हाल ही में द वायर की पत्रकार इस्मत आरा ने 'बुल्ली बाई' डील्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को लेकर दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के समक्ष प्राथमिकी दर्ज करने और सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी के पीछे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिकायत दर्ज कराई है। इस वेबसाइट में अन्य कई मुस्लिम महिलाओं को नीलामी लिस्ट में जोड़ा गया है।
नई दिल्ली। ऑनलाइन वेबसाइट 'बुल्ली बाई' से पहले 'सुल्ली डील' भी चर्चा में तब आया था जब उसके द्वारा मुस्लिम महिलाओं की फोटो के साथ छेड़छाड़ करने और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर 'नीलाम' करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 'सुल्ली डील' ऐप पर प्राथमिकी दर्ज की थी। और दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर मामले में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। इस तरह ऐसे ही एक दूसरे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का यह दूसरा मामला है जो बुल्ली बाई पोर्टल पर सामने आया है। इसके माध्यम से मुस्लिम वर्ग की महिला पत्रकार व अन्य मुस्लिम महिलाओं के फोटो का उपयोग करके फोटो की नीलामी (बोली लगाने) जैसा शर्मनाक कृत्य सामने आया है।
पूर्व में भी, सुल्ली डील को कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों की नीलामी करते हुए पाया गया था, उसके कुछ महीनों बाद माना जा रहा है कि, कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने इसी तरह का यह दूसरा ऑनलाइन पोर्टल बुल्ली बाई बनाया, जिसमें सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की गईं।
कैसे सामने आया "बुल्ली बाई" प्लेटफ़ॉर्म
'बुल्ली बाई' नाम का ऑनलाइन पोर्टल 'सुल्ली डील्स' ऐप से काफी मिलता जुलता है। सुल्ली डील्स ने पिछले साल जुलाई में विवाद खड़ा किया था।
ऑनलाइन पोर्टल 'bullibai.github.io' और Sulli Deals ऐप दोनों लगभग समान इंटरफ़ेस के साथ मुस्लिम महिलाओं के लिए एक 'नीलामी' (अपमानजनक शब्द 'bulli' का उपयोग करके) का प्रयोग करता है, जिसका एकमात्र उद्देश्य उनकी सहमति के बिना उनकी तस्वीरें के साथ इन महिलाओं का अनादर करना है।
कई महिलाओं ने बताया कि इस प्लेटफ़ॉर्म पर उनकी तस्वीरों का भी उपयोग किया गया था, जिसमें द वायर की इस्मत आरा भी शामिल थीं।
पत्रकार इस्मत आरा ने नए साल की सुबह दुख और निराशा में ट्वीट किया, "यह बहुत दुख की बात है कि एक मुस्लिम महिला के रूप में आपको अपने नए साल की शुरुआत इस डर और घृणा के साथ करनी पड़ रही है।"
रिसर्चर और एक्टिविस्ट मारिया सलीम को भी इस पोर्टल में लिस्टेड किया गया है। इसकी जानकारी उन्होंने अपने ट्विटर पोस्ट में देते हुए लिखा है, "अभी पता चला है कि मैं भी नीलामी में थी। भारतीय मुस्लिम महिलाएं जानती हैं कि हम आपकी गंदगी के आगे नहीं झुकेंगे। प्रशासन में उन लोगों के लिए जिन्होंने #SulliDeals के साथ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, यही आप पर हैं! तुम्हे शर्म आनी चाहिए।"
इसी तरह अमर उजाला की पूर्व पत्रकार कवीश अज़ीज भी इस लिस्ट में हैं, "यह सब मेरे साथ सिर्फ इसलिए होगा क्योंकि मैं एक मुस्लिम महिला हूं।" – वह ट्वीटर पोस्ट में लिखती हैं।
ट्विटर पर सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर नरगिस बानो को भी इसमें शामिल किया गया है, नरगिस जिम्मेदारों पर सीधे आरोप लगाते हुए ट्वीट करती हैं, "दोषियों को पकड़ना इतना मुश्किल नहीं है, लेकिन हम सभी जानते हैं कि यह शासन ऐसा नहीं करेगा। कारण भी हम सभी जानते हैं। धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो महिलाओं को बदनाम करते हैं!!"
दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग
इस घटना के बाद, आरा ने दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल में आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिलाओं की लज्जा का अपमान करने के इरादे से शब्द, आवाज या इशारे), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66 (एक कंप्यूटर संसाधन के माध्यम से अत्यधिक असंवेदनशील जानकारी भेजना) और 67 (कामुक या अश्लील सामग्री भेजना) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।
अपनी शिकायत में, आरा ने यह भी नोट किया कि 'बुल्ली ऑफ द डे' वाक्यांश "महिलाओं को वस्तुनिष्ठ और नीचा दिखाता है" और पुलिस से प्लेटफ़ॉर्म के संबंध में एक साजिश की जांच करने का अनुरोध किया है।
प्लेटफ़ॉर्म पर कई अन्य मुस्लिम महिलाओं को भी किया गया टारगेट
आरा की शिकायत में आगे कहा गया है, "सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक रूप होने के नाते सोशल मीडिया का इस्तेमाल सामान्य रूप से महिलाओं और विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं को समाज के स्त्री विरोधी वर्गों द्वारा नीचा दिखाने और अपमानित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।" "यह देखना वास्तव में निराशाजनक है कि इस तरह के नफरत फैलाने वाले बिना किसी प्रतिबंध व डर के मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाना जारी रखते हैं।"
कई अन्य मुस्लिम महिलाएं जो सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर मुखर हैं, उन्हें भी इस प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी तस्वीरें मिलीं हैं। जेएनयू के लापता छात्र नजीब की मां भी सूची में थी।
रेडियो जॉकी आर्टिस्ट सायमा रहमान लिखती हैं, "आपत्तिजनक #BulliDeals और #SulliDeals में मेरी जैसी कई मुस्लिम नाम हैं, यहां तक कि नजीब की मां को भी नहीं बख्शा गया है। यह भारत की टूटी-फूटी न्याय व्यवस्था, एक जर्जर कानून-व्यवस्था का प्रतिबिंब है। क्या हम महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बनते जा रहे हैं?"
