जयपुर। प्रदेश के अलवर जिले के रामगढ़ ललावंडी गांव के पास पांच साल पूर्व कथित गौरक्षकों की भीड़ द्वारा गौ तस्करी के शक में मारे गए हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर हत्याकांड में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।
मामले में गुरुवार को न्यायालय का चौंका देने वाला फैसला आया है। अलवर के एडीजे नंबर-1 कोर्ट ने रकबर उर्फ अकबर हत्या मामले में धारा 304 पार्ट प्रथम में आरोपियों धर्मेंद्र, परमजीत सिंह उर्फ छोटा, नरेश कुमार और विजय कुमार निवासी ललावंडी को दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा और 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।
वहीं, आरोपियों को धारा-341 में एक-एक महीने की सजा और 500 के अर्थदंड से दंडित किया गया है। इसके अलावा अदालत ने नवल किशोर निवासी सुंदर कॉलोनी, रामगढ़ को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।
1 जुलाई 2018 को रकबर उर्फ अकबर अपने साथी असलम के साथ रामगढ़ इलाके से गाय खरीद कर पैदल ही अपने गांव ले जा रहा था। दोनों को कथित गौ रक्षकों ने गाय ले जाते देखा तो भीड़ को बुलाकर इन्हें घेर कर हमला कर दिया।
इस दौरान असलम भीड़ से बच कर भाग निकलने में कामयाब रहा। जबकि रकबर गम्भीर घायल हो गया। पुलिस घायल रकबर उर्फ अकबर को इलाज के लिए अलवर जिले में रामगढ़ सीएचसी लेकर गई। जहां सीएचसी के चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
मामले में पुलिस ने धर्मेंद्र, परमजीत सिंह, नरेश, विजय और नवल को हत्या का आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था। बाद में हाईकोर्ट से सभी आरोपी जमानत पर छूट गए।
राज्य सरकार की ओर से विशेष विशिष्ट लोक अभियोजक नासिर अली नकवी ने कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने एडीजे कोर्ट 1 अलवर के फैसले के विरुद्ध राज्य सरकार को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। हालांकि सरकार की तरफ से न्यायालय के इस फैसले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
रकबर हत्या मामले में राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नासिर अली नकवी ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि रकबर उर्फ अकबर की कथित गौ रक्षकों ने सुनियोजित तरीके से गौ तस्करी का बहाना बनाकर हत्या की थी। नकवी ने आगे कहा कि हत्या के आरोप में पुलिस ने न्यायालय में पांच आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था। उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान न्यायालय के समक्ष उनकी द्वारा साजिश के तहत रकबर उर्फ अकबर के हत्या करने के पर्याप्त साक्ष्य पेश किए गए थे। इसके बावजूद न्यायालय ने गैर इरादतन हत्या मान कर आरोपियों को सजा सुनाई है। यह सजा कम है।
उन्होंने एक आरोपी को बरी करने के फैसले पर कहा कि न्यायालय ने नवल किशोर निवासी सुंदर कॉलोनी, रामगढ़ को संदेह का लाभ देकर बरी किया है। जबकि पुलिस ने भी चश्मदीद गवाहों के आधार पर हत्या का आरोपी माना था। हत्या के सम्बंध में न्यायालय में चश्मदीद गवाह पेश गए। गवाहों ने शिनाख्त की कार्रवाई में आरोपी की पहचान की। इसके अलावा तकनीकी साक्ष्य भी पेश किए गए, लेकिन न्यायालय ने सन्देह के आधार पर बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि इस फैसले के विरुद्ध राज्य सरकार को उच्च न्यायालय में जाना चाहिए।
रकबर उर्फ अकबर की हत्या मामले में न्यायालय द्वारा धारा 302 हटाकर 304 पार्ट प्रथम का दोषी मान कर दिए गए फैसले पर मेव पंचायत ने भी प्रतिक्रिया दी है। मेव पंचायत के सदर शेर मोहम्मद ने अमर उजाला को दिए बयान में कहा कि एक युवक की हत्या हुई थी। तकलीफ इस बात की है कि धारा-302 के आरोपो से सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। उन्होंने यहां तक कहा कि जिस तरह का फैसला आया है, उसमें ऐसा लगता है कि दोनों सरकारी वकीलों ने इसमें सही तरीके से पैरवी नहीं की, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि उम्र कैद की जगह इन्हें सात-सात साल की सजा हुई है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी।
बरी किए गए नवल किशोर के खिलाफ अन्य चार आरोपियों से ज्यादा साक्ष्य होने के बावजूद भी नवल को बरी किया गया, यह सबसे बड़ी बात है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने बेहतरीन वकील नियुक्त किए, लेकिन निर्णय से यह बात साबित होती है कि कहीं न कहीं पैरवी में कमजोरी रही है।
अलवर एडीजे कोर्ट 1 में रकबर उर्फ अकबर हत्या मामले में न्यायालय का फैसला आने के बाद हिन्दू वादी संगठनों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इससे न्यायलय परिसर में माहौल में तनाव भी हुआ, लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया। जानकारी के अनुसार पांच आरोपियों में एक बरी किया गया आरोपी नवल किशोर विश्व हिंदू परिषद का नेता बताया गया है।
गुरुवार को फैसले से पूर्व अदालत परिसर में भीड़ थी। गहमागहमी के बीच भारी पुलिस जाब्ता तैनात था। न्यायालय द्वारा सजा सुनाते ही पुलिस ने चारों दोषियों को कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया गया।
रकबर उर्फ अकबर हत्या मामले में सरकार की तरफ से न्यायालय के समक्ष 67 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। 129 पेज के दस्तावेज सबूत पेश किए गए। बहुचर्चित रकबर उर्फ अकबर मॉब लिंचिंग केस में पैरवी के लिए राजस्थान सरकार ने जयपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट नासिर अली नकवी को 2021 में विशिष्ट लोक अभियोजक नियुक्त किया था।
एडवोकेट नकवी ने कहा आरोपियों की मोबाइल की कॉल डिटेल व लोकेशन भी है। मारपीट में काम लिए डंडे भी पुलिस ने बरामद किए थे। मेडिकल पोस्टमार्टम में रकबर के शरीर पर 13 चोटों के निशान थे। डॉक्टरों ने उसकी मौत भी चोटों के कारण मानी थी। पुलिस हिरासत में मारपीट के कोई साक्ष्य नहीं मिले है। रकबर मॉब लिंचिंग के मामले में परिजनों ने जिला जज अदालत में केस ट्रांसफर की याचिका भी लगाई थी। हालांकि याचिका खारिज हो गई थी और केस एडीजे-1 की अदालत में चला।
अलवर की ही कोर्ट ने 14 अगस्त 2019 को पहलू खान की हत्या के सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया था। आपको बता दें कि अप्रैल 2017 को भी गोतस्करी के आरोप में भीड़ ने पहलू खान की भी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
पहलू खान मामले में पुलिस ने 9 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था। इनमे 3 आरोपी नाबालिग थे। 6 आरोपियों में विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, भीमराठी व योगेश कुमार के विरुद्ध अदालत में चालान पेश किया था।
प्रकरण का ट्रायल एडीजे कोर्ट बहरोड़ में शुरू हुआ था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामले को अलवर की अदालत में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किया गया था।
1 अप्रैल 2017 को घटना के दिन पुलिस ने 6 वाहन जब्त कर 36 गोवंश मुक्त कराए थे। इनमें केस संख्या 252/17 में पहलू खां, उसके दो बेटों आरिफ व इरशाद और पिकअप मालिक खान मोहम्मद को आरोपी बनाया गया था। हालांकि तब सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इसके बाद सरकार ने सुध नहीं ली।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 3 अप्रैल, 2017 को अलवर के बहरोड़ में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर गौ रक्षा दल और अन्य हिन्दूवादी संगठन के सैकड़ों लोगों ने गौ-तस्करी के आरोप में 6 वाहनों को रोककर 15 जनों के साथ मारपीट की। मारपीट में गंभीर रूप से घायल 50 साल के पहलू खान की 5 अप्रैल को निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
इसी तरह 9 नवंबर, 2017 को गोविंदगढ़ में कथित गोरक्षकों ने उमर खान नाम के व्यक्ति की पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी।
20 जुलाई, 2018 को अलवर के रामगढ़ इलाके में गोतस्करी के शक में भीड़ ने अकबर नाम के व्यक्ति पर हमला कर हत्या कर दी।
25 जुलाई, 2018 को बाड़मेर जिले में एक दलित युवक खेताराम भील की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी।
16 जुलाई, 2019 को दलित युवक हरीश जाटव की मॉब लिंचिंग हुई थी। युवक का कसूर केवल इतना था कि उसके बाइक से एक मुस्लिम महिला को टक्कर लग गई थी।
31 जुलाई, 2019 में मुख्यमंत्री के गृह जिले में जोधपुर के देचू थाने के गोलाई में पेड़ से बांधकर एक युवक को लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला गया।
22 सितंबर, 2019 को झालावाड़ में धुलीचंद मीणा को मोटर पंप चोरी के आरोप में इस कदर बेरहमी से पीटा गया कि उसकी जान चली गई।
1 जुलाई, 2021 को झालावाड़ में एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने मिलकर कृष्णा वाल्मीकि को बुरी तरह पीटा और फरार हो गए. घटना के चार दिन बाद कृष्णा की उपचार के दौरान मौत हो गई।
15 सितंबर, 2021 को अलवर के 19 साल का योगेश अपनी बाइक से गांव जा रहा था। इस दौरान एक बालिका उसकी बाइक से टकरा गई थी। इस पर समाज विशेष के लोगों ने योगेश को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था। उसके बाद मारपीट में घायल युवक की 3 दिन बाद जयपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई।
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