नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को यूएपीए मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है और सुनवाई 29 अगस्त के लिए निर्धारित की है।
दिल्ली पुलिस की विशेष सेल मामले की जांच कर रही है और आरोप है कि खालिद ने 2020 में 23 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन की पूर्व योजना बनाई थी, जिसके कारण दंगे हुए।
मई में उनकी दूसरी जमानत याचिका को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि पिछली बार जमानत से इनकार करना फाइनल हो गया था।
28 मई को कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने आरोप तय करने और मुकदमा शुरू करने में कोई देरी नहीं की। कोर्ट ने बताया कि आरोपियों ने अलग-अलग आवेदन दायर कर अभियोजन पक्ष से यह पुष्टि करने का अनुरोध किया था कि आरोप तय करने से पहले जांच पूरी हो गई है या नहीं।
कोर्ट के अनुसार, चूंकि देरी आरोपी की वजह से हुई है, इसलिए उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सकता। उनकी जमानत याचिका पर अदालत ने 13 मई को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
उमर खालिद एक भारतीय छात्र एक्टिविस्ट, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व रिसर्च स्कॉलर, जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन (डीएसयू) के पूर्व नेता हैं। वह कथित तौर पर जेएनयू विवाद में शामिल थे और यूएपीए कानून के तहत आरोपी हैं।
पुलिस ने खालिद पर 23 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाने का आरोप लगाया है, जिसके कारण कथित तौर पर 2020 में दिल्ली दंगे हुए। उसके बाद से उन पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कई अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था और तब से वह जेल में हैं।
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