"आरा की शिकायत के एक दिन बाद, दिल्ली पुलिस ने नोट किया कि दक्षिणपूर्व दिल्ली के साइबर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 509 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।" –इंडियन एक्सप्रेस ने बताया।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि साइबर सेल के सूत्रों ने कहा कि अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने से जुड़े कुछ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की पहचान की गई थी, हालांकि इन खातों को पुलिस की शिकायतों के बाद निष्क्रिय कर दिया गया था।
वहीं, मुंबई पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उसने प्लेटफॉर्म की जांच शुरू कर दी है, जिसे अब हटा दिया गया है।
माइक्रोसॉफ्ट के गिटहब ने बुली बाई यूजर को किया ब्लॉक
आरा ने अपनी शिकायत में माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाले कंटेंट शेयरिंग प्लेटफॉर्म गिटहब का भी नाम लिया, जहां बुल्ली डील्स डोमेन होस्ट किया गया था। शनिवार को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट कर कहा कि गिटहब ने साइट को होस्ट करने के लिए जिम्मेदार यूजर को ब्लॉक कर दिया है।
मामलों में अब तक की कार्यवाई
मामले में, दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी, हालांकि, अभी तक जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं की गई है, एनडीटीवी ने बताया।
कई राजनीतिक नेताओं ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है और तत्काल कार्रवाई करने को कहा है।
"यह अस्वीकार्य है कि खतरनाक मुस्लिम विरोधी कुप्रथा की यह परियोजना वापस आ गई है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस स्थिति का भयावह आरोप लगाते हुए ट्वीट कर कहा कि, ऐसे मामले में पिछली बार कुछ नहीं किया गया था, इस बार भी इन ताकतों ने पूरी बात दोहराने के लिए उत्साहित महसूस किया क्योंकि प्रतिष्ठान उनका समर्थन करते हैं।"
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि गिटहब ऐप को हटाना काफी नहीं है, अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मालिक ने मामले पर लिखा, "SulliDeals में मुखर मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन नीलाम होते देखना पीड़ा से परे है और मैंने 2 पीड़ितों के साथ टेलीफोन पर बातचीत भी की है। मैं गृह मंत्री @Dwalsepatil जी को लिखूंगा और जांच की मांग करूंगा। देश की बेटियों के साथ खड़ा रहेगा महाराष्ट्र!"
सुल्ली डील मामले में क्या हुआ था
पिछले साल जुलाई में, दिल्ली पुलिस के साइबर सेल द्वारा एक अज्ञात समूह द्वारा एक ऐप, गिटहब पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड करने और उन्हें बदनाम करने वाले तरीके से 'नीलामी' करने की शिकायत मिलने के बाद मामला दर्ज किया था। दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर मामले में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
उस समय दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा था, 'सुल्ली डील्स' मोबाइल एप्लिकेशन के संबंध में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर प्राप्त एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, बुधवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 354-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू की गई है।"
पुलिस उपायुक्त, साइबर सेल, दिल्ली पुलिस को जारी नोटिस में कहा गया था, "दिल्ली महिला आयोग ने 'गिटहब' प्लेटफॉर्म का उपयोग करके इंटरनेट पर कई लड़कियों की तस्वीरें अपलोड करने की मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है।
"यह बताया गया है कि सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों की तस्वीरें एक अज्ञात समूह द्वारा रविवार, 4 जुलाई को 'सुल्ली डील्स' के नाम से गिटहब का उपयोग करके एक ऐप पर अपलोड की गई थीं। कथित तौर पर, सुल्ली एक अपमानजनक शब्द है जिसका इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं के लिए किया जा रहा है।"
द क्विंट के अनुसार, 100 से अधिक मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें नीलामी ऐप ' सुल्ली डील्स' पर अपलोड की गईं थी। लोगों में इसके खिलाफ नाराजगी के बाद ऐप को हटा लिया गया था।
द प्रिंट के साथ काम करने वाली एक रिपोर्टर फातिमा खान भी निशाने पर थीं। उन्होंने ट्विटर पर अपने अनुभव के बारे में बताया और कार्रवाई की मांग की थी।
साल 2021 जुलाई में सामने आए इस मामले पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा था, "यह घिनौना हमला समाज के कुछ वर्गों में, विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं के साथ-साथ वर्तमान सरकार के मुखर आलोचक के खिलाफ अंतर्निहित कुप्रथा का लक्षण है।"
क्या है गिटहब (HitHub)
गिटहब, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और संस्करण नियंत्रण के लिए जीआईटी का उपयोग करके इंटरनेट होस्टिंग प्रदाता है। यह गिट के वितरित संस्करण नियंत्रण और स्रोत कोड प्रबंधन कार्यक्षमता, साथ ही इसकी अपनी विशेषताएं प्रदान करता है। यह एक्सेस कंट्रोल और कई सहयोग सुविधाएँ प्रदान करता है जैसे बग ट्रैकिंग, फीचर अनुरोध, कार्य प्रबंधन, निरंतर एकीकरण और हर परियोजना के लिए बिक्री। इसका मुख्यालय कैलिफ़ोर्निया में है, यह 2018 से Microsoft की सहायक कंपनी है।
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