पुलिस ने भालचंद्र यादव को राह चलते उठाया फिर मुठभेड़ में मार गिराया, अब एसपी सहित एसटीएफ व स्वाट टीम के 14 लोगों पर अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज करने का कोर्ट ने दिया आदेश।
लखनऊ। यूपी के चित्रकूट जिले में गौरी गिरोह के सदस्य के एनकाउंटर में तत्कालीन एसपी अंकित मित्तल समेत 17 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है। भालचंद्र यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। उसकी पत्नी ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। कोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा गत गुरुवार की रात में बहिलपुरवा थाना में लिखा गया है।
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश के सतना जिले के नयागांव क्षेत्र के पड़वनियां गांव निवासी भालचंद्र को चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा इलाके में यूपी एसटीएफ और एसओजी टीम ने 31 मार्च 2021 में मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस का दावा था कि भालचंद्र पंचायत चुनाव में दखलअंदाजी करने के लिए रणनीति बना रहा था। इस बात की जानकारी मिलने पर पुलिस ने कॉम्बिंग शुरू की थी और मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था।
पेशी से लौटते समय पुलिस ने उठाया था
भालचंद्र की पत्नी नथुनिया ने अपर सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश डीडी एक्ट) की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। प्रार्थनापत्र में बताया था कि भालचंद्र 31 मार्च 2021 को अपने भाई लालचंद्र के साथ सतना न्यायालय में पेशी पर गया था। लौटते समय सतना जिले के कोठी कस्बा के पास एक सफेद रंग की स्कॉर्पियों ने ओवरटेक कर दोनों को बाइक से गिरा दिया। इसके बाद एसटीएफ के जवान मारपीट कर भालचंद्र को गाड़ी में डालकर चित्रकूट की ओर ले गए थे।
शव पर चोट के निशान थे
घटना के दिन शाम को लगभग सात बजे सूचना मिली कि चित्रकूट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल के निर्देश पर गौरी गैंग के साथ हुई मुठभेड़ में यूपी एसटीएफ जनपद चित्रकूट की स्वाट टीम, बहिलपुरवा व मारकुंडी थाने की पुलिस ने उसे मार गिराया है। शव पर बेरहमी से पीटे जाने के निशान थे। साथ ही गोली भी नंगे बदन मारी गई थी, क्योंकि उसकी शर्ट पर गोली लगने के निशान नहीं थे। अपर सत्र न्यायाधीश विनीत नारायण पांडेय ने बहिलपुरवा थाना प्रभारी को रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना करने के लिए कहा था, जिसपर अब बहिलपुरवा थाने में मुकदमा दर्ज हो गया है।
10 महीने बाद दर्ज की गई एफआईआर
मामले में अधिवक्ता राजेंद्र यादव का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी 10 महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई है। ऐसे में उन्हें सही विवेचना होने की उम्मीद नहीं है, इसलिए वह प्रशासन से किसी अन्य अधिकारियों से जांच कराने की मांग की है।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला
तत्कालीन एसपी अंकित मित्तल, लखनऊ एसडीएफ के एसआई अमित कुमार तिवारी व संतोष कुमार सिंह, हैड कांस्टेबिल उमाशंकर, आरक्षी भूपेंद्र सिंह व शिवानंद शुक्ला, स्वाट टीम प्रभारी एसआई श्रवण कुमार व अनिल कुमार शाहू, हैड कांस्टेबिल रईस खान, आरक्षी धर्मेंद्र कुमार, राहुल यादव, तत्कालीन थानाध्यक्ष बहिलपुरवा दीनदयाल सिंह, हमराही रामकेश कुशवाहा, तत्कालीन मारकुंडी थानाध्यक्ष रमेशचंद्र व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
मानवाधिकार आयोग से भी हुई थी शिकायत
न्यायालय जाने से पहले भालचंद्र एनकाउंटर मामले में अपहरण व हत्या का इल्जाम लगाते हुए मानवाधिकार आयोग से शिकायत की गई थी। यह शिकायत बांदा जिले के बदौसा कस्बे के रहने वाले स्वयंसेवी संस्था संचालक राजा भैया यादव ने 9 जून 2021 को की थी। इसके अलावा भालचंद्र की पत्नी नथुनिया ने भी एमपी व यूपी सरकार से प्रकरण में जांच एवं मुआवजे की मांग की थी। शिकायत मिलने पर मानवाधिकार आयोग ने तत्कालीन डीजीपी यूपी सहित चित्रकूट के डीएम व एसपी को गाइडलाइन के अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए 8 सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। आयोग ने रिपोर्ट के लिए कुछ विशेष बिंदु तय किए थे। जिसमें एफआईआरए पोस्टमार्टम, गन पाउडर, बैलेस्टिक रिपोर्ट, एमएलसी आदि बिंदु शामिल हैं।
इस मामले में विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र चित्रकूट कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अक्टूबर 2021 में तत्कालीन एसपी समेत 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे। लेकिन कभी जांच के नाम पर तो कभी अन्य मामलों को बताकर मामला टाला जाता रहा था।
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