भोपाल। मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) और नगरीय निकाय चुनाव (Urban body elections) का बिगुल बज चुका है। पंचायत चुनाव तीन और नगरीय निकाय चुनाव दो चरणों में होगा। पंचायत चुनाव के लिए 30 मई से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पहला चरण का मतदान 25 जून को होना है। वहीं नगरीय निकाय चुनाव का पहले चरण का मतदान 13 जुलाई को होगा।
लेकिन, चुनाव ओबीसी आरक्षण को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है। पूर्व के चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (Other backward classes) को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता रहा है। लेकिन पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा पर इसे 35 प्रतिशत करने के लिए राज्य शासन और सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट भेजी गई। जिसके बाद सरकार पूर्ण रूप से ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) लागू करने की बात कह रही है। लेकिन विपक्ष सहित अन्य ओबीसी संगठन इसे ओबीसी वर्ग से साथ धोखा बता रहे हैं।
विस्तार से जाने क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण में स्टे के बाद सरकार की संसोधन याचिका पर सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने को हरी झंडी दी। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को एक हफ्ते में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने को कहा। और आयोग ने भी सप्ताह के भीतर ही चुनाव की घोषणा कर दी।
दरअसल, शीर्ष अदालत ने 10 मई को सरकार को ओबीसी आरक्षण के बिना ही पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव कराने को कहा था। मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग (Madhya Pradesh Backward Classes Welfare Commission) ने ओबीसी आरक्षण को 35 प्रतिशत तक दिए जाने की अनुशंसा की पर रिपोर्ट में खामियां निकली, और कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराने को कहा। जिसके बाद सरकार की ओर से संशोधन याचिक लगाई गई। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की मंजूरी दे दी थी।
ओबीसी महासभा के कोर कमेटी सदस्य महेंद्र सिंह लोधी ने द मूकनायक को बताया कि, "सरकार ने प्रदेश के पिछड़े वर्ग के लोगों को ठगा है। ये ओबीसी हितैषी होने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। लेकिन, असल में ओबीसी को पंचायत चुनाव में पिछले चुनाव से कम आरक्षण मिला है। पिछले चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए 14 सीटें आरक्षित थी लेकिन इस बार सर्फ 4 ही सीटें मिल पाई हैं।"
महेंद्र ने कहा, "ओबीसी को समझाने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है। कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के लिए कोई प्रतिशत निर्धारित नही किया, सिर्फ ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने को कहा गया है। सरकार ने एससी, एसटी के बाद बचे हुए आरक्षण में से भी मनमर्जी कर आरक्षण दिया, जिसमें पूर्व की भांति भी आरक्षण नही मिला है।"
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