसी है कि उसे पहनकर दौड़ा नहीं जा सकता। तेजी से दौड़ना और एनकाउंटर के समय घटित होने वाली अन्य स्थितियों का सामना करना तो बहुत दूर की बात है। उन्होंने जांच की मांग की है। डीके शाही की पत्नी ऋतु शाही बीजेपी की नेता हैं। ऋतु शाही को हाल में ही उत्तर प्रदेश महिला आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है।
दूसरी तरफ मंगेश यादव के एनकाउंटर मामले पर बसपा सुप्रीमो मायावती की अलग ही राय दिखी, उन्होंने अपने ऑफिसियल सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा कि, "यूपी के सुलतानपुर जिले में एनकाउन्टर की घटना के बाद से बीजेपी व सपा में कानून-व्यवस्था को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं तथा अपराध, अपराधी व जाति के नाम पर जबरदस्ती की राजनीति की जा रही है, जबकि इस मामले में ये दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई जैसे हैं। अर्थात् बीजेपी की तरह सपा सरकार में भी तो कई गुणा ज्यादा कानून-व्यवस्था का बुरा हाल था।"
"दलितों, अन्य पिछडे़ वर्गों, गरीबों व व्यापारियों आदि को सपा के गुण्डे, माफिया दिन-दहाड़े लूटते व मारते-पीटते थे, ये सब लोग भूले नहीं हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में वास्तव में 'क़ानून द्वारा क़ानून का राज', बी.एस.पी. के शासन में ही रहा है। जाति व धर्म के भेदभाव के बिना लोगों को न्याय दिया गया। कोई फर्जी एनकाउन्टर आदि भी नहीं हुये। अतः बीजेपी व सपा के कानूनी राज के नाटक से सभी सजग रहें," बसपा सुप्रीमो ने लिखा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय मंगेश यादव के घर पहुंचे। उन्होंने मंगेश के पिता को सांत्वना देते हुए उन्होंने इसे फर्जी एनकाउंटर बताया। अजय राय ने कहा कि भाजपा जाति और धर्म देखकर लोगों को निशाना बना रही है।
आरटीआई एक्टिविस्ट कुनाल शुक्ला ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर दर्ज किए गए मुकदमों और आपराधिक धाराओं की एक प्रतिलिपि सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखते हैं कि, "जो मंगेश यादव और विकास दुबे के आपराधिक रिकॉर्ड की सूची मुझे भेज कर फ़र्ज़ी एनकाउंटर और गाड़ी पलटी को न्यायोचित बतला रहे हैं, वो यह भी देख लें कि एक समय “ठाकुर अजय सिंह बिष्ट” के ऊपर कितने प्रकार के एफ़आइआर और आपराधिक मुक़दमे हुआ करते थे! सवाल आज हर कोई कर रहा है कि स्वजातियों की कितनी गाड़ी पलटी? कितने स्वजातिओं के एनकाउंटर किए गए?"
योगी आदित्यनाथ 19 मार्च, 2017 को सीएम बने। तब से लेकर अब तक प्रदेश में पुलिस और बदमाशों के बीच लगभग 12,500 से ज्यादा मुठभेड़ हुईं। इन मुठभेड़ में 207 आरोपी ढेर हुए। साढ़े छह हजार से ज्यादा घायल हुए। करीब 27 हजार आरोपी पकड़े गए। मेरठ जोन में सबसे ज्यादा 66 क्रिमिनल मुठभेड़ में ढेर हुए। इसके बाद वाराणसी जोन में 21 और आगरा जोन में 16 आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए।
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