शामली। यूपी के शामली जिले के एक गांव में एक मीट कारोबारी को पुलिस पूछताछ के लिए घर से लेकर पुलिस चौकी गई थी। देर रात पुलिस कारोबारी के शव को घर के बाहर छोड़कर चली गई। परिजनों के मुताबित मीट कारोबारी की शरीर पर चोट के निशान थे। परिजनों का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उसकी लगभग आधे घंटे चौकी में बंद कर पट्टे से पिटाई की, जब उसकी मौत हो गई तो लाश घर के बाहर छोड़कर चले गए।
इधर, गत सोमवार को परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस वालों पर हत्या का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस को शव तक नहीं उठाने दिया। पांच घंटे की गहमागहमी के बाद पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह से परिजनों को समझाबुझाकर शांत किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
शामली जिले के झिंझाना क्षेत्र के बिड़ौली गांव का पूरा मामला है। सद्दाम ने द मूकनायक को बताया मेरा भाई फुरकान उर्फ भूरा (33) पुत्र महबूब को बिड़ौली पुलिस रविवार की रात करीब 12ः30 बजे पूछताछ के लिए अपने साथ लेकर चली गई और करीब आधा घंटे बाद लगभग 01ः00 कुछ पुलिसकर्मी मेरे भाई को अचेत अवस्था में यह कहकर छोड़ गए की यह पुलिस को देखकर घबरा रहा है। उसके शरीर पर चोट के निशान थे। गले की नली भी टूटी हुई थी।
सद्दाम आगे बताते हैं कि उस पर कोई भी पुलिस केस नहीं था। पुलिस उसे बेवजह ही लेकर गई थी। उसके घर में छह बच्चे हैं, जिनमे पांच लड़की और एक लड़का है। भूरा हम सात भाइयों में दूसरे नंबर पर था। बूढी मां यह सदमा बर्दास्त नहीं कर पा रही है। वह बार-बार बेहोश हो जा रही हैं।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस चौकी के दरोगा ने भूरा को थर्ड डिग्री दी, जिसमें उसकी मौत हो गई। सूचना पर थाना प्रभारी सुदेश कुमार एवं कैराना कोतवाल विरेंद्र कसाना फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिसवालों पर भूरा की हत्या करने का आरोप लगाते हुए शव को उठाने से इंकार कर दिया। पुलिस ने गांव के पूर्व प्रधान इसरार एवं नगर पंचायत झिंझाना के पूर्व चेयरमेन नौशाद ठेकेदार को साथ लेकर ग्रामीणों और परिजनों को समझा बुझाकर शांत किया। इसके बाद पुलिस ने शव को सीधा पीएम हाउस भिजवाया।
इस मामले में डिप्टी एसपी का कहना है कि पुलिसकर्मियों पर भूरा की हत्या का आरोप बेबुनियाद है। भूरा के ही पड़ोस का महफूज वारंटी है, जिसे पकड़ने के लिए पुलिस पहुंची थी। मगर पुलिस को देखकर भूरा भागने लगा। भूरा के निर्दोष होने पर उसे तुंरत ही छोड़ दिया गया था। पुलिस उसे चौकी लेकर भी नहीं पहुंची।
परिजनों का आरोप है कि भूरा ने आज तक कोई अपराध नहीं किया है। किसी भी थाने में उस पर कोई मामला दर्ज नहीं है। फिर पुलिस ने उनके बेटे को क्यों उठाया था, इसकी जांच होनी चाहिए। मृतक के भाई सद्दाम का कहना है कि भूरा के शरीर पर चोट के कई निशान है। थाना प्रभारी सुदेश कुमार ने बताया बिड़ौली सादात में पुलिस वारंटी महफूज को गिरफ्तार करने के लिए गई थी। मौके पर भूरा घर से भागने लगा तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया। ग्रामीणों ने बताया कि यह वारंटी नहीं है तो पुलिस ने भूरा का आधार कार्ड मंगवाया। जिसके बाद भूरा को छोड़कर पुलिस लौट गई।
बिड़ौली सादात में भूरा की मौत के बाद हर कोई पीड़ित के घर की तरफ दौड़ पड़ा। सूचना पर कैराना से सपा विधायक नाहिद हसन भी गांव में परिजनों को ढांढस बंधाने के लिए पहुंचे और परिजनों से मामले की जानकारी ली। पोस्टमार्टम हाउस पर भी कैराना विधायक नाहिद हसन एवं कैराना लोकसभा प्रभारी इकरा हसन पहुंची। उन्होंने पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने का आश्वासन दिया। भूरा की मौत पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने डीजीपी उत्तर प्रदेश को टैग कर योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट में कहा कि योगी सरकार ने यूपी की पुलिस को अपराध करने की खुली छूट दे रखी है। क्या मुजरिम पुलिस वालों को गिरफ्तार किया जाएगा या उन्हें मेडल से नवाजा जाएगा। पीड़ित परिवार को तुरंत मुआवजा दिलाने की मांग की।
फुरकान के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के विषय मे जानकारी के लिए द मूकनायक ने एसपी और थाना प्रभारी दोनों से सम्पर्क किया। दोनों ने ही पोस्टमार्टम में किसी भी प्रकार की चोट की पुष्टि नहीं होने की बात कही है। वहीं शव से निकला विसरा परीक्षण के लिए भेजे जाने की जानकारी मिली है।
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