मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र क्या हो, सुप्रीम कोर्ट करेगी इस मामले पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट
Published on

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की याचिका पर विचार करने को सहमत हो गया है। एनसीपीसीआर ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दोनों राज्यों के कोर्ट ने आदेश दिया था कि एक मुस्लिम लड़की युवावस्था (मुस्लिम लॉ के मुताबिक 15 साल) के बाद अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है। क्या यौवनावस्था प्राप्त करने वाली 16 साल से अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की शादी कर सकती है? अब सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले का परीक्षण करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगले आदेश तक हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा।

हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, फिलहाल हम ये कहेंगे कि हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा। हम सभी मामलों को टैग करेंगे और मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे। नवंबर 2022 में ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने वकील राजशेखर राव को इस मामले में अमाइकस क्यूरी नियुक्त किया था। एनसीपीसीआर की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सवाल उठाया था कि क्या हाईकोर्ट ऐसा आदेश दे सकता है?

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दिया था फैसला

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के हालिया फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की है गई। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एक 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की वैध विवाह में प्रवेश कर सकती है। हाईकोर्ट ने इस फैसले में मुस्लिम लड़की (16 साल) को सुरक्षा प्रदान की थी, जिसने अपनी पसंद के मुस्लिम लड़के (21 साल) से शादी की थी। अदालत युगल द्वारा दायर एक प्रोटेक्शन पिटिशन पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने मुस्लिम रीति-रिवाजों और समारोहों के अनुसार शादी की थी। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत लड़की की उम्र विवाह योग्य है। पहले के फैसलों से यह स्पष्ट है कि एक मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित होती है। लड़की 16 वर्ष से अधिक होने के कारण अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह में प्रवेश करने के लिए सक्षम है। लड़के की उम्र 21 वर्ष से अधिक बताई गई है। इस प्रकार दोनों याचिकाकर्ता मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा परिकल्पित विवाह योग्य आयु के हैं।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले बेंच ने कहा कि, हम इन रिट याचिकाओं पर विचार करने के इच्छुक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को मामले में नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि 14, 15, 16 साल की मुस्लिम लड़कियों की शादी हो रही है क्या पर्सनल लॉ का बचाव हो सकता है, क्या एक अपराधिक मामले के खिलाफ आप परंपराओं या पर्सनल लॉ के बचाव के तौर पर पेश कर सकते हैं।

आपको बता दें कि, इस्लाम में संबंधी प्रश्नों के अनुसार युवावस्था प्राप्त करने की आयु 15 वर्ष है।

साथ ही हाईकोर्ट ने कहा मुस्लिम नाबालिग लड़की यह अवस्था पाने के बाद अपनी मर्जी से शादी कर सकती है। तुषार मेहता ने कहा था कि, हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगानी चाहिए। क्योंकि इससे चाइल्ड मैरिज के मामले पर असर हो सकता है। तुषार मेहता ने कहा कि हमारा सवाल है कि क्या क्रिमिनल ऑफेंस का बचाव पर हमला हो सकता है। मौजूदा समय पॉक्सो कानून है। इसके तहत नाबालिग के साथ सेक्स करना एक अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम मामले में एनसीपीसीआर की अर्जी पर नोटिस जारी करते हैं। पहले हम पेंडिंग केस को टैग करते हैं, इसके बाद मामले में सुनवाई की जाएगी।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